रिपोर्ट- बिनोद सोनी…
राँची : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और सुनील वर्णवाल के खिलाफ एफआईआर के लिए रांची स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो में एक आवेदन दिया गया है। यह मोमेंटम झारखंड के फर्जीवाड़ा से जुड़ा मामला है। एसीबी में एफआईआर का यह आवेदन झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद दिया गया है।
झारखंड हाईकोर्ट ने 15 माह पहले दिया था एसीबी में मामला दर्ज कराने का आदेशः
एसीबी में एफआईआर दर्ज कराने के लिए यह आवेदन आरटीआई पर काम करने वाली संस्था जनसभा के महासचिव, पंकज यादव द्वारा दिया गया है। झारखंड हाईकोर्ट ने 15 माह पहले सितंबर 2018 को ‘मोमेंटम झारखंड’ फर्जीवाड़ा मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। 16 फरवरी 2017 को झारखंड की राजधानी रांची में ‘ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट मोमेंटम झारखंड’ का आयोजन हुआ था, जिसमें कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय कंपनियों को आमंत्रित किय गया था।
तात्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने झारखंड को ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में टॉप पर बताया थाः
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रघुबर दास ने उद्योगपतियों को झारखंड में निवेश करने का आह्वान किया था। झारखंड सरकार की ओर से तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने अपने भाषण में कहा था कि ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में झारखंड टॉप पर है। साथ ही लेबर रिफॉर्म्स में भी झारखंड नंबर एक पर है। इंवेस्टमेंट के लिए जमीन सबसे अहम होती है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने लैंड बैंक बनाया है, जिसमें निवेश के लिए 2.1 मिलियन एकड़ जमीन उपलब्ध है।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को मोमेंटम झारखंड के दौरान हुए फर्जीवाड़ा की जानकारी दी थीः
इस मामले में दीवान इंद्रनील सिन्हा ने झारखंड हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को मोमेंटम झारखंड के दौरान हुए फर्जीवाड़े की जानकारी दी थी। मामले को संज्ञान में लेते हुए चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस डीएन पटेल की बेंच ने एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) में मामले पर एफआईआर करने के लिए कहा था। हाईकोर्ट के आदेश पर एसीबी में एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया गया है। ऐसे में पूर्व की रघुवर सरकार और सरकार के वरीष्ठ अधिकारी बुरी तरह फंसते नजर आ रहे है।
कंपनी के पास मात्र एक लाख की पूंजी, लेकिन एमओयू किया 1500 करोड़ रुपए काः
रघुवर सरकार पर आरोपों की सूची लंबी है। एक बड़ा आरोप यह है कि ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट मोमेंटम झारखंड के आयोजन के दौरान सरकार ने नए और कम पूंजी वाली कंपनियों के साथ अरबों रुपए का करार किया है। साथ ही यह भी आरोप है कि आयोजन में सरकारी खजाने का पैसा पानी की तरह बहाया गया। मोमेंटम झारखंड के आयोजन में सबसे चौंकाने वाला मामला यह है कि सरकार ने एक ऐसी कंपनी से करार किया है, जो सिर्फ 39 दिन पहले ही पंजीकृत हुई थी। भारत सरकार के कारपोरेट मंत्रालय के वेबसाइट पर उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार ‘आरिएंट क्राफ्ट फैशन पार्क वन एलएलपी कंपनी’ 3 फरवरी 2017 को पंजीकृत हुई। उसके पास कुल जमा पूंजी एक लाख रुपए है। इस कंपनी ने सरकार के साथ 1500 करोड़ रुपए की लागत वाला इंडस्ट्रीयल पार्क बनाने के संबंध में समझौता किया। राज्य सरकार कंपनी को खेलगांव में 28 एकड़ जमीन और दूसरे के लिए इरबा में 113 एकड़ जमीन सरकार देगी।
जिस तरह से मोमेंटम झारखंड के माध्यम से राज्य को बड़ा लाभ होने का दावा किया जाता रहा है, उसका मकसद पीछे छूट गया और फंड की बंदरबांट से लेकर प्राकृतिक संसाधनों और जनता की संपत्ति की लूट की साजिशें अब सामने आ रही हैं। सरकार ने जितने एमओयू किए लगभग सभी कंपनियां फर्जी बताई जा रही है। ऐसे में अगर एसीबी सही तरीके से जांच करती है, तो कई आरोपी सलाखों के पीछे होंगे और फर्जी विकास के दावों की पोल भी खूल जाएगी।