लापुंग के लगभग 20 टुंगरी पर पत्थर माफियाओं का कब्जा, कारो नदी से बालू का अवैध खनन जारी….
रिपोर्ट – संजय वर्मा..
लापुंग प्रखंड के मलगो पंचायत में लगभग 250 एकड़ क्षेत्र में पत्थर का अवैध उत्खनन जोरों पर।
लापुंग से होकर गुजर रहे कारो नदी से फतेहपुर, दाड़ी और मुरुप गांव में जमा है बालू का अवैध स्टॉक।
दिन में टर्बो और रात में हाईवा से होती है ढुलाई।
सेमरा गांव के वन सुरक्षा समिति अध्यक्ष भी करवाते हैं अपने 4-5 वाहनों से अवैध ढुलाई।
खनन माफियाओं को है लापुंग थाना प्रभारी का संरक्षण प्राप्त।
अवैध उत्खनन का विरोध करने वाले ग्रामीणों को थानेदार देते हं जेल भेजने की धमकी।
रांची(लापुंग प्रखंड)- झारखंड में सरकार किसी भी पार्टी की रहे, यहां अवैध उत्खनन रोकने की क्षमता किसी भी पार्टी में नही, क्योंकि जिस पार्टी की सरकार रहती है, उसी पार्टी के लोग सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन में संलिप्त देखे गए हैं। पूर्व में भाजपा के नेता-कार्यकर्ता अवैध उत्खनन में नम्बर वन में थें और वर्तमान में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन के नेता-कार्यकर्ता इस अवैध कार्य में संलिप्त हैं।
लगभग 50 एकड़ क्षेत्र में फैले टुंगरी में 1 दर्जन पत्थर माफिया करवा रहे हैं अवैध उत्खनन।
मामला है रांची जिले के लापुंग प्रखंड का…यहां के मलगो पंचायत अंतर्गत विरामकेल मौजा में स्थित बीस से भी अधीक पहाड़ियों पर बिना लिज लिये, बड़े पैमाने पर पत्थर का अवैध उत्खन्न किया जा रहा है। अवैध उत्खनन के दौरान बड़े-बड़े वृक्षों की कटाई भी की जा रही है। अवैध रुप से किये जा रहे पत्थर उत्खनन और वृक्षों की कटाई से इस पंचायत के ग्रामीण काफी आक्रोशित हैं। वहीं लापुंग प्रखंड से होकर गुजर रहे कारो नदी में दर्जनों जगह से बालू की अवैध रुप से निकासी की जा रही है। थाना प्रभारी के पास इस मामले की कई बार शिकायत की गई, लेकिन थाना प्रभारी ने इनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नही की। ग्रामीण बताते हैं कि थाना प्रभारी के छत्र- छाया में ही ये अवैध कारोबार चल रहा है। थाना प्रभारी, पत्थर और बालू माफियाओं के लठैत बने हुए है।
दिन के उजाले में टर्बों और रात के अंधेरे में हाईवा से होती है पत्थर और बालू की ढुलाईः
बालू की ढुलाई से बना जंगल में रास्ता, वन विभाग की जमीन पर जमा किया जा रहा बालू का अवैध स्टॉक।
ग्रामीण बताते हैं कि लापुंग प्रखंड में पत्थर और बालू का अवैध उत्खनन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। जब यहां की ग्राम सभा माफियाओं को अवैध उत्खनन करने से रोकती है, तो माफिया थाने में जा कर हमलोगों की शिकायकत करते हैं, फिर थानेदार हमलोगों को जेल भेजने की धमकी देते हैं। हमलोग चाह कर भी गलत काम को रुकवा नहीं पा रहे हैं। दिन के उजाले में टर्बो से बालू और पत्थर का परिवहन किया जाता है और रात के अंधेरे में हाईवा से ढुलाई किया जा रहा है। इस कार्य में लगभग 80 की संख्या में टर्बों और हाईवा लगा हुआ है।
खनन माफियाओं का पक्ष लेते थानेदार ने ग्रामीणों को धमकायाः
सरहुल महोत्सव से पुर्व स्थानीय ग्रामीण हाईवा चालकों से सरहुल का चंदा मांग रहे थें, तभी वहां लापुंग थाना के थानेदार पहुंचे और ग्रामीणों को ये कह कर धमकाने लगे कि, तुम लोगों पर रंगदारी का केस कर देंगे। इस पर ग्रामीणों ने कहा कि बालू की ढुलाई हाईवा वाले रात में करते हैं, तो हमलोग रात में ही चंदा मांग रहे हैं। बडी बात ये है कि, क्षेत्र में बालू और पत्थर का अवैध उत्खनन हो रहा है, इस बात की जानकारी लापुंग थाना प्रभारी को है, और इस अवैध कार्य में उनकी संलिप्तता स्पष्ट झलक भी रही है। जरा गौर से देखियें इस वीडियों को और सुनिये थाना प्रभारी किस तरह ग्रामीणों को धमकी दे रहे हैं।
थानेदार बने हुए है माफियाओं का संरक्षकः ग्रामीण
पुलिस शब्द का अर्थ होता है- पुरुषार्थी लिप्सा रहीत सहयोगी, लेकिन थानेदार महोदय ने अपने नीजि स्वार्थपुर्ति के लिए पुलिस शब्द का अर्थ ही बदल कर रख दिया है। पुलिस का काम गैर-कानूनी कार्यों पर रोक लगाना और गैर-कानूनी कार्यों में संलिप्त लोगों को सजा दिलवाने के साथ साथ संवैधानिक मुल्यों का पालन करते हुए क्षेत्र में अमन-शांति बनाए रखना है। लापुंग क्षेत्र में जिस तरह गैर-कानूनी तरीके से बालू और पत्थर का अवैध खनन और ढुलाई हो रहा है, उस पर रोक लगाना चाहिए, लेकिन थाना प्रभारी महोदय स्वयं के आर्थिक लाभ के लिए संवैधानिक मुल्यों को दरकिनार कर इन माफियाओं का साथ दे रहे हैं। गैरकानूनी कार्य करने वाले लोग भी इसी क्षेत्र के हैं और विरोध करने वाले लोग भी। यहां थाना प्रभारी महोदय पुरी तरह गैरकानूनी कार्य में लगे लोगों का साथ देते हुए नजर आ रहे हैं, जिससे क्षेत्र में अशांति है और बंधुत्व की भावना खत्म हो रही है। यहां हो रहे बालू और पत्थर के अवैध उत्खनन से झारखंड सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपये के राजस्व का नुकशान हो रहा है। इसलिये ये कहा जा सकता है कि झारखंड पुलिस के कुछ पुलिसकर्मी अब लिप्सा रहीत सहयोगी नहीं, बल्कि लिप्सा सहित सहयोगी बन चुके है।
लापुंग के फतेहपुर, दाड़ी और मुरुप गांव में जमा है, अवैध रुप से निकाले गए बालू का बड़ा स्टॉकः
ताजा खबर झारखंड की टीम ने पुरे दो दिनों तक लापुंग प्रखंड़ में रह कर अवैध रुप से किये जा रहे पत्थर और बालू के अवैध खनन को अपने कैमरे में शूट किया। इस दौरान कई ग्राम प्रधान और ग्रामीणों से भी इस मामले में बात की। सभी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि, इस कार्य में सफेदपोश नेता से लेकर अधिकारी तक मिले हुए हैं। जो लोग अवैध रुप से खनन करवा रहे हैं, वे लोग स्थानीय हैं और किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी के नेता या सदस्य हैं। सबसे ज्यादा बालू की निकासी कारो नदी पर फतेहपुर, दाड़ी और मुरुप गांव में किया जा रहा है। सिर्फ लापुंग प्रखंड में कारो नदी पर कम से कम 10 जगहों से बालू कि अवैध निकासी की जा रही है। जंगल के रास्ते बालू का स्टॉक जमा करने के कार्य में लगे कई ट्रैक्टर को हमारी टीम ने जंगल में छुप कर कैमरे में कैद किया है।
अवैध बालू निकासी के कारन कारो नदी पर बना पुल धंसने की स्थिति मेः
लटका हुआ पुल का पाया, अवैध रुप से किये जा रहे बालू उत्खनन के कारन पुल कभी भी धंस सकता है।
अकसर लोग पुल धंसने का ठीकरा इंजीनियर और ठेकेदार पर फोड़ते हैं, लेकिन इसमें बालू खनन माफियाओं का भी बड़ा हाथ रहता है। लापुंग प्रखंड के मुरुप गांव अंतर्गत कारो नदी पर बना पुल, जो लापुंग को सीधे कर्रा से जोड़ता है, ये पुल कभी भी धंस सकता है। इस पुल के आस-पास दिन के उजाले में जेसीबी मशीन लगा कर बालू की निकासी की जा रही है, जिसके कारन पुल के पायों के पास से बालू का नामों निशान मीट चुका है और पाया लटकता हुआ देखा जा सकता है। यहां 10 से अधीक बालू माफिया बालू की निकासी जेसीबी मशीन से करवा रहे हैं।
सेमला गांव के वन सुरक्षा समिति अध्यक्ष, रामकिशोर गोप माफियाओं से वसुलते हैं पैसाः
ग्रामीण बताते हैं कि रामकिशोर गोप, जो लापुंग प्रखंड अंतर्गत सेमरा गांव का निवासी और वन सुरक्षा समिति का अध्यक्ष भी है, ये सभी टर्बो और हाईवा मालिकों से पैसा वसुलता हैं। बालू और पत्थर के अवैध खनन से इनकी मासिक कमाई लाखो में हैं। इनका खुद का भी चार-पांच वाहन बालू और पत्थर के अवैध ढुलाई में लगा हुआ है। लापुंग के बाहर से कोई भी हाईवा या टर्बो मालिक बालू या पत्थर की ढुलाई करने के लिए यहां पहुंचते हैं, तो उन्हें पहले रामकिशोर गोप (अध्यक्ष, वन सुरक्षा समिति) से ईजाजत लेनी पड़ती है, तब जाकर उनका हाईवा या टर्बो ढुलाई कार्य में लगाया जाता है। अवैध रुप से किये जा पत्थर खनन के दौरान जो बड़े-बड़े वृक्ष काटे जाते है, उसकी बिक्री भी रामकिशोर गोप ही करता है। ये जानकारी भी नाम नहीं छापने की शर्त पर ग्रामीणों ने दी।
80 से भी ज्यादा टर्बो और हाईवा से हो रही है बालू और पत्थर की ढुलाईः
अवैध रुप से किये जा रहे बालू और पत्थर खनन से तंग आकर प्रभावित गांवों के ग्रामीणों ने अवैध ढुलाई कार्य में लगे टर्बों और हाईवा की पुरी सूची तैयार की है। सूची के अनुशार 80 से भी ज्यादा टर्बों और हाईवा इस कार्य में लगाया गया है। ग्रामीण बताते हैं कि सिर्फ लापुंग थानेदार अवैध उत्खनन में लगे माफिया और वाहन चालकों से प्रतिमाह करोड़ों की उगाही कर रहे हैं।
बालू और पत्थर के अवैध उत्खनन पर जिला खनन पदाधिकारी का पक्षः
इस पुरे मामले पर “ताजा खबर झारखंड” के संवाददाता ने जिला खनन पदाधिकारी, अब्बु हुसैन से बात की और जानकारी लेने का काम किया। उनसे हुवे बातचीत का विवरण कुछ इस प्रकार है…
पत्रकार – लापुंग प्रखंड के मालगो पंचायत, मौजा विरामकेल में पत्थर खनन के लिए कूल कितना पट्टा जारी किया गया हैं?
जिला खनन पदाधिकारी – यहां पत्थर खनन के लिए कोई भी पट्टा जारी नहीं किया गया है।
पत्रकार – इस पंचायत में प्रतिदिन 20 से भी अधीक टुंगरी में पत्थर का खनन हो रहा है, क्या आपको इसकी जानकारी है?
जिला खनन पदाधिकारी – नहीं, मुझे(जिला खनन पदाधिकारी, रांची) इसकी कोई जानकारी नहीं है।
पत्रकार – खनन विभाग क्या कर रहा है?
जिला खनन पदाधिकारी – मुझे(जिला खनन पदाधिकारी, रांची) उस क्षेत्र के मुखबिरों से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हुई है।
पत्रकार – क्या आपके मुखबीर भी माफियाओं से मिले हुवे हैं?
जिला खनन पदाधिकारी – विभाग ने मानदेय पर कोई मुखबिर नियुक्त नहीं किया है। मुझे आप जैसे पत्रकार और स्थानीय लोगों से ही सूचना मिलती है। आप मुझे अवैध रुप से किये जा रहे पत्थर और बालू खनन का लोकेशन भेजिये मैं छापेमारी करुंगा।
सरकार से निवेदनः
ताजा खबर झारखंड के संवाददाता ने निर्भिक होकर अपने पत्रकारिता धर्म का निर्वाह्न करते हुए सरकार को करोड़ों रुपये राजस्व का नुकशान पहुंचा रहे माफिया, पुलिस और संबंधित विभाग के अधिकारियों की गठजोड़, झारखंड के जल-जंगल और जमीन को नुकशान पहुंचा रहे माफियाओं की पुरी करतुत जनता और सरकार के समक्ष रखने का काम किया है। ऐसे में अब संबंधित विभाग और सरकार की जिम्मेवारी बनती है कि इस मामले की जांच करवा कर झारखंड की खनीज-संपदा को लूटने से बचाए और दोषी पुलिसकर्मियों की शिनाख्त कर इन पर कानून सम्मत कार्रवाई सुनिश्चित हो।
वीडियो रिपोर्ट-