रिपोर्ट- बिनोद सोनी…
रांचीः मुख्यमंत्री, हेमंत सोरेन के नेतृत्व में UPA व आजसू विधायकों का प्रतिनिधिमडल विशेष सत्र में सदन द्वारा पारित स्थानीय नीति व आरक्षण नीति को लेकर राजभवन में राज्यपाल से मिला। राज्यपाल से मिलने के बाद मुख्यमंत्री, हेमंत सोरेन ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि पिछले दिनों जिस तरह से हाई कोर्ट द्वारा नियोजन नीति को रद्द कर दिया गया है, वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। हाईकोर्ट के इस फैसले से राज्य के लगभग 7 लाख वैसे स्थानीय युवा जो विभिन्न नियुक्तियों में शामिल होने वाले थें, उन्हें निराशा हांथ लगी है।
हाईकोर्ट में आपत्ति दर्ज कराने वाले 20 में से 19 लोग हैं बाहरी, मंशा समझा जा सकता हैः हेमंत सोरेन, सीएम
सीएम ने आगे कहा कि हमें इस बात की आशंका पहले से ही थी, क्योंकि पूर्व में भी कई उदाहरण दिखने को मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि इस नियोजन नीति को लेकर जो लोग आपत्ति दर्ज कराने हाईकोर्ट गए थें उसमें कूल 20 लोग थें और 20 में से 19 लोग झारखंड के निवासी नही हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि, उन लोगों की मंशा क्या थी। वहीं पिछले महीने विधानसभा के विशेष सत्र में 1932 आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण नीति को सदन ने पारित कर 9वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु राजभवन को भेजा गया था, ताकि राजभवन उसे केंद्र को भेजे, इस बारे में राज्यपाल से चर्चा हुई है और उन्होंने आश्वस्त भी किया है कि राजभवन की प्रक्रिया पुरी करने के बाद जल्द ही केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा।
यूपीए को भाजपा का नहीं, लेकिन आजसू का मिला साथः
मुख्यमंत्री, हेमंत सोरेन ने ये भी कहा कि, राज्य में कुछ ऐसी शक्तियां हैं, जो यहां के आदिवासियों और मूलवासियों का भला नहीं चाहती है। वहीं आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि आजसू शुरू से ही स्थानीय नीति और आरक्षण नीति के मुद्दे पर मुखर रही है। इस लिए जो इस मुद्दे पर बात करेंगा, आजसू पार्टी उसके साथ खड़ा रहेगा।