मनोहरी तिर्की घर से पैसे लगा कर चला रही है दाल-भात केन्द्र….

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः लॉक डाउन के दौरान दाल-भात केन्द्रों में पूर्व की अपेक्षा ज्यादा भीड़ उमड़ रही है, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से इन्हें आवश्यकता के अनुशार ना ही सामाग्री उपलब्ध करवाया गया है और ना ही कोई सुविधा ही दी गई है।

अब नही मिलती 5 रुपये प्रति थानी शुल्क, लेकिन तेल, मशाला, इंधन और पानी खरीदना पड़ता है बाहर सेः

पूर्व में जिला प्रशासन केन्द्र संचालकों को चावल, दाल और सोयाबीन उपलब्ध करवाती थी, लेकिन इस दौरान प्रत्येक थाली पांच रुपये शुल्क निर्धारीत था, जिससे केन्द्र संचालक महिलाएं तेल, मशाला और इंधन का जुगाड़ करती थी। लेकिन लॉक डाउन लागू होते ही दाल-भात केन्द्रों में खाना निःशुल्क कर दिया गया है, जिसके कारण केन्द्र संचालकों को अब कोई राशि नहीं मिल रही है। केन्द्र संचालकों की समस्या ये है कि खाना बनाने के लिए इंधन, सब्जी बनाने के लिए तेल और मशाला इन्हें स्वयं की राशि से खर्च करना पड़ रहा है। इसके अलावे दाल-भात केन्द्रों में पानी की सुविधा नही है, जो इन्हें भार वालों से खरीदना पड़ रहा है। इनकी मानें तो प्रति दिन लगभग 350 से 400 लोगों को खाना खिलाना पड़ता है और इतने लोगों का खाना बनाने में लगभग 400 से 500 रुपये का अतिरिक्त खर्च आ रहा है, जो सरकार नही दे रही है। इस स्थिति में ज्यादा दिनों तक केन्द्र संचालित करना संभव नही है।

केन्द्र में प्रवासी मजदूर और स्थानीय दिहाड़ी मजदूर खा रहे हैं ज्यादा खानाः

राजधानी रांची के आईटीआई बस डिपो के समक्ष संचालित दाल-भात केन्द्र की संचालिका की मानें तो अहले सुबह से ही रास्ते से गुजर रहे प्रवासी मजदुर और दूसरे जिलों से आकर भाड़े के मकान में रह रहे दिहाड़ी मजदूरों की लाईन यहां लग जाती है। एक प्रवासी मजदूर तीन-तीन लोगों का खाना खा जाते हैं, लेकिन हस्ताक्षर एक ही होता है। जिला प्रशासन प्रति व्यक्ति का हस्ताक्षर देख कर हिसाब करती है और उसी अनुशार चावल, दाल और सोयाबीन उपलब्ध करवाती है। इससे भी केन्द्र संचालकों को नुकसान हो रहा है।

पंडरा और सुखदेव नगर थाने की पुलिस भी मजदुरों को खाना खिलाने के लिए कहते हैः

केन्द्र संचालिका, मनोहरी तिर्की ने जानकारी देते हुए बताया कि लॉक डाउन लागू होने के बाद से दाल-भात केन्द्र में खाने वालों की संख्या दोगुनी से अधिक हो चुकी है। एक मजदूर तीन तीन आदमी थाली खाना खा जा रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति को देखते हुए उन्हें मना भी नही किया जा सकता है। उपर से पंडरा और सुखदेव नगर थाने की पुलिस भी भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूरों को हमारे केन्द्र में ही खाने के लिए भेज देती है। कभी कभी स्थिति ये हो जाती है कि भीड़ को संभालने के लिए पुलिस के जवानों को तैनात करवाना पड़ता है।

कूल मिला कर लॉक डाउन लागू होने के बाद से दाल-भात केन्द्र संचालकों की समस्या काफी बढ़ गई है। राज्य सरकार इसे अपनी उपलब्धी बता रही है, लेकिन संचालकों की कमर टुटती नजर आ रही है। ऐसे में अगर इनकी समस्याओ का समाधान नही किया गया तो किसी भी वक्त इन केन्द्रों का शटर डाउन हो सकता है।

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