महिला उत्पीड़न की कहानी ब्यां करती है टुसू पर्व….

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रिपोर्ट- बिनोद सोनी

महिला उत्पीड़न की कहानी ब्यां करती है टुसू पर्व….

एंकर : टुसू पर्व के अवसर पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी प्रोफेसर राजा राम महतो के सौजन्य से राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में चौडल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौरान मोरहाबादी मैदान में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

टुसू पर्व के महत्व की बात करें, तो यह पर्व झारखंड के कुड़मी और आदिवासी समाज का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। टुसू पर्व धान की फसल कटने के बाद पौष माह में मनाया जाता है। इस में चावल से कई प्रकार के पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं जिसमें चीनी और गुड के साथ नमक का भी उपयोग किया जाता है। प्रोफेसर राजा राम महतो की मानें तो टुसू उस कुंवारी कन्या का ना था, जिसने नारी जाति के मान सम्मान और झारखंड की स्मिता को बचाए रखने के लिए पानी में कूद कर आत्महत्या कर ली थी। उसी की याद में टुसू पर्व मनाया जाता है। संक्राति के अवसर पर मनाये जाने वाले इस त्यौहार के दिन पूरे कूड़मी और आदिवासी समुदाय के लोग काफी श्रद्धा के साथ पूजा-पाठ नाच-गानों के साथ करते हैं। मकर संक्रांति की सुबह नदी में स्नान कर उगते सूरज की पूजा करके टुसू(लक्ष्मी/सरस्वती) की पूजा की जाती है साथ ही नववर्ष की समृद्धि और खुशहाली की कामना भी की जाती है, इस प्रकार यह आस्था का पर्व श्रद्धा, भक्ति और आनंद से परिपूर्ण होती है।

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