Categories
Corona मुद्दा

ये कैसा क्वारंटीन सेन्टर? क्वारंटीन में रह रहे मजदूर गांव के कुआं और तालाब का कर रहे हैं उपयोग…

4

रिपोर्ट- संजय वर्मा..

प्रवासी मजदूरों से ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के सामुदायिक संक्रमण का खतरा…

रांचीः सामान्यतः  संक्रमण से फैलने वाली बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए संक्रमित होने के संदेहास्पद लोगों को आम(सामान्य) लोगों से अलग करने के लिए क्वारंटीन(संगरोध) किया जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक अलग स्थान तैयार किया जाता है, जहां संक्रमित होने के संदेहास्पद लोगों को ही रखा जाता है और इन लोगों से आम एवं स्वस्थ लोगों के मिलने-जुलने पर सख्त पाबंदी रहती है। वर्तमान में लाखों की संख्या में झारखंड पहुंच रहे प्रवासी मजदूरों के लिए एसे ही क्वारंटीन सेन्टर राज्य के लगभग सभी जिले और प्रखंडों में स्थापीत किया गया है।

प्रखंड विकास पदाधिकारी और प्रखंड के स्वास्थ्य पदाधिकारी को क्वारंटीन सेन्टर बनाने का दिया गया है आदेशः

सरकार द्वारा प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी और स्वाकस्थ्य पदाधिकारी को पंचायतों के पंचायत सचिवालय या फिर स्कूल भवनों में क्वारंटीन सेन्टर बनाने का आदेश दिया गया है, साथ ही क्वारंटीन सेन्टर में भोजन की व्यवस्था के साथ अन्य जरुरी सभी व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा कहा गया है लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी दिखाई नही पड़ रहा है।  

ना चाहते हुए भी प्रवासी मजदूरों का ग्रामीणों से हो रहा है संपर्कः

बात करते हैं नामकुम प्रखंड के राजाउलातु पंचायत स्थित हेसाबेड़ा गांव की, जहां 18 मई की रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे 11 मजदूर हेसाबेडा गांव पहुंचे, जिसकी सूचना मिलने के बाद ग्रामीणों ने सभी 11 मजदूरों को गांव के ही स्कूल भवन में पूरे 14 दिनों तक रहने के लिए कहा है। यहां प्रखंड पदाधिकारी द्वारा कोई भी सुविधा उपलब्ध नही करवाया गया है। हेसाबेड़ा के स्कूल भवन में ना ही शौचालय है और ना ही पीने का पानी। इसलिए हर जरुरी सामान मजदूरों के परिजन उन तक पहुंचा रहे हैं। चुंकि स्कूल भवन में खाने की भी कोई व्यवस्था नही, इसलिए इनके परिजन ही इन तक तीनों टाईम का खाना भी पहुंचा रहे हैं, जिस कारन लगातार परिजनों का संपर्क क्वारंटीन में रह रहे मजदूरों से हो रहा है। स्कूल परिसर में लगा दो-दो चापाकल खराब पड़ा हुआ है, जिस कारन क्वारंटीन में रह रहे मजदूर गांव के ही कुंआं और तालाब का उपयोग कर रहे हैं। यानि ये लोग खूद को क्वारंटीन में रहना मान रहे हैं, लेकिन ना चाहते हुए भी पूरे समुदाय का संपर्क इन लोगों के साथ हो रहा है।

मजदूरों द्वारा मदद की मांग पर, मुखिया फूर्गीन सोरेन ने खड़े किए हांथः

इन मजदूरों के गांव पहुंचने की सूचना पर पंचायत की मुखिया फूर्गीन सोरेन इनकी सूची तैयार करने के लिए स्कूल पहुंची। जहां इन लोगों ने मुखिया से कहा कि यहां कोई सुविधा नही है, जिसके कारन हम लोग ना चाहते हुए भी ग्रामीणों के संपर्क में आ जा रहे हैं। लेकिन मुखिया ने सरकारी मशीनरी का हवाला देते हुए हांथ खड़े कर दिए। इसी दौरान मजदूरों की जांच के लिए यहां एएनएम भी पहुंची, जहां क्वारंटीन में रह रहे मजदूरों के परिजनों को देखकर एएनएम ने कहा कि इस तरह आप लोग अपने परिजनों से मिलेंगे तो उन्हें भी समस्या हो सकती है। जिस पर मजदूर भड़क गए, उन्होंने कहा कि जब को संसाधन आप लोग हमें देंगे नही, तो हमारे परिजन तो आएंगे ही हमारे पास सामान पहुंचाने के लिए। आप लोगों ने सरकार के क्वारंटीन सेंटर में नही रखा, ऐसे में हम लोग क्या करें। यहां शौचालय और पानी भी नही है, जिस कारन गांव का तालाब और कुंवां हमलोगों को उपयोग करना पड़ रहा है। मजदूरों के इस जवाब के बाद एएनएम भी चुप हो गईं।

मौके पर हमारी टीम ने एएनएम से इस पूरे प्रकरण पर बात की जो सूचिबद्ध हैः

सवालः मैडम आपने देखा किस तरह प्रवासी मजदूरों के परिजन यहां प्रवासी मजदूरों से मिल रहे हैं, क्या ये उचित है?

जवाबः नहीं ये तो गलत हो रहा है, क्योंकि एक भी मजदूर अगर संक्रमित पाए गएं तो यहां इनके संपर्क में आये सभी लोगों तक संक्रमण फैल सकता है।

सवालः फिर सरकार इसे क्वारंटीन सेंटर क्यों कह रही है, जबकि यहां कोई सुविधा नही है, मजदूर लगातार परिजनों के संपर्क में आ रहे हैं?

जवाबः सभी सरकारी क्वारंटीन सेंटर फूल हो चुका है। एसे में इन लोगों को वहां रखना संभव नही था, अब ये लोग ही जितना सावधानी बरतेंगे, उतना ज्यादा अच्छा होगा।

सवालः क्या आप लोग 14 दिनों तक लगातार यहां आकर इनकी जांच करेंगे?

जवाबः नहीं हम लोगों को कई पंचायतों में जाकर ऐसे मजदूरों की जांच करनी है, इसलिए हर दिन यहां जांच के लिए आना संभव नही है।

सवालः क्या-क्या जांच कर रहे हैं प्रवासी मजदूरों का?

जवाबः हमलोग सबसे पहले इनका शरीर का तापमान जांचते हैं, फिर इनसे जानकारी लेते हैं कि किसी को शरीर में दर्द, खांशी जुकाम या लूज मोशन तो नही हो रहा है।

सवालः स्वास्थ्य विभाग की ओर से और कोई सुविधा इन लोगों को दिया जा रहा है?

जवाबः नहीं, सिर्फ हमलोगों को बीच-बीच में आकर स्वास्थ्य जांच करते रहना है।

सामुदायिक संक्रमण का खतराः

कूल मिला कर ये कहा जा सकता है कि, प्रवासी मजदूरों को क्वारंटीन पर रखना अब सरकार के बस की बात नही रही, धरातल की सच यही है कि सरकार हांथ खड़ी कर चुकी है, क्योंकि सरकार के पास संसाधनों का घोर अभाव है। इस हालात में प्रवासी मजदूरों को ही अपने विवेक से काम लेना होगा, अन्यथा सामुदायिक संक्रमण का खतरा स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

By taazakhabar

"TAAZA KHABAR JHARKHAND" is the latest news cum entertainment website to be extracted from Jharkhand, Ranchi. which keeps the news of all the districts of Jharkhand. Our website gives priority to news related to public issues.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *