इन कारनों से झारखंड की जनता स्वामित्व योजना का कर रही है विरोध…..

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः झारखंड की आयरन लेडी, दयामणि बारला के नेतृत्व में स्वामित्व योजना के तहत बनने वाले संप्त्ति/प्रोपर्टी कार्ड के विरोध में खूंटी जिला के कई प्रखंडों में ग्राम प्रधान, मुंडा मानकी और अन्य सम्मानित प्रतिनिधियों के साथ-साथ जनता के सहयोग के कई बडे आंदोलन किए गएं। केन्द्र सरकार ने पांचवी अनुसूचि जिला होने के बावजुद यहां ग्राम प्रधानों से राय लिए बगैर स्वामित्व योजना को लागू करते हुए खूंटी जिले में द्रोन कैमरे से सर्वे का काम शुरु करवाया, जिसका यहां की जनता ने खूल कर विरोध किया। कई क्षेत्रों में सर्वे करने पहुंचे अधिकारियों को खदेड़ा गया। सर्वे कार्य शुरु करने से पहले ना ही ग्राम प्रधानों को सुचित किया गया था और ना ही उनकी राय ली गई थी। जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता दयामणि बारला के नेतृत्व में इस योजना के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया। इसके तहत हजारों हजार ग्रामीणों की उपस्थिति में कई जनसभाएं की गई, और जिलाधिकारी से लेकर राज्यपाल तक को इस योजना को रद्द करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। दयामणि बारला के इस आंदोलन का साथ माले विधायक बिनोद सिंह ने भी दिया।

विधानसभा में माले विधायक बिनोद सिंह ने उठाया था स्वामित्व योजना का मामलाः

10 मार्च 2022 को माले विधायक, बिनोद सिंह ने इस मामले को झारखंड विधानसभा में सत्र के दौरान उठाया। सरकार के समक्ष इस मामले को रखते हुए कहा कि, खूंटी जिला पांचवीं अनुसूचि क्षेत्र में आता है, बावजुद इसके ग्रामसभा से अनुमति लिए बगैर सर्वे कराया जा रहा है। इस सर्वे से लोगों के बीच संशय की स्थिति है। पूर्व में रघुवर सरकार ने भी ग्रामसभा से अनुमति लिए बगैर लैंड बैंक बनाने का काम किया है, जिससे अनुसूचित में सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश है। सरकारें लगातार पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में प्रदत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही है। जिसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में जवाब दिया था, कि स्वामित्व योजना केन्द्र सरकार की है, और केन्द्र के निर्देश पर ही सर्वे का काम किया जा रहा है। चुंकि ये मेरे संज्ञान में आया है, इसलिए फिलहाल सर्वे का काम रोका जाएगा और अधिकारियों को निर्देश दिया कि पुरी जानकारी लेने के बाद ही सर्वे कार्य करने की अनुमति दी जाए। जिसके बाद से सर्वे का कार्य फिलहाल बंद है।

केन्द्र सरकार ने 2024 तक सर्वे कार्य पुरा कर लेने का लक्ष्य रखा हैः

स्वामित्व योजना के तहत केन्द्र सरकार देश के सभी राज्यों में डिजिटल सर्वे करवा रही है। फिर सर्वे के बाद संपत्ति कार्ड बनाया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के रुप में खूंटी जिला से सर्वे का काम शुरु करवाया गया था। खूंटी मे पहले चरण में कूल 725 गांवों का सर्वे होना है, फिर दूसरे चरण 2022-23 में अन्य जिलों के 12000 गांवों का सर्वे होगा, इसके बाद तिसरे चरण में 20,000 गांवों का द्रोन सर्वे होगा। सर्वे के बाद भू-स्वामियों का डिजिटल नक्शा और डिजिटल खतियान तैयार किया जाएगा। इस योजना को 2024 तक पुरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है।

स्वामित्व योजना के विरोध का कारनः

झारखंड में जल-जंगल और जमीन आबाद करने में यहां के आदिवासी-मुलनिवासी, और किसान समुदाय का बहुत बड़ा योगदान है। प्रकृति, पर्यावरण के साथ जीवन मुल्यों आदिवासी-मुलवासी और किसान समुदाय के परंपरा और संस्कृति को संरक्षित और विकसित करने के लिए ही सीएनटी एक्ट-1908 और एसपीटी एक्ट-1949 में बनाया गया। इसके अलावा 5वीं अनुसूचि और पेशा कानून में आदिवासी समुदाय के जल-जंगल और जमीन के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक आधार को संरक्षित एवं विकसित करने के लिए विशेष प्रावधान भी किया गया है। पेशा कानून में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि गांव के सीमा के अंदर और बाहर जितने भी प्राकृतिक संसाधन, जैसे गिट्टी, बालू, झांड-जंगल, जमीन, नदी-झरना इत्यादि हैं, उन सभी पर गांव वालों का सामुदायिक अधिकार है। ये सभी अधिकार आदिवासी-मुलवासियों को लंबे संघर्ष के बाद मिला है। वर्तमान में केन्द्र सरकार नित नये कानून लाकर आदिवासी-मुलवासी और किसानों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर कर पुंजीपतियों के हित में काम कर रही है। स्वामित्व योजना के तहत जिस जमीन का दस्तावेज जमीन मालिक सरकार को उपलब्ध करवा पाएंगे, उसी जमीन का संपत्ति कार्ड बनेगा। बाकी जमीन सरकार के पास चली जाएगी, जिसे आगे चल कर पूंजीपतियों को उनके जरुरत के हिसाब से बेच दिया जाएगा।

सरकार से सवालः

  • आदिवासी समुदाय की जमीन, जैसे भूंईहरी, डालीकतारी, भूत खेता, पहनई, सरना, मसना, ससनदीरी, हड़गड़ी, जाहेर स्थान, देव स्थान, अखड़ा, बांध, पोखरा, जतरा टांड जैसे बेलगान जमीन जो समाज की सामुदायिक जमीन है, इन जमीनों का संपत्ति कार्ड किसके नाम से बनेगा?
  • ऑनलाईन व्यवस्था लागू करने के बाद से 1932 के खतियान में काफी छेड़छाड़ किया गया है। ऑनलाईन में खतियान धारियों का नाम गलत दर्ज किया गया है। किसी खतियान में खाता न. गलत है तो किसी में जमीन मालिक का नाम ही हटा दिया गया है, या फिर गलत दर्ज किया गया है। इस त्रुटि के कारन जमीन मालिकों का लगान रशीद नही काटा जा रहा है। स्वामित्व योजना के तहत इन जमीनों का संपत्ति कार्ड किसके नाम से बनेगा, ये सरकार को बताना चाहिए।
  • ऑनलाईन व्यवस्था लागू होने के बाद से जमीन मालिक लगान रशीद कटवाने के लिए लगातार पिछले चार-पांच सालों से अंचल ऑफिस का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनका रशीद नही कट रहा है। इसके लिए कौन जिम्मेवार है?

स्वामित्व योजना लागू होने से आदिवासी-मुलवासी समुदाय को होने वाला खतराः

  • परंपरागत आदिवासी-मुलवासी ईलाकों का डेमोग्राफी पुरी तरह बदल जाएगा।
  • पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासी ईलाकों में स्थित नदी-नालों, बालू-गिट्टी, जंगल और जमीन पर बाहरी लोगों का कब्जा हो जाएगा।
  • स्वामित्व योजना लागू होने के बाद 1932 के खतियान का अस्तित्व बना रहेगा या स्वतः खत्म हो जाएगा ये अब तक स्पष्ट नही है।
  • ग्रामीणों के जिस सामुदायिक जमीन का रशीद नही काटा जा रहा है, उस जमीन का क्या होगा?
  • स्वामित्व कार्ड योजना के लागू हो जाने से आदिवासी ईलाकों में बाहरी लोगों का प्रवेश होगा, जिससे क्षेत्र में आदिवासियों की संख्या तेजी से घटेगी, साथ ही आदिवासियों की सामाजिक सांस्कृतिक आर्थिक एवं राजनीतिक शक्ति कमजोर होगी।

मामले को लेकर 9 जुलाई को रांची के एचआरडीसी सभागार में होगी महाजुटानः

उपरोक्त सभी मुद्दों पर गहन विचार विमर्श के लिए आगामी 9 जुलाई को राजधानी रांची के एचआरडीसी सभागार में एक बैठक रखा गया है, जिसमें राज्यभर से सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजिवी और पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के मुंडा, मानकी और ग्रामप्रधानों के साथ साथ आम जनों का भी जुटान होगा। बैठक में विचार-विमर्श के बाद सरकार के समक्ष मांगे रखी जाएगी। जरुरत पड़ी तो फिर से एक बड़ा जन आंदोलन भी तैयार किया जाएगा। इस कार्यक्रम की सफलता के लिए पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र के लोगों को जागरुक भी किया जा रहा है। इस बात की जानकारी आयरन लेडी, दयामणि बारला ने दी।

सरकार से मांगः

  • स्वामित्व योजना को रद्द किया जाए।
  • झारखंड में सीएनटी एसपीटी एक्ट, पांचवी अनुसूचि एवं पेशा कानून के प्रावधानो को कड़ाई से लागू किया जाए।
  • पूर्व में रघुवर सरकार द्वारा बनाए गए भूमि बैंक को रद्द किया जाए।
  • राज्य के जल स्त्रोतों से पानी किसानों के खेतों तक पहुंचाया जाए।

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