कोलेबिरा थाना क्षेत्र में पुलिस के आंखों के सामने संजू प्रधान को जलाया गया था, संविधान के अनुच्छेद 21 का पुलिस के सामने किया गया उल्लंघन.

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रिपोर्ट- संजय वर्मा (कोलेबिरा से लौट कर)

कोलेबिराः मैं पुलिस का पैर पकड़ कर बार-बार ये कहते रही कि, सर फायरिंग किजिए ना, सर फायरिंग किजिए ना, लेकिन पुलिस फायरिंग नहीं की और उनलोगों ने मेरे बेटे को लकड़ी में दबा कर जला दिया। उस वक्त भी संजू लकड़ी के अंदर से अपने हांथ-पैर हीला रहा था….ये कहना है मृतक संजू प्रधान की मां, धनमैत देवी का…. 

मां पुलिस के सामने बेटे को बचाने के लिए गिड़गिड़ाते रही, पुलिस मुकदर्शक बने रही।

संजू प्रधान की हत्या करने में उनके तीन सगे चाचा भी शामिल।

सिमडेगा डीएफओ सही समय पर कदम उठाते, तो घटना रोका जा सकता था।

न्याय नहीं मिलने से नाराज थें खूंटकटी गांव के ग्रामीण।

13 पर नामजद और 150 से अधीक पर अज्ञात प्राथमिकी दर्ज।

6 जनवरी को तीन आरोपी गिरफ्तार, तीनों मृतक के सगे चाचा।

घटना चार जनवरी को सिमडेगा जिला के कोलेबिरा थाना क्षेत्र में घटित हुई, जहां हजारों की भीड़ ने पहले संजू प्रधान नामक युवक की जम कर पीटाई की, फिर उसे पास ही रखे लड़ियों में दबा कर आग के हवाले कर दिया। घटना के वक्त कोलेबिरा और ठेठईटांगर थाना की पुलिस घटनास्थल पर मौजुद थी बावजुद इस हृदयविदारक घटना को पुलिस के सामने अंजाम दे दिया गया और पुलिस मुकदर्शक बन पुरे घटनाक्रम को देखते रही।

6 जनवरी को “ताजा खबर झारखंड” की टीम और “एचआरएलएन” के राज्य प्रमुख सह “पीयूसीएल” के सदस्य, अनूप अग्रवाल ने कोलेबिरा थाना क्षेत्र स्थित घटना स्थल का दौरा किया और हर पहलू की जांच काफी गंभीरता से की। सबसे पहले हमारी टीम ने बोम्बलकेरा गांव के ग्रामीणों से बात कर पुरे घटना क्रम की जानकारी ली।  बोम्बलकेरा के सचिव नेलशन बुढ़ ने बताया कि संजू प्रधान अपराधी किस्म का युवक था, नक्सली गतिविधियों में संलिप्त रहने के कारन वो जेल भी जा चुका है। हमलोगों का गांव मुंडारी खूंटकटी जमीन है, जिस पर सिर्फ जोतदारों का अधिकार है। 15 अक्टूबर को उसने अवैध तरीके से साल का 10 पेड़ काट दिया और कूल 52 बोटा बनाया। जानकारी मिलने पर हमलोगों ने इसकी सूचना विधायक, विक्सल कोंगाड़ी के माध्यम से सिमडेगा डीएफओ को दिया, जिसके बाद वन विभाग की टीम गांव पहुंची और 34 बोटा जब्त कर अपने साथ ले गया। संजू प्रधान 26 बोटा बेच चुका था। वन विभाग ने केस तो दर्ज किया लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया। इसके दूसरे ही दिन संजू प्रधान ने गांव के ग्रामीण सुलेमान बुढ़ को धमकी दिया कि, मेरा जितना बोटा जब्त करवाया है, उतने लोगों को हम गोली मारेंगे। जब वन विभाग ने उसे गिरफ्तार नही किया तो उसने 28 दिसंबर को और 6 पेड़ काट दिया। सूचना मिलने पर जब ग्रामीण वहां पहुंचे तो 6 पेड़ काटा हुआ देखा गया, लेकिन बोटा गायब था। जिसके बाद हमलोगों ने इस मुद्दे को लेकर 4 जनवरी को सभी खूंटकटी गांव के ग्रामीणों की मीटिंग बोम्बलकेरा में रखा, जिसमें लगभग 1500 ग्रामीण उपस्थित हुएं। बैठक में आने के लिए कोलेबिरा पुलिस और डीएफओ से भी कहा गया। पुलिस तो पहुंची लेकिन वन विभाग के अधिकारी नहीं पहुंचे। मीटिंग में संजू प्रधान को भी बुलाया गया था, लेकिन वो भी नहीं पहुंचा। जिसके बाद पुलिस की मौजुदगी में सभी ग्रामीणों ने उसके घर बेसराजारा जाने का निर्णय लिया और वहां पहुंचा। उस वक्त संजू अपनी पत्नी के साथ घर के बाहर ही बैठा हुआ था। हमलोगों ने पुलिस के सामने ही संजू से पेड़ काटे जाने के संबंध में पुछताछ करना शुरु किया, लेकिन वो हमलोगों के समक्ष हर बात ईन्कार करता रहा, तभी भीड में ही उपस्थित किसी व्यक्ति ने उसे एक झापड़ मारा, फिर कई लोग उस पर टुट पड़ें, जिसके बाद पुरी घटना हुई।  

घटना से पूर्व इसी स्थल पर हुई थी ग्रामसभा की बैठक, जहां पुलिस और डीएफओ को भी बुलाया गया था.

मैं पुलिस को गोली चलाने के लिए कहते रही, लेकिन पुलिस ने गोली नही चलाया, पुलिस चुपचाप सब देखते रहीः धनमैत देवी, चश्मदीद, मृतक की मां

घटना की चश्मदीद गवाह, मृतक संजू प्रधान भोक्ता की मां धनमैत देवी ने घटना के बारे में बताया कि मेरे नये घर में काफी संख्या में लोग पहुंचे है, जब ये सूचना मुझे मिली तो मैं अपने पुराने घर से भागे-भागे नये घर में पहुंची, जहां घर से 100 मीटर की दूरी पर मेरे बेटे संजू को लकड़ी में दबा दिया गया था। और आग लगाने की तैयारी कर रहे थें। संजू लकड़ी के नीचे दबे होने के बावजुद हांथ-पैर हिला रहा था। हम रोते हुए वहीं पर रायफल लेकर खड़े पुलिस का पैर पकड़ लिएं और कहने लगे कि सर फायर किजिए ना, फायर किजिए ना, लेकिन पुलिस फायर नही किया। पुलिस चीता जलते हुए देखते रही।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघनः

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि, “किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नही किया जा सकता है”। जीवन का अधिकार एक नैतिक सिद्धांत है, जो इस विश्वास के आधार पर है कि, एक इंसान को जीने का अधिकार है और विशेष रुप से किसी अन्य इंसान द्वारा मारा नहीं जाना चाहिए।

पुलिस विभाग, जो संविधान का रक्षक और न्याय दिलाने में मददगार विभाग है, इसके सामने जिन्दा रहने का अधिकार छिना गया, और ये मुकदर्शक बन देखते रही।  

घटना होने की सूचना पाकर पुलिस पहुंची थी घटना स्थल परः एसपी, सिमडेगा

सिमडेगा एसपी, शम्स तबरेज ने मीडिया में बयान दिया है कि, घटना के समय पुलिस घटना स्थल पर मौजुद नहीं थी, पुलिस घटना होने की सूचना पाकर घटना स्थल पर पहुंची थी। जबकि मृतक संजू प्रधान की मां और आरोपी गांव वाले इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि, कोलेबिरा और ठेठईटांगर थाना की पुलिस घटना स्थल पर मौजुद थी।     

बोम्बलकेरा गांव के 13 ग्रामीणों पर नामजद और 150 पर अज्ञात नाम से प्राथमिकी दर्ज, तीन की हुई गिरफ्तारीः

मृतक संजू प्रधान की पत्नी 19 वर्षीय सपना देवी के बयान पर बोम्बलकेरा गांव के कूल 13 ग्रामीणों पर नामजद और 150 से अधीक लोगों पर अज्ञात नाम से प्राथमिकी दर्ज किया गया है। इनके उपर आईपीसी की धारा-147-148-149-364-302 और 201 लगाया गया है।

हत्याकांड को अंजाम देने में मृतक के तीन सगे चाचा भी शामिलः

4 जनवरी की सुबह नौ बजे बोम्बलकेरा में आयोजित ग्रामसभा की बैठक में मृतक संजू प्रधान के तीन सगे चाचा, लोढ़े प्रधान, नरपति प्रधान और महेश्वर प्रधान भी शामिल थें। इसके अलावा मृतक के दो सगे भाई भी ग्राम सभा की बैठक में उपस्थित थें। संजू प्रधान की पीटाई और हत्या करने में मृतक संजू की पत्नी, जो घटना की चश्मदीद गवाह है, उसने अपने तीन सगे चाचा का भी नाम एफ.आई.आर. में दर्ज करवाया है, जो इस ओर इंगित करता है कि मामला आपसी रंजिश का भी हो सकता है। कोलेबिरा थाने की पुलिस ने 6 जनवरी को मृतक संजू प्रधान के तीनों सगे चाचा लोढ़े प्रधान, नरपति प्रधान और महेश्वर प्रधान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अन्य की खोजबीन जारी है।

आरोपियों के नामः    

  1. जिलेन लुगुन- बोंबलकेरा
  2. नेलशन बुढ़, सचिव- बोंबलकेरा
  3. सुभान बुढ़, ग्राम प्रधान- बोंबलकेरा
  4. उदय समद- बोंबलकेरा
  5. मनसीद बुढ़ – बोंबलकेरा
  6. विश्राम बुढ़, उपाध्यक्ष – बोंबलकेरा
  7. सुरेन डांग – बोंबलकेरा
  8. सुरसेन मुंडु – बोंबलकेरा
  9. लोबेन डांग – बोंबलकेरा
  10. रेयादन जोजो – बोंबलकेरा
  11. लोढ़े प्रधान – बोंबलकेरा
  12. नरपति प्रधान – बोंबलकेरा
  13. महेश्वर प्रधान – बोंबलकेरा

इस घटना के लिए पुलिस प्रशासन और वन विभाग जिम्मेवारः विक्सल कोंगाड़ी, विधायक सिमडेगा

सिमडेगा से कांग्रेस विधायक, विक्सल कोंगाड़ी घटना की जानकारी ग्रामीणों से लेते हुए.

घटना के दिन 4 जनवरी को सिमडेगा विधायक, विक्सल कोंगाड़ी सिमडेगा में मौजुद नही थें, वे पार्टी के काम से रांची में थें। विधायक ने पुरे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि, दो तीन माह पहले गांव वालों ने मुझे जानकारी दिया था कि, मुंडारी-खूंटकटी जमीन में लगे साल के वृक्षों की कटाई कुछ  असमाजिक तत्व कर रहे हैं। जानकारी मिलने के बाद मैंने गांव के बुद्धिजिवी लोगों को अपने कार्यालय में बुलाया और उन्हें लेकर सिमडेगा डीएफओ के पास पहुंचा। पुरे मामले की जानकारी देने के बाद डीएफओ से आग्रह किया कि अविलंब असामाजिक तत्वों की गिरफ्तारी हो और पेड़ो की कटाई ना हो ये सुनिश्चित करें। इस सूचना पर वन विभाग की टीम गांव पहुंची और छापेमारी कर 34 बोटा जब्त कर अपने साथ ले आई। आरोपी संजू प्रधान पर केस भी दर्ज किया गया, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई। 4 जनवरी को भी जिस दिन घटना हुई उस दिन गांव वालों ने मुझे फोन कर कहा था कि पुलिस और वन विभाग हमलोगों की बात नही सुनता है। आप दोनो को फोन पर बोम्बलकेरा आने के लिए बोलिए हम सभी खूंटकटी गांव के ग्रामीण यहा 10 बजे से मीटिंग कर रहे हैं। इसके बाद मैंने फोन कर अविलंब उन्हें गांव जाने के लिए कहा। मुझे जानकारी मिली की पुलिस तो पहुंची लेकिन वन विभाग के अधिकारी नही पहुंचे थें। अगर वन विभाग पहुंचती तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता। वन विभाग का नाकारात्म रवैये से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ा और कानून से भरोषा उठा। अगर वन विभाग समय पर पहुंचती ये इतनी बड़ी घटना नही होती। इस मामले में जांच कमेटी गठीत होगी और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सरकार कार्रवाई करेगी।

मुझे मोम्बलकेरा पहुंचने में देरी हुईः अरविन्द कुमार गुप्ता, डीएफओ, सिमडेगा

सिमडेगा डीएफओ, अरविन्द कुमार गुप्ता से जब हमारी टीम ने इस बाबत सवाल किया तो उन्होंने स्वीकार किया कि, 4 जनवरी घटना वाले दिन सुबह में विधायक ने मुझे फोन कर बोम्बलकेरा पहुंचने के लिए कहा था, लेकिन अधिकारियों को सामान जुटाने और निकलने में देरी हुई। पुरी तैयारी के साथ जब वन विभाग की टीम लगभग 1.30 बजे वहां पहुंची, तो दूर से ही 7-8 फीट उंची आग की लपटें उठती हुई दिखाई पड़ी। कुछ लोगों ने मुझे घटना की जानकारी दी, जिसके बाद मैं वहां से वापस लौट गया।

संवैधानिक संस्थानों की विश्वसनीयता कम होते जा रही हैः

कूल मिला कर संवैधानिक मुल्यों का उल्लंघन लगातार जारी है। कुछ समय पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा था कि, संवैधानिक संस्थानों की विश्वसनीयता कम हो गई है, क्योंकि यहां पदों पर बैठे लोगों के पास संविधान को बरकरार रखने की हिम्मत नहीं है।

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