श्रमिक स्पेशल ट्रेन के बाद गांवों में पकड़ी बैरिकेटिंग की रफ्तार….

0
5

रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः वर्तमान में झारखंड के लगभग 7 लाख प्रवासी मजदूर देश के कई राज्यों में फंसे हुए हैं। लॉक डाउन के दौरान वहां की राज्य सरकारों द्वारा इन मजदूरों को उचित सहायता नही मिल पाने के कारन ये प्रवासी मजदूर काफी परेशान हैं और किसी भी हाल में अपने घर लौटने के लिए बेचैन है। सैंकड़ों प्रवासी मजदूर झारखंड वापस लौटने के लिए महानगरों के रेलवे और बस स्टेशनों के समीप डेरा भी डाले हुए हैं।

प्रवासी मजदूरों को हॉम क्वारंटीन में रखा जा रहा हैः

झारखंड सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रवासी मजदुर, छात्र, तिर्थयात्री और अन्य कामों को लेकर फंसे लोगों को लाने की दिशा में कार्यवाही शुरु कर दी है। प्रथम फेज में दिनांक 1 मई को तिरुवनंतपूरम से 1200 प्रवासी मजदूरों को झारखंड लाया गया और 2 मई को राजस्थान के कोटा से झारखंड के लगभग 1400 छात्रों को लाया गया, जिसमें सबसे अधीक 300 छात्र रांची जिले के हैं। फिलहाल इन सभी की स्क्रीनिंग के बाद 14 दिनों के हॉम क्वारंटीन में भेज दिया गया है।

ग्रामीण हॉम क्वारंटीन के खिलाफः

खाश बात ये है कि बाहर से आने वाले लोगों को फिलहाल हॉम क्वारंटीन पर ही रखा जा रहा है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीण, होम क्वारंटीन के बिल्कूल खिलाफ हैं। इनका मानना है कि ग्रामीण परिवेश में हॉम क्वारंटीन कभी भी सफल नही हो सकता, क्योंकि प्रवासी मजदूर जब दूसरे राज्यों से अपने गांव लौटते हैं, तो पूरे गांव का भ्रमण करते हैं और हाट-बाजारों में भी जाते हैं, इसके अलावा जब तक ये लोग गांव में रहते हैं, तब तक इनका किसी ना किसी रिश्तेदार या दोस्तों के घर आना-जाना लगा रहता है, इस हालात में अगर प्रशासन की निगरानी में ऐसे लोगों को क्वारंटीन में नही रखा गया, तो गांव की स्थिति भयावह हो सकती है। पूर्व में खूंटी जिला मुरहू प्रखंड(पूर्वी) के जिला परिषद् सदस्य चन्द्रप्रभात मुंडा इस मामले की आशंका व्यक्त कर चुके हैं।

प्रवासी मजदूरों के गांव लौटने के भय से कई गांवों में कर दी गई है बैरिकेटिंगः

राजाउलातु पंचायत के हेसाबेड़ा गांव के मुख्य पथ पर बैरिकेटिंग.

नामकुम प्रखंड, राजाउपातु पंचायत अन्तर्गत कई गांव के ग्रामीणों को इस बात की जानकारी जैसे ही हुई, कि प्रवासी मजदूरों को सरकार द्वारा वापस लाया जा रहा है, इस खबर के बाद ग्रामीणों ने हर गांव में बैठक कर ऐसे लोगों के गांव में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा दी है। शनिवार के बाद रविवार को भी कई गांव में ग्रामीणों ने बैठक कर, ये निर्णय लिया। इस पंचायत के कई गांवों के पहुंच पथ को बैरिकेटिंग कर ग्रामीणों ने अवरुद्ध कर दिया है। इस बाबत जब सोगोद गांव निवासी गुलाब मुंडा से फोन पर बात की गई तो, उन्होंने बताया कि सरकार आने वाले लोगों को पहले अपनी निगरानी में 14 दिनों के क्वारंटीन पर रखें, उसके बाद गांव की सहिया बहन या अस्पताल के चिकित्सक गांव वालों को बताए कि फलां आदमी कोरोना का मरीज नही है, तभी उसे गांव में प्रवेश करने दिया जाएगा।

ग्रामीणों की सोंचः

कूल मिला कर गांव में कोरोना वायरस को लेकर भय का माहौल कायम है, जिसके कारन इन क्षेत्रों में काफी तेजी से हर पहुंच पथ की बैरिकेटिंग की जा रही है। इनका मानना है कि महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात पूणे और हैदराबाद में गांव से काफी युवक रोजगार के लिए गए हुए हैं, चुंकि उन राज्यों में कोरोना वायरस का संक्रमण ज्यादा देखने को मिला है, इसलिए वहां से गांव लौट रहे युवकों में भी कोरोना वायरस हो सकता है और उन्हें गांव में प्रवेश देकर ग्रामीण पूरे गांव वालों की जान जोखिम में डालना नही चाहते हैं।  

Leave A Reply

Your email address will not be published.