घरेलू कामगारों के राष्ट्रीय मंच ने भारत सरकार के समक्ष रखी घरेलू कामगारों की मांग…

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रिपोर्ट- आशा टोप्पो…
रांची-
अंतर्राष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस के अवसर पर घरेलू कामगारों के राष्ट्रीय मंच द्वारा 16 जून जो घरेलू कामगार दिवस मनाया गया। बताते चलें कि, वर्ष 2011 में 16 जून को भारत सरकार ने जेनेवा में कन्वेंशन 189 को मंजूरी दी थी, जिसमें यह स्वीकार किया गया था की, घरेलू कामगार अन्य सभी श्रमिकों की तरह है और उनके अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता है। दुर्भाग्यवश भारत सरकार ने भारत में घरेलू कामगारों से किया गया वादा पुरा नहीं किया।

घरेलू कामगारों का राष्ट्रीय मंच की स्थापना 2012 में की गई थी। ये मंच घरेलू कामगारों के विभिन्न यूनियनों का एक मंच है, जो पिछले 12 वर्षों से घरेलू कामगारों की मांगों को उठाता आ रहा है। घरेलू कामगारों का देश भर में एक बड़ी आबादी है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य करने की सुविधा नहीं होने और रोजगार का कोई साधन नहीं होने के कारन एक बड़ी आबादी शहर में आकर घरेलू कामगार का कार्य करते हैं। इतना ही नहीं शहरों की भी एक बड़ी आबादी, जो गरीबी का दंश झेल रहे हैं, जिनके सामने जिविकोपार्जन की समस्या है, वे लोग भी घरेलू कामगार का कार्य कर रहे हैं।

कार्य क्षेत्र में घरेलू कामगारों का शोषणः

कई बार ऐसी घटनाएं देखने को मिली है, जिसमें घरेलू कामगारों पर चोरी के झुठे आरोप, शरीरिक शोषण, कम वेतन का मिलना, तय समय से अधीक समय तक घरेलू कामगारों से काम लिया जाना ईत्यादि। समाज में इन कामगारों का महत्वपूर्ण योगदान दोने के बावजुद इनके लिए भारत सरकार ने अब तक ना ही काम के घंटे, सुविधा और पारिश्रमिक तय किया है, जिससे देश भर के घरेलू कामगारों में सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। इन कामगारों को भी सम्मानजनक वेतन और सामाजिक सुरक्षा मिलनी चाहिए, लेकिन भारत सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढ़ाय़ा है। इन कामगारों में ज्यादातर महिलाएं हैं, जो अपने हक् अधिकार से वंचित हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भारत सरकार ने नहीं किया पालनः

29 जनवरी 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने अजय मल्लिक बनाम उत्तराखंड राज्य और अन्य मामले में ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुवे घरेलू कामगारों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचे की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए सरकार को आदेश दिया था। आदेश के मुख्य बिंदु निम्नांकित हैः

1. घरेलू कामगारों के अधिकारों और कल्याण के लिए समग्र और व्यापक कानून बनाया जाए।
2. कानून निर्माण के लिए एक विशेषज्ञ समिति का तत्काल गठन किया जाए।
3. विशेषज्ञ समिति में महिला एवं बाल कल्याण, समाजशास्त्र और मानव अधिकार के विशेषज्ञों को शामिल किया जाए।
4. समिति द्वारा घरेलू कामगारों की सामाजिक सुरक्षा, काम के घंटे, न्यूनतम वेतन और गरिमा पूर्ण कार्य से संबंधित सुझाव दिए जाएं।

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने घरेलू कामगारों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण आदेश भारत सरकार को दिया था। भारत सरकार माननीय न्यायालय के इस आदेश पर कार्य करती है, तो घरेलू कामगारों को कुछ हद तक न्याय, उनके अधिकार और अन्य श्रमिकों की तरह गरीमा के साथ जीवन जीने का अधिकार मिल पाएगा।

16 जून को प्रेस को संबोधित करते हुए महिला कामगारों ने पुनः एक बार फिर सरकार से मांग की है कि, सरकार ने जो वादा किया था, उसे पुरा किया जाए। घरेलू कामगार वर्षों से इन मांगों को पुरा करवाने के लिए संघर्षशील है। प्रेस वार्ता को अनीता देवी, रेनू लिंडा, प्रियंका तिर्की, निर्मला टोप्पो, सिस्टर अंशु, रीना, रेणुका, आशा, ज्योति तिर्की ने संबोधित किया। आज के कार्यक्रम में सैंकड़ों की संख्या में घरेलू कामगार महिलाएं उपस्थित रहीं।

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