कांके अंचल कार्लायालय में बिचौलियों का दबदबा, अंचल कार्यालयों में चलाया जाएगा “सीओ हाजिर हो” अभियान…

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रिपोर्ट- वसीम अकरम…

रांची(कांके प्रखंड) – जय झारखण्ड अभियान द्वारा रविवार को लीडर्स मीट कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन में राज्य के अंचल कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार और आम नागरिकों के कानूनी अधिकार के मुद्दे पर चर्चा किया गया। आयोजकों ने बताया कि राज्य के अंचल कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार से राज्य का प्रत्येक परिवार किसी न किसी रूप से प्रभावित है। अपने वाजिब काम कराने के लिए भी लोगों को दलालों पास जाना पड़ता है। अंचल के सीओ और कर्मचारी उन्हीं लोगों का काम करते हैं, जो लोग बिचौलियों के माध्यम से उन तक पहुंचते हैं। अगर अपने वाजिब काम करवाने के लिए व्यक्ति सीधे सीओ या कर्मचारी के पास जाते हैं, तो उन्हें कोई ना कोई बहना बना कर अंचल कार्यालय का चक्कर लगवाया जाता है। व्यक्ति रोज-रोज की आपाधापी से तंग आकर बिचौलियों के पास जाने के लिए मजबूर हो जाता है, और बिचौलिया व्यक्ति से रुपये लेकर वही काम चंद घंटे या चंद दिनों में ही करवा देता है। बिचौलिया जो रुपये लेता है, उसमें सीओ और कर्मचारी का भी कमिशन फिक्स रहता है। यही कारन है कि सीओ और कर्मचारी वाजिब का के लिए भी लोगों को बिचौलिया के पास जाने के लिए मजबुर कर देता है। अंचल अधिकारियों की मिलीभगत से खतियान में दर्ज जल-जंगल और जमीन गायब कर दिया जा रहा है। जाली दस्तावेजों और फर्जीवाड़ा कर सरकारी जमीन का भी कागजात, जमीन माफिया के नाम पर बना दिया जा रहा है। ऑनलाइन खतियान में प्लॉट नंबर की जगह शुन्य दर्ज कर दिया जाता है।

अंचल कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार का असर युवाओं पर भी पड़ रहा हैः

अंचल कार्यालय में सिर्फ जमीन का ही काम नही होता, बल्कि जाति प्रमाण-पत्र, आवासीय प्रमाण-पत्र और आय प्रमाण-पत्र भी अंचल कार्यालय से ही निर्गत होता है। शिक्षा या नोकरी के लिए छात्र इन प्रमाण पत्रों के लिए जब आवेदन जमा करते हैं, तो उन्हें भी ये प्रमाण पत्र समय पर नहीं दिया जाता है, जिसके कारन युवा इन प्रमाण पत्रों के अभाव में नौकरी के लिए समय पर आवेदन नहीं कर पाते हैं, परिणाम स्वरूप युवा वर्ग नौकरी से वंचित हो जा रहे हैं और बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। अंचल अधिकारी और आम नागरिकों के बीच सीधे संवाद नहीं हो पा रहा है। संवाद के सभी रास्ते अंचल कार्यालय बंद कर चुका है। संवाद के इसी रास्ते को खोलने के लिए संगठन द्वारा राज्यव्यापी अभियान “सी. ओ. हाजिर” हो चलाने की शुरुवात जल्द ही की जाएगी।

अंचल अधिकारियों को अपने कार्यक्षेत्र में प्रति वर्ष 120 दिन राजस्व ग्रामों का दौरा करना हैः सरफराज अंसारी

वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता सह समाजसेवी सरफराज अंसारी ने बताया कि सरकारी आदेश के अनुसार अंचल अधिकारियों को अपने कार्यक्षेत्र में प्रति वर्ष 120 दिन राजस्व ग्रामों का दौरा करना है और बैठकों के दौरान आए मामलों को विलेज नोट बुक में दर्ज किया जाना है। नियम के अनुसार जिले के उपायुक्त, अपर समाहर्ता, भूमि सुधार उप-समाहर्ता और अनुमंडल पदाधिकारियों को भी अंचल कार्यालयों का समय-समय पर निरीक्षण करना है। सरफराज अंसारी ने कांके अंचल सह प्रखण्ड कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर होने की बात कही। उन्होंने कहा कि, कांके के लोगों को जमीन संबंधित कार्यों के लिए बिचौलियों और दलालों का सहारा लेना पड़ता है जिसके लिए उसे बहुत पैसे देने होते हैं। बिना पैसा दिए कांके अंचल कार्यालय में कोई भी कार्य नही होता है। सरकार के जनकल्याणकारी योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार होता है।

सरकारी आदेश का पालन अधिकारियों द्वारा नही किया जाना भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत अपराध हैः सुनील महतो, अधिवक्ता

कार्यक्रम के मुख्य संयोजक, अधिवक्ता सुनील महतो ने बताया कि सरकारी आदेश का पालन ना करना भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत अपराध है और ऐसे अंचल अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई की जाएगी। कार्यक्रम के पश्चात कुछ प्रस्ताव पारित हुए जिसमें उपस्थित सदस्यों को जिला स्तर पर संयोजक समिति गठन करने रक सहमति बनी। संयोजक समिति राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों को इस संबंध में माँग पत्र सौंपने और अंचल अधिकारी के सेवा कर्तव्य नियमावली के पालन सुनिश्चित कराने का काम करेंगी।

लीडर्स मीट कार्यक्रम में झारखण्ड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता विनोद सिंह, अधिवक्ता योगेन्द्र प्रसाद, बिमल अरविंद, विशाल सिन्हा, संतोष महतो, विक्की कुमार, एस अली, आनंद किशोर पाण्डा, अधिवक्ता छेदी कुमार, बबलू महतो, अनूप कुमार, टेकलाल महतो, बसंत कुमार, कमलेश महतो, सरफराज अंसारी, बोनेया महतो, जियाउल हक, रेहान अंसारी, गौतम कुमार, उदय, राजेश कुमार, किशन गंझु, सुलभ मिश्रा सहित 18 ज़िलों के प्रतिनिधि शामिल हुएं।

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