18 से 21 अगस्त तक चलने वाले 75 घंटें के किसानों का लखीमपुर महापड़ाव विफल करने के लिए दर्जनों किसान नेताओं को योगीराज्य में किया गया नजरबंद…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः 18 से 21 अगस्त तक चलने वाले किसानों का यूपी के लखीमपुर में चलने वाला महापड़ाव कार्यक्रम 18 अगस्त से शुरु हो चुका है। किसानों के इस महा पड़ाव कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत 20 से भी अधिक राज्यों से किसान लखीमपुर किसान महापड़ाव कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं। दूसरे प्रदेशों से लखीमपुर पहुंच रहे किसान और किसान नेताओं के लिए लखीमपुर पहुँचने से पहले ठहराव रेलवे स्टेशन सीतापुर में लंगर की व्यवस्था की गई है। लेकिन किसानों के इस महापड़ाव को विफल करने के लिए यूपी सरकार कोई कोर कसर नही छोड़ रही है। यूपी और बनारस के कई किसान नेताओ को घरों में ही नजरबंद कर दिया गया है, ताकि ये किसान नेता संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत किसान महापड़ाव में शामिल ना हो सकें।

वाराणसी स्थित अपने आवास में नजरबंद मजदूर नेता, सुरेश राठौड़ का बयानः

वाराणसी में अपने आवास में नजरबंद मजदूर नेता, सुरेश राठौड़ ने “ताजा खबर झारखंड” से फोन लाईन पर बात करते हुए जानकारी दिया कि, 2020-21 में लगभग 13 महिने चले किसान आंदोलन में 800 किसानों की शहादत हुई थी। सरकार ने कृषि कानून तो वापस ले लिया, लेकिन उस दौरान केन्द्र सरकार ने किसानों से जो वादा किया था, उसे आज तक पुरा नहीं किया गया। केन्द्र सरकार के गृह राज्य मंत्री, अजय मिश्र टैनी के बेटे ने चार किसानों को लखीमपुर खिरी में रौंद कर हत्या कर दिया था, उस मामलें में ना ही उनके बेटे को गिरफ्तार किया गया और ना ही गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टैनी को बर्खास्त किया गया। किसानों के और भी अन्य मांगो को लेकर लखीमपुर में किसानों द्वारा 18 से 21 अगस्त तक 75 घंटे का महापड़ाव कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसमें देश के कई राज्यों से किसान नेता और किसान पहुंचे हैं। आज सुबह(शुक्रवार,19 अगस्त) 7 बजे मेरे घर में दो पुलिसकर्मी पहुंचे। मैने उनसे पुछा कि कैसे आना हुआ, तो पुलिसकर्मी ने बताया कि हमलोगों को ऐसे सूचना मिली है कि, लखीमपुर खिरी में जो आंदोलन चल रहा है, उसे लेकर आपलोग भी यहां आंदोलन करने वाले हैं, हमलोगों को आदेश मिला है कि, आंदोलन करने वाले लोगों को घर पर ही नजरबंद रखा जाए। हमने कहा कि किस कानून के तहत आप मुझे नजरबंद कर रहे हैं, तो पुलिसकर्मी ने कहा कि हमलोगों को आदेश मिला है, इस पर मैने आर्डर की कॉपी मांगा तो पुलिसकर्मी ने कहा हमलोगों को मौखिक आदेश मिला है। इस पर मैने कहा कि ये तो कानून का उल्लंघन है, आप हमारे निजता पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। इस पर पुलिसकर्मी ने कहा, आपको जो समझना है समझिये, हम लोग अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। इसके बाद से ही मेरे घर पर पुलिस का पहरा लगा हुआ है।

केन्द्र सरकार के इशारे पर सरकारी संस्थाएं कर रही है संवैधानिक अधिकारों का हननः     

सामाचार लिखे जाने तक मिली सूचना के अनुशार पूर्वांचल किसान यूनियन के अध्यक्ष, योगीराज पटेल, बनारस के नंदलाल मास्टर, संयोजक, लोक समिति, किसान नेता रामजनम यादव, लक्ष्मण यादव, शिवशंकर सिंह, वाराणसी के मजदूर नेता सुरेश राठौड़ समेत दर्जनों किसान नेताओं को नजर बंद कर दिया गया है। इनके आवासों पर भी सुबह से ही पुलिस का पहरा लगा हुआ है। कूल मिला कर हम लोग अब फासीवाद के दौर से गुजर रहे हैं। केन्द्र सरकार लोकतांत्रिक देश भारत में लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन अपने स्वार्थ की पूर्ति करने के लिए कर रहा है।

18 अगस्त की सुबह 10 बजे से लगातार 75 घंटों तक चलने वाले इस महापड़ाव कार्यक्रम के जरिए किसान सरकार की वादा खिलाफी और किसानों के प्रति बदले की भावना से प्रेरित कार्यवाहियों की ओर देश का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। धरने के दौरान सरकार के समक्ष निम्नलिखित मांगें रखी गई हैः-

 *    लखीमपुर खीरी जिला के तिकोणिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या करने की साजिश रचने के मामले में दोषी, केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टैनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए।

 * लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जिन किसानों को निर्दोष होते हुए भी जेल में बंद किया है, उनको अविलंब रिहा किया जाए और उनके ऊपर लगाए गए झुठे मुकदमे तुरन्त वापस लिए जाएं। शहीद किसान परिवारों एवं घायल किसानों को मुआवजा देने का वादा सरकार पूरा करे।

 * सभी फसलों के ऊपर स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के आधार पर सी-2 +50% के फार्मूले से एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए और केन्द्र सरकार द्वारा एम एसपी पर गठित किसान विरोधी कमेटी को रद्द करते हुए सभी फसलों की बिकवाली एमएसपी पर होने की निगरानी के लिए समिति का गठन फिर से किया जाए।

* किसान आन्दोलन के दौरान केन्द्र शासित प्रदेशों व अन्य राज्यों में जो केस किसानों के ऊपर लादे गए हैं, सभी अविलंब वापस लिए जाएं।

* जनविरोधी बिजली बिल 2022 वापस लिया जाए।

* भारत के सभी किसानों के सभी प्रकार के कर्ज समाप्त करते हुए उन्हें ऋण मुक्त किया जाए।

* उत्तर प्रदेश के सभी गन्ना मिलों की तरफ से किसानों की बकाया राशि का तुरंत भुगतान किया जाए।

* वर्षों से जंगल को आबाद कर देश के विभिन्न प्रांतों से आए लखीमपुर एवं अन्य जनपदों से आकर बसे किसानों, यहाँ तक कि मूलनिवासियों को ज़मीन से बेदख़ल करने का नोटिस देना बंद किए जाए।

लखीमपुर किसान महा पड़ाव धरन-प्रदर्शन कार्यक्रम में केन्द्रीय समन्वय समिति के डा. दर्शन पाल के अलावा जय किसान आन्दोलन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक लांबा, भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल शर्मा, किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष भारत सिंह, प्रांतीय सचिव मुकुट सिंह, तराई किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तजिन्दर सिंह विर्क, प्रोग्रेसिव फार्मर फ्रंट के गुरमनीत सिंह मांगट, क्रांतिकारी किसान यूनियन के शशिकांत, भाकियू तराई क्षेत्र प्रभारी बलजिन्दर सिंह मान, भाकियू लखीमपुर जिलाध्यक्ष दिलबाग सिंह, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रांतीय सचिव विमल त्रिवेदी, संगतिन किसान मजदूर संगठन से ऋचा सिंह, मजदूर किसान एकता मंच से राजेश आजाद एवं एस बी आजाद, पिन्दरसिंह सिद्धू, जनवादी किसान सभा के रजनीश भारती, किसान विकास मंच के राम अवध, बलवन्त यादव समेत कई प्रमुख किसान नेता शामिल हैं।

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