Categories
मुद्दा Latest News

ऑनलाईन भू-दस्तावेजों में गड़बड़ी से ग्रामीणों में भारी आक्रोश, जल्द ही सुधार नहीं किया गया, तो आंदोलन की रुपरेखा है तैयार…

10

रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः मध्य झारखंड में हो रही है झमाझम बारिश और तेजा हवाओं के झोंकों के बीच खूंटी जिला, तोरपा प्रखंड के अम्मा पंचायत स्थित बाजार टांड के एक झोपड़ी में गांव के तीन दर्जन से अधीक लोग बैठ कर गहण विचार-विमर्श कर रहे हैं। इन तीन दर्जन लोगों में अपने जीवन के 7 दशक देख चुके कई बुजूर्ग, रोजगार की तलाश में भटक रहे कुछ युवा और बीए-पार्ट-3 में पढ़ाई कर रही छात्रा के साथ-साथ अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित माताएं भी मौजुद है। झमाझम बारिश और तेज गति से बह रही हवाओं का शोर भी इनके गहन विचार-विमर्श में बाधा उत्पन्न नही कर पा रही है, क्योंकि मुद्दा ही इतना गंभीर है कि, इनके रातों की निंद, और दिन का चैन उड़ चुका है।

झोपड़ी में मौजुद ग्रामीणों में कुछ लोग ये जानने के प्रयास में लगे हुए हैं कि, उनके खतियान में पांच प्लॉट था, जिसमें से एक प्लॉट ओन लाईन खतियान में गायब है। एक रैयत ने जब ऑनलाईन खतियान निकाला तो उसमें जमीन का कूल रकबा कम दर्शाया गया है, तो वहीं कुछ लोग ये जानने के प्रयास में लगे हैं कि, खतियान से रैयत का नाम क्यों हटा दिया गया है। बैठक में मौजुद ज्यादातर लोग ये जानने के लिए जुटे हैं कि, जमीन का लगान रशीद क्यों नही काटा जा रहा है?

अम्मा पंचायत के बाजार टांड में आंदोलन की रणनीति बनाते ग्रामीण.

पौलुस तोपनो बताते हैं कि, ओरिजिनल खतियान में पांच परिजनों का नाम दर्ज है, लेकिन ऑनलाईन खतियान में एक परिजन(दादू) का नाम छोड़ दिया गया है। पुराना खतियान कई जगहों से फट चुका है। जब हम खतियान का कॉपी निकलवाने खूंटी गएं, तो वहां मुझे 12 पेज के खतियान का कॉपी निकलवाने के लिए 30 हजार रुपया खर्च करना पड़ा। गांव की ही विश्वासी तोपनो बताती हैं कि, मेरे जमीन का लगान रशीद 2015 तक कटा है, लेकिन अब नहीं काटा जा रहा है। अंचल कार्यालय के अधिकारी पुछने पर कोई जवाब नही देते।

ऑनलाईन दस्तावेज में सुधार नहीं होने पर सड़कों पर उतरेगी जनताः

बैठक का संचालन कर रहे आदिवासी अस्तित्व रक्षा मंच के तुरतन तोपनो और हाद्दू तोपनो ने बताया कि, बैठक में मौजुद सभी लोग जमीन का पेपर ऑनलाईन किए जाने और लैंड बैंक बनाए जाने के बाद से ही परेशान हैं। ये लोग लगातार ऑनलाईन रिकार्ड में हुए त्रुटियों को सुधरवाने के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन इन्हें बार-बार कर्मचारियों द्वारा दौड़ाया जा रहा है। कुछ लोग घुस में मोटी रकम कर्मचारियों को देकर अपना काम करवा रहे हैं। ग्रामीणों की इसी समस्या को देखते हुए आदिवासी अस्तित्व रक्षा मंच ने निर्णय लिया है कि, सभी पीड़ित ग्रामीणों के साथ सामुहिक रुप से ऑनलाईन रिकॉर्ड में हुए त्रुटि को सुधारने के लिए एक साथ आवेदन अंचल कार्यालय में दिया जाना चाहिए। अगर इस पर भी कार्रवाई नही होती है, तो आगे चल कर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

आदिवासी-मुलवासियों की जमीन लूट कर बनाया गया लैंड बैंकः दयामणि बारला

झारखंड की आयरन लेडी, दयामणि बारला कहती हैं कि जब सरकार ने पांचवी अनुसूची के तहत कानून के दायरे में ग्रामीणों को मालिकाना अधीकार दिया है, तो उस जमीन को लेने के लिए सबसे पहले सरकार को ग्रामसभा में आना चाहिए था, उनकी सहमति ली जानी चाहिए, लेकिन रघुवर सरकार ने ऐसा नहीं किया। 2014 में झारखंड की सत्ता में काबिज होने के बाद रघुवर सरकार ने राज्य में पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए पूंजीपतियों को राज्य में आमंत्रित करते हुए सैंकड़ों की संख्या में एमओयू किया। सरकार को ये दिखाना था कि राज्य सरकार के पास लाखों एकड़ जमीन मौजुद है। दिसंबर 2014 में रघुवर सरकार ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के माध्यस से सभी जिलों के उपायुक्तों को एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें निजी भूमि को छोड़ कर सभी प्रकार के भूमि का डेटा तैयार करने का आदेश दिया गया। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के इसी सर्कुलर के बाद विभाग द्वारा एक वेबसाईट लांच कर उसमें राज्य सरकार के पास 2,097,0003.81 एकड़ भूमि राज्य सरकार के लैंड बाद में दिखाया गया है।

रघुवर सरकार ने लैंड बैक तैयार करने में पांचवीं अनुसूचि के प्रावधानों का किया उल्लंघनः

आयरन लेडी दयामणि बारला ने अपनी बातो को जारी रखते हुए बताया कि, सरकार के भूमि बैंक में ग्रामसभा के अधीकार वाले भूमि को भी शामिल कर दिया गया है। आदिवासियों के चारागाह, खेल के मैदान, पवित्र पूजा स्थल, जिसमें हड़गड़ी, सरना-मसना स्थल, जाहेरथान, देशावली की भी भूमि शामिल है। कुछ जगहों पर तो बहती नदी की जमीन को भी लैंड बैंक में दर्शाया गया है। चुंकि पांचवी अनुसूची क्षेत्र में किसी भी बदलाव के लिए राज्यपाल की अनुमति अनिवार्य होती है, फिर टीएसी, जिसका अनुमोदन किए जाने वाले बदवाल के लिए अनिवार्य होता है, और सबसे बड़ी बात ये हैं कि ग्राम सभा की सहमति के बिना ग्रामसभा की जमीन को सरकार ने लैंड बैंक में शामिल किया है, जो पांचवी अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन है।

वनाधिकार अधिनियम-2006 और पेशा कानून-1996 का भी उल्लंघनः

तात्कालीन भाजपानित रघुवर सरकार द्वारा लैंड बैंक बनाने में वनाधिकार अधिनियम-2006 और पेशा कानून-1996 का भी घोर उल्लंघन किया गया है। वन अधिकार अधिनियम-2006 की धारा 4(1) जो वन भूमि पर आदिवासी-मुलवासियों को वनों में वास करने का अधिकार देता है। धारा-4 में स्पष्ट है कि वन क्षेत्र में रह रहे वासियों को सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने तक उसके कब्जे वाली वन भूमि से हटाया नहीं जा सकता है, लेकिन जबरन वन भूमि को लैंड बैंक में शामिल करके रघुवर सरकार ने आदिवासियों को वन भूमि के अधिकारों से वंचित करने का काम किया है। वहीं पेशा कानून-1996 ग्रामसभा को प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और प्रबंधन का अधिकार देता है। उड़ीसा राज्य खनन निगम बनाम वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था कि, प्राकृतिक संसाधनों का मालिक ग्रामसभा है, इसलिए ग्रामसभा की सहमति से ही गांवों के सामुदायिक भूमि, सामुदायिक पूजा स्थल और वन भूमि का अधिग्रहण किया जा सकता है। ग्रामसभा की असहमति होने पर अधिग्रहण नहीं किया जा सकता।

By taazakhabar

"TAAZA KHABAR JHARKHAND" is the latest news cum entertainment website to be extracted from Jharkhand, Ranchi. which keeps the news of all the districts of Jharkhand. Our website gives priority to news related to public issues.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *