रिपोर्ट- संजय वर्मा…
रांचीः लगातार 80 दिनों से धजवा पहाड़ को पत्थर माफिया (सूरज सिंह, राजद नेता) से बचाने के लिए धरना-प्रदर्शन फिर क्रमिक अनशन कर रहे आंदोलनकारियों के लिए अच्छी खबर ये है कि, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एचआरएलएन के राज्य प्रभारी सह अधिवक्ता अनूप अग्रवाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते पलामू उपायुक्त को ये आदेश दिया है कि, उपायुक्त स्वयं धजवा पहाड़ जा कर पुरे मामले की जांच करें और दो सप्ताह के अंदर रिपोर्ट जमा करे। इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने ये भी आदेश दिया है कि जब अंचलाधिकारी को ये जानकारी थी कि, धजवा पहाड़ पर अवैध खनन हो रहा है, तो उन्होंने खनन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं किया। इस मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च 2022 को होगी।
जिल प्लॉट का लिज कंपनी को मिला ही नहीं, उस पर हो रहा था अवैध खननः अनूप अग्रवाल, अधिवक्ता, हाईकोर्ट
मामले के अपीलकर्ता अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने बताया कि कंपनी ने प्लाट नः 1046 का लिज पत्थर खनन के लिए हांसिल किया है, जो उपजाऊ जमीन है और उस जमीन पर रैयत खेती कर रहे हैं, लेकिन प्लाट नः 1048 जो प्लॉट नः 1046 से सटा हुआ है, उस पर अवैध तरीके से पत्थर खनन कर रहा है, जो पुरी तरह अवैध है। कंपनी को प्लॉट नः 1048 का लिज मिला ही नही है।
सोंची समझी साजिश के तहत कंपनी ने लिया था प्लॉट नः 1046 का लिजः
पीड़ित रैयतों ने ताजा खबर झारखंड को पूर्व में बताया था, कि राजद नेता सूरज सिंह ने एक सोंची समझी साजिश के तहत प्लॉट नः 1046 का लिज लिया है। चुंकि प्लॉट नः 1046 और 1048 सटा हुआ है। इसलिए सूरज सिंह ने खेती वाली जमीन जिसका रजिस्ट्री बरवाही गांव के ही एक रैयत के नाम से है, उससे लिज में ना लेकर अंचल कार्यालय से मिली भगत कर गलत तरीके से अपने नाम से लिज ले लिया और उसकी मंशा प्लॉट नः 1046 के बहाने प्लॉट नः 1048 पर खनन करने की थी, जो साफ हो चुका है।
अंचलाधिकारी और खनन पदाधिकारी को ट्रिब्यूनल ने जड़ा करारा तमाचाः
धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति द्वारा अवैध खनन के खिलाफ जब आंदोलन तेज किया गया, तभी आंदोलन के क्रम में जिले के उपायुक्त और अंचलाधिकारी के साथ-साथ खनन पदाधिकारी को भी अवैध खनन के बारे में मांग पत्र सौंप कर जानकारी देते हुए अविलंब अवैध खनन करने वाली कंपनी के उपर कार्रवाई करने का मांग आंदोलनकारियों द्वारा किया गया था, लेकिन सभी अधिकारी मौन साधे रहें, फिर जब आंदोलन तेज किया गया, तब अंचल कार्यालय से अमीन और सीआई को धजवा पहाड़ भेज कर जमीन की नापी करवाई गई, जिसमे ये साफ हो चुका था कि, कंपनी उस जमीन पर पत्थर खनन कर रही है, जिसका लिज उसे दिया ही नहीं गया है, मतलब ये कि कंपनी अवैध खनन कर रही है। अंचल कार्यालय से ये रिपोर्ट खनन पदाधिकारी को भी भेजा गया, लेकिन चल रहे आंदोलन के बावजुद इन दोनों ही विभागों द्वारा अवैध खनन करने वाले कंपनी के उपर कोई कार्रवाई नहीं किया, जिससे ये साबित होता है कि, अवैध खनन करने वाली कंपनी को दोनों ही विभागों का संरक्षण प्राप्त है।
अंचलाधिकारी ने अवैध खनन की जानकारी होने के बावजुद कंपनी पर कार्रवाई क्यों नहीं कीः एन.जी.टी.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पलामू जिले के उपायुक्त से ये पुछा है कि, जब अंचलाधिकारी को अवैध खनन की जानकारी थी, तो उन्होंने कंपनी के उपर क्या कार्रवाई की? इसकी रिपोर्ट दो सप्ताह के अंदर ट्रिब्यूनल को सौंपा जाए। साफ जाहिर है कि अंचलाधिकारी अवैध खनन के खिलाफ कोई कार्रवाई नही कर रहे थें, क्योंकि सूरज सिंह की कंपनी से अंचलाधिकारी की किसी ना किसी स्वार्थ की पूर्ति हो रही थी।
सूरज सिंह का साथ दे रहे हैं पांडू थाना प्रभारी, उनके इशारे पर आंदोलनकारियों पर बिना पड़ताल दर्ज किया गया झुठा मुकदमाः
आंदोलन के क्रम में धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति के आंदोलन को खत्म करवाने के लिए सूरज सिंह के ईशारे पर पांडू थाना प्रभारी ने आंदोलनकारियों को धमकाने से लेकर झुठा मुकदमा तक दर्ज करने का काम किया है। आंदोलनकारियों ने बताया कि लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों को धरना स्थल पर पहुंच कर थाना प्रभारी ने ना सिर्फ धमकाया बल्कि धरना स्थल पर लगाए गए टेंट को भी तहस नहस करते गुए लाउडस्पीकर के साथ साथ स्थल पर रखे कई सामान अपने साथ ले गए थें। जिस वक्त पांडू थाना प्रभारी धरना स्थल पर पहुंचे, उनके साथ धजवा पहाड़ पर अवैध खनन करने वाले कंपनी के लोग भी मौजुद थें। पुलिस के सामने ही कंपनी के लोगों ने पहाड़ पर लगे झंडे को भी उखाड़ कर फेंक दिया था। यानि पुलिस और अवैध खनन कंपनी के लोग मिल कर आंदोलन को शाम दाम दंड भेद का उपयोग कर खत्म करवाना चाह रहे थें, जिससे स्पष्ट होता है कि पांडू थाना प्रभारी लिज धारक सूरज सिंह के इशारे पर काम कर रहे हैं।
सूरज सिंह के उंचे बोल और सत्तारुढ दल का नेता होने का घमंड हुआ चकनाचुरः
अवैध खनन कराने वाले राजद नेता, सूरज सिंह ने बिते सप्ताह अपने 10-15 गुर्गों के साथ आंदोलन स्थल धजवा पहाड़ पर पहुंच कर आंदोलनकारियों को धमकी देते हुए कहा था कि, कुछ दिन और हल्ला कर लो, फिर सभी को उठा कर फेंक देंगे। लेकिन एनजीटी के इस आदेश के बाद अब सूरज सिंह को ये तो जानकारी हो चुकी होगी कि, सच छनिक विचलित हो सकता है, लेकिन हार नही सकता।