ताजा खबर में क्वारंटीन सेन्टरों की बदहाल स्थिति के प्रसारण के बाद अधिकारी हुएं रेस…

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रिपोर्ट- वसीम अकरम…

राँचीः वैश्विक महामारी, के दौर में लाखों की संख्या में झारखंड पहुंच रहे प्रवासी मजदूरों को 14 दिनों के क्वारंटीन पर रखना है। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में पंचायत स्तर पर सरकारी भवन, स्कूल भवन और पंचायत सचिवालयों में क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है, जिसका जायजा “ताजा खबर झारखंड” की टीम पंचायतों का दौरा कर लगातार ले रही है। नामकुम प्रखंड के राजाउलातु पंचायत, रामपुर पंचायत और हुवांगहातू पंचायत के बाद “ताजा खबर झारखंड” के मुख्य संवाददाता वसीम अकरम ने कांके प्रखंड के राड़हा और ईचापीढ़ी पंचायत में बनाए गए क्वारंटीन सेंटरों का जायजा बिते मंगलवार के लिया था, जहां क्वारंटीन के नाम पर मात्र खानापूर्ति देखने को मिला। यहां क्वारंटीन पर रखे गए प्रवासी मजदूरों को मुख्य सचिव के गाईड लाईन के अनुशार भोजन, पेयजल, उचित चिकित्सा, सोने के लिए बिस्तर और अन्य सुविधाएं प्रवासी मजदूरों को उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा था। इसके अलावा क्वारंटीन पर रह रहे मजदूरों से उनके परिजन लगातार संपर्क में थें। अधिकारियों द्वारा भोजन नही उपलब्ध करवाए जाने के कारन मजदूरों के परिजन ही मजदूरों को घर से खाना लाकर पहुंचा रहे थें, साथ ही मजदूर खूले में शौच करने के लिए विवश थें, सिर्फ इतना ही नही यहां रह रहे प्रवासी मजदूर गांव के ही सामुदायिक कुंवा और तालाबों का उपयोग कर रहे थें। इस खबर का प्रसारण मंगलवार को “ताजा खबर झारखंड” में काफी प्रमुखता के साथ किया गया था, जिसके बाद बुधवार को कांके प्रखंड कार्यलय के अधिकारी रेस हुएं और कांके प्रखंड के सुदूरवर्ती पंचायतों में बनाए गए क्वारंटीन सेंटरों का जायजा लिया और प्रवासी मजदूरों को सुविधा उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया।

हमलोगों से जितना कहा गया हमलोंगों ने कियाः पंचायत सेवक, राड़हा पंचायत

बुधवार को भी जब हमारी टीम राड़हा पंचायत के क्वारंटीन सेंटर में पहुंची, तब एक पंचायत सेवक भी वहां मौजुद थें। जब “ताजा खबर झारखंड” की टीम ने उनसे सुविधाओं के बाबत सवाल किया, तो उन्होंने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि मुझे गाईड लाईन की जानकारी नही, मुझे जितना कहा गया है मैने उतना किया है।

सिर्फ कागजों में ही चल रहा है क्वारंटीन सेंटरः अनूप अग्रवाल, अधिवक्ता

जिस वक्त “ताजा खबर झारखंड” की टीम राड़हा पंचायत के पंचायत सचिवालय में मौजुद थी, उसी दौरान झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता, अनूप अग्रवाल भी अपनी टीम के साथ क्वारंटीन सेंटरों की जांच के लिए पहुंचे हुए थें। उन्होंने बताया कि अब तक हमारी टीम ने जहां कहीं भी जांच किया है, वहां क्वारंटीन सेन्टरों के नाम पर मात्र खानापूर्ति की गई है। जब क्वारंटीन पर रखे गए मजदूर गांवों में भ्रमण कर रहे हैं, तो क्वारंटीन का कोई मतलब नही रह जाता है। इन पर निगरानी के लिए ब्लॉक स्तर से किसी भी अधिकारी की नियुक्ति नही की गई है, इन्हें खाना तक मुहैया नही करवाया गया है। कूल मिला कर सिर्फ कागजों पर ही क्वारंटीन सेंटर चलाया जा रहा है।

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