केन्द्र सरकार ने सोंची-समझी रणनीति के तहत द्रौपदी मुर्मू को बनाया राष्ट्रपतिः के.एन.रामचन्द्रन

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः सीपाई(एम-एल)-रेड स्टार के केन्द्रीय सचिव के.एन. रामचन्द्रन का मानना है कि आदिवासियों को अपने वोट बैंक में शामिल करने के लिए द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया गया है। रामचंद्रन ने ताजा खबर झारखंड के साथ विस्तृत बातचीत में देश के वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम पर अपना विश्लेषण रखा।

उनके अनुसार भाजपा ने आरएसएस के साथ एक लक्ष्य निर्धारित किया है, उसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सुनियोजित तरीके से केन्द्र सरकार काम कर रही है। पहले दलित समुदाय से रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया, जिसके बाद दलितों का सेन्टिमेंट भाजपा अपने पक्ष में करने में कामयाब रही और वर्तमान में आदिवासी समुदाय से झारखंड की पूर्व राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया है ताकि आदिवासियों का सेन्टिमेंट भाजपा से जुडे और आदिवसियों के वोट बैंक पर कब्जा करने के साथ-साथ अपने चहेते उद्योगपतियों को आदिवासियों की जमीन पर सरकार कब्जा दिलवा सके।

उन्होंने कहा, “झारखंड ही वो प्रदेश है जहां देश भर में सबसे ज्यादा खनिज पाया जाता है और केन्द्र सरकार ये समझती है कि आदिवासी ही वो समुदाय है जो यहां के खनिजों के ऊपर सांप की तरह कुंडली मार कर बैठा हुआ है। इसलिए आदिवासियों को अपने पक्ष में करना जरूरी है, ताकि जमीन अधिग्रहण के दौरान विरोध का स्वर न उठे। एक आदिवासी को देश के सर्वोच्च पद पर आसीन कर केन्द्र सरकार आदिवासियों को ये संदेश देना चाहती है कि भाजपा ही वो पार्टी है जो आदिवासियों को सम्मान और अधिकार देने का काम कर रही है। भाजपा का ये संदेश पार्टी के सांसद और विधायक लगातार मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंचा भी रहे हैं।”

रामचंद्रन कहते हैं कि मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया जाना दलित, आदिवासी और ओबीसी के 73 प्रतिशत वोट पर कब्जा करने की रणनीति का हिस्सा है। वे याद दिलाते हैं कि पूर्व में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 80-20 का नारा दिया था।

आदिवासियों का इतिहास बताता है कि ब्राहम्णों के साथ आदिवासियों का संबंध कभी भी अच्छा नही रहा है। मुर्मू ने एनडीए द्वारा राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने के तुरंत बाद मंदिर में जाकर सबसे पहले झाड़ू लगाया, फिर भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर आदिवासियों को ये मैसेज दिया है कि ब्राह्मण उनके दुश्मन नहीं दोस्त हैं।

के.एन. रामचन्द्रन ने बातचीत के क्रम में आगे कहा कि केन्द्र सरकार अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए देश के संविधान से खिलवाड़ कर रही है। सेना का उपयोग सिर्फ राष्ट्रहित और राष्ट्र की सुरक्षा में होना चाहिए, लेकिन केन्द्र सरकार ने अग्निपथ योजना लाकर सेना का निजीकरण करने का काम किया है। केन्द्र सरकार इस योजना के तहत युवाओं को मात्र चार साल के लिए नौकरी देगी, चुंकि वेतन कम देना निर्धारित किया गया है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा युवाओं की भर्ती कर उसे गांव-गांव में पहुंचाया जाएगा। फिर इन्हीं सेना के जवानों से उद्योगपतियों को सुरक्षा मुहैया कराया जाएगा। जब भी लोग सरकार की नीति या किसी योजना का विरोध करेंगे तो ये जवान उनकी आवाज को दबाने का काम करेंगे। इस तरह मोदी सरकार एक तीर से कई निशाना लगा रही है। भारत में पूंजीवादी व्यवस्था को आगे बढ़ाने में अग्निपथ योजना का अहम योगदान होगा।

वे कहते हैं: “लोकतंत्र में जनता का हित सर्वोपरि होता है, लेकिन केन्द्र सरकार अपने चहेते पूजीपतियों के हित में काम कर रही है। देश में बढ़ी हुई महंगाई, बेरोजगारी से जनता परेशान है। देश भर में कई जगहों पर जनता आंदोलन कर रही है, लेकिन इनकी आवाज को केन्द्र सरकार नजर अंदाज कर रही है। वहीं दूसरी ओर अंबानी अडानी जैसे कई पूंजीपतियों का कर्ज केन्द्र की पहल पर बैंको द्वारा माफ कर दिया जा रहा है, आखिर क्यों? केन्द्र सरकार पूंजीपतियों के पक्ष में इतना मेहरबान क्यों हैं? इन सवालों का जवाब देश की जनता जानना चाहती है।”

दलित, आदिवासी और ओबीसी के 73 प्रतिशत वोट पर कब्जा करने की रणनीति का हिस्सा है, आदिवासी राष्ट्रपतिः

के.एन. रामचन्द्रन कहते हैं कि, पूर्व में यूपी के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ ने 80-20 का नारा दिया था। देश में मुस्लिम समेत अन्य अल्पसंख्यकों की आबादी 20 प्रतिशत है। भाजपा के पास मात्र 7 प्रतिशत उच्च वर्ग का वोट और भाजपा को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दलित, आदिवासी और ओबीसी के 73 प्रतिशत वोट पर कब्जा करना है। आदिवासियों का ईतिहास बताता है कि ब्राहम्णों के साथ आदिवासियों का संबंध कभी भी अच्छा नही रहा है। इसी संबंध को सुधारने के लिए भाजपा और आरएसएस आदिवासी बहुल ईलाकों में काम करते आ रही है, और वर्तमान में आदिवासी महिला, द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बना कर भाजपा ने अपने वोट बैंक को मजबुत करने में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए आदिवासी सेंटिमेंट को अपने पक्ष में डाईवर्ट करने में सफलता पाई है।

अग्निपथ योजना लागू करने का मक्सद, आरएसएस कैडर तैयार कर विरोध के आवाज को कुचलना हैः

के.एन. रामचन्द्रन ने बातचीत के क्रम में आगे कहा कि, केन्द्र सरकार अपने स्वार्थ की पुर्ति के लिए देश के संविधान से खिलवाड़ कर रही है। सेना का उपयोग सिर्फ राष्ट्रहित और राष्ट्र की सुरक्षा में होना चाहिए, लेकिन केन्द्र सरकार ने अग्निपथ योजना लाकर सेना का निजीकरण करने का काम किया है। केन्द्र सरकार इस योजना के तहत युवाओं को मात्र चार साल के लिए नौकरी देगी, चुंकि वेतन कम देना निर्धारित किया गया है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा युवाओं की भर्ती कर उसे गांव-गांव में पहुंचाया जाएगा। फिर इन्हीं सेना के जवानों से उद्योगपतियों को सुरक्षा मुहैया कराया जाएगा। जब भी लोग सरकार की नीति या किसी योजना का विरोध करेंगे तो ये जवान उनकी आवाज को दबाने का काम करेंगे। इस तरह मोदी सरकार एक तीर से कई निशाना लगा रही है। भारत में पूंजीवादी व्यवस्था को आगे बढ़ाने में अग्निपथ योजना का अहम योगदान होगा।

देश में बेरोजगारी, महंगाई है व्याप्त, लेकिन पूंजीपत्तियों का कर्ज माफ कर उन्हें पहुंचाया जा रहा है लाभः

रामचन्द्रन आगे कहते हैं कि, देश की कूल संपत्ति का 75 प्रतिशत संपत्ति पूंजीपत्तियों के पास है। सरकर ने स्वयं ये जवाब दिया है कि, कई पूंजीपत्तियों का कूल 11 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया है। इससे स्पष्ट है कि लोकतंत्र के मायने सरकार भूल चुकी है। लोकतांत्रिक भारत में जनता के हित को नजर अंदाज कर, पूंजीपत्तियों के हित का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। रामचन्द्रन आगे कहते हैं की भाजपा और आरएसएस ने जो रणनीति तैयार की है, केन्द्र सरकार उसी रणनीति पर काम करते हुए पूंजीवादी राष्ट्र निर्माण के पथ पर अग्रसर है।

विपक्षी पार्टियों की आवाज दबाने के लिए सरकारी संस्थाओं का किया जा रहा है उपयोगः

के.एन. रामचन्द्रन ने कहा कि केन्द्र सरकार जिसकी लाठी, उसकी भैंस वाले मुहावरे को चरितार्थ कर रही है। केन्द्र सरकार संविधान के रक्षक संस्थाओं का उपयोग अपने स्वार्थ पुर्ति में कर रही है।  विपक्षी पार्टियां जब मोदी सरकार के नीतियों के खिलाफ आवाज उठाती है, तो केन्द्र सरकार उनकी  आवाज को दबाने के लिए जांच एजेन्सियों के साथ-साथ न्यापालिका तक का उपयोग कर रही है। सीबीआई और ईडी जैसे संविधान के रक्षक संस्थाओं का भय दिखा कर उन्हें खामोश कर दिया जा रहा है, जो कोई थोड़ी बहुत हिम्मत दिखा कर न्यायपालिका तक न्याय के लिए पहुंच रहे हैं, तो वहां से भी उन्हें न्याय नही मिल रहा है। इससे स्पष्ट है कि केन्द्र सरकार ने सभी सरकारी संस्थाओं, यहां तक की न्यायपालिका को भी अपने कब्जे में कर रखा है।  

विशेष समुदाय को विशेष उदेश्य की प्राप्ति के लिए टारगेट किया जा रहा हैः

देश में संवैधानिक मुल्य, स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुत्व का लगातार उल्लंघन हो रहा है। 2014 के बाद से अल्पसंख्यकों को टार्गेट कर उनके खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है। नागरिकता संशोधन अधिनियम- 2019, सीएए जैसे कानून मुख्य तौर पर मुस्लिम समुदाय को टारगेट कर लाया गया है। देश में 2014 के बाद से एक धर्म विशेष के लोगों पर हमले हुए हैं। मोबलिंचिग की घटना में सैंकड़ो लोगों को मार डाला गया। देश की शिक्षा व्यवस्था, जिसमें सभी धर्मावलंबियों के लिए समान बात होती है, उससे भी छेड़छाड़ किया जा रहा है और एक धर्म विशेष को विशेष तौर पर स्थापित करने का काम किया गया है, जिससे संविधान के सभी मुल्यों का हनन हो रहा है। के.एन. रामचन्द्रन ने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि, कोई संदेह नही कि 2024 का चुनाव जीतने के बाद भाजपा देश में तेजी से भगवाकरण करेंगी और भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देगा।

विपक्षी पार्टियों को एकजुट होने की जरुरतः

देश की जनता वर्तमान केन्द्र सरकार के तानाशाही रवैये से उब चुकी है। सरकार के खिलाफ जनता का आक्रोश सड़कों पर दिखाई पड़ रहा है, लंबे समय तक चले किसान आंदोलन, एनआरसी-सीएए के खिलाफ जन आंदोलन और वर्तमान में अग्निपथ योजना के विरोध में देश के बेरोजगार युवाओं का आंदोलन केन्द्र सरकार के खिलाफ भड़की जन आक्रोश को प्रदर्शित कर रहा है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों की जिम्मेवारी काफी बढ़ जाती है। विपक्षी पार्टियों को लोकतंत्र और संवैधानिक मुल्यों की रक्षा के लिए जनता के समर्थन में केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना ही होगा। विपक्षी पार्टियां अगर जनता के समर्थन में आगे नही आती है, तो आने वाले समय में श्रीलंका जैसी स्थिति भारत में भी उत्पन्न हो जाएगी, जहां जनता अपने हक् अधिकारों की रक्षा के लिए सड़को पर उतरेगी और संविधान विरोधियों को सबक सिखाने का काम करेगी। 

सीपीआई(माले)रेड स्टार, छोटी पार्टी होने के बावजुद लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए लगातार आंदोलनरत्त हैः के.एन. रामचन्द्रन

के.एन. रामचन्द्रन ने बातचीत के क्रम में आगे बताया कि, हमारी पार्टी देश स्तर पर एक छोटी पार्टी है, बावजुद इसके सरकार के हर गलत कार्यों का सड़क पर विरोध कर रही है। कई मामलों में पार्टी को जीत भी हांसिल हुई है। बंगाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सीपीएम ने ममता बैनर्जी को सबसे बड़ा खतरा बताया और सभी सीटों पर कांग्रेस के साथ मील कर प्रत्याशी खड़ा करने का काम किया था, तब हमारी पार्टी ने नो वोट बीजेपी का नारा देते हुए, बीजेपी के खिलाफ काम किया और बंगाल में बीजेपी को हराने में अहम भूमिका निभाई। तृणमूल कांग्रेस की जीत में सीपीआई(माले) रेड स्टार का भी काफी योगदान रहा है। इसी तरह अन्य राज्यों में भी पार्टी जनविरोधी कार्यों को रोकने का काम कर रही है।

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