लॉक डाउन का प्रभाव मृतकों पर भी, नही मिल रही है दिवंगत आत्माओं को मुक्ति…

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रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

लॉक डाउन का प्रभाव मृतकों पर भी, नही मिल रही है दिवंगत आत्माओं को मुक्ति……

राँची: कोरोना महामारी के दौर में जहां लॉक डाउन की वजह से पूरे विश्व में जिवित इंसान तो परेशान हैं ही, दिवगंत आत्माएं भी इधर-उधर भटकने को मजबूर हो चुके हैं। क्योंकि इन्हें मुक्ति नही मिली है। दिवंगत आत्माओं को मुक्ति तभी मिलेगी जब इनकी अस्थियों का विसर्जन गंगा नदी में कर दिया जाएगा, लेकिन लॉक डाउन के कारन सैंकड़ों दिवंगतों की अस्थियां लॉकर में ही अब तक कैद हे।

सनातन धर्म में मृत्यु के पश्चात मृतक की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने की परंपरा रही है। लेकिन राजधानी राँची से गंगा नदी सैंकड़ों मील दूर है, और इस लॉक डाउन में गंगा नदी तक पहुंच पाना संभव नही है। यही वजह है कि राँची के रातु रोड़ स्थित गौशाला में रखे गए सैंकड़ों दिवंगतों की अस्थियां अब तक यहां के लॉकर में ही बंद है।

वर्तमान में यहां कई दिवंगतों के परिजन अस्थि कलश लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन अब उनका अस्थि कलष नाम और पता लिख कर पलास्टिक के पैकेट में बंद कर रख दिया जा रहा है।

जानकारी देते चलें कि राजधानी रांची में गौशाला की स्थापना 1904 में और हरमू मुक्ति धाम की स्थापना 1913 हुई थी। हरमू मुक्तिधाम में भी अस्थि कलश रखने की सुविधा है। यहां के लॉकर में 40 दिवंगतों के अस्थि कलश रखे हुए हैं, जिनका गंगा नदी में विसर्जन किया जाना है। इस बाबत गौशाला के पंडित घनश्याम पांडे ने जानकारी दी।

भले ही सैंकड़ों दिवंगतों की अस्थियां वर्तमान में लौकर में कैद ह, लेकिन इस महामारी के दौर में अगर बॉक डाउन का पालन सही तरीके से नही किया गया तो ना जाने और कितने दिवंगतों की अस्थियां लौकर में कैद हो कर रह जाएगी। इस लिए लॉक डाउन का सही से पालन करें और सरकार के गाई लाईन का पालन करें।

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