रांची में 10 जून को हुए प्रदर्शन में गिरफ्तार 2 लोगों की ज़मानत मंजुर, एपीसीआर कर रही है पैरवी…

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ब्यूरो रिपोर्ट…

रांची- कुछ महीनों पहले पूर्व बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के राष्ट्रीय टेलीविजन पर पैगंबर मुहम्मद साहब पर दिए अशोभनीय बयान के विरोध में देश के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन हुए थें। इसी कड़ी में 10 जून 2022 को रांची में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसमे कथित पुलिस फायरिंग में 2 लोगों की मौत और कई अन्य लोगों को गोली लगी थी। इस घटना में तबारक कुरैशी और सरफराज भी गोली लगने से बुरी तरह ज़ख़्मी हुए थे और इलाज के उपरांत ही पुलिस ने इन सभी पर मुक़दमा दर्ज करके अस्पताल से ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। झारखंड पुलिस ने डेलीमार्केट थाना में FIR संख्या 16/2022 में 147, 148, 149, 341, 353, 295A, 153A, 504, और 120B भारतीय दंड सहिंता की संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।

एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) इन सभी और अन्य प्रदर्शनकारियों के मुकदमों की मुफ्त कानूनी पैरवी कर रही हैः

एपीसीआर के अधिवक्ता मोहम्मद शादाब को सुनने के बाद माननीय झारखंड हाई कोर्ट ने दो लोगों की जमानत अर्ज़ी मंजूर कर दी है, लेकिन इन दोनों को अभी भी जेल में ही रहना होगा, क्योंकि इन पर दो मुकदमे और भी दर्ज हैं, जिनमे अभी ज़मानत मिलना बाकी है।

एपीसीआर झारखंड के राज्य सचिव जियाउल्लाह ने कहा- एपीसीआर बेकसूर, कमज़ोर और मज़लूमो को इंसाफ दिलाने की अपनी कोशिशें जारी रखेगीः

एपीसीआर के महासचिव, मलिक मोहतसिम खान ने कहा, “एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने की अपनी विरासत को जारी रखेगा, ताकि कानून का शासन बना रहे। हम आशा करते हैं कि भारत में विभिन्न न्यायालयों में लंबित सैकड़ों अन्य मामलों में मौलिक अधिकारों को इसी तरह सुनिश्चित कराया जाएगा।

दोषी साबित होने तक प्रत्येक आरोपी व्यक्ति निर्दोष होता हैः

एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) का दृढ़ विश्वास है कि, दोषी साबित होने तक प्रत्येक आरोपी व्यक्ति निर्दोष होता है और “जमानत एक नियम है, जेल एक अपवाद है,” जैसा कि भारत की सर्वोच्च न्यायालय अपने ऐतिहासिक फैसले राजस्थान बनाम बालचंद उर्फ ​​बलिया में भी कह चुकी है।

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