कालाबाजारी करने वाले राशन डीलर को बचाने नशे में धुत्त हो कर पहुंचे थें सिमडेगा सीओ और अनुमंडल कार्यपालक दंडाधिकारी, भ्रष्टाचार की पोल खोलने वाले ग्रामीणों पर दर्ज करवाया झुठा केस…

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ब्यूरो रिपोर्ट….

सिमडेगाः खांकी वर्दी पर से आम लोगों का, विशेष कर गरीब तबके के लोगों का विश्वास उठता जा रहा है। खांकी वर्दी उसी पक्ष में खड़े नजर आते है, जिधर पैसे वाले, रसुखदार और सफेदपोश खड़े होते हैं। सिमडेगा जिला कोचेडेगा पंचायत में 9 मार्च 2023 को घटित घटना से ये साफ हो चुका है कि पुलिस उसी रसुखदार, अधिकारियों की बात मानती है, जो संविधान के रक्षक नहीं बल्कि भक्षक हैं। जो लोग अपने संवैधानिक हक् अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं, उन्हें भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी झुठे केस में फंसाने का काम करते हैं और भ्रष्टाचारियों का पोषण करते हैं।

बीते दिनों सोशल मीडिया में सिमडेगा जिले के सीओ और अनुमंडल कार्यपालक दंडाधिकारी का नशे की हालत में ग्रामीणों के साथ बदसलुकी करने का वीडियो वायरल होने के बाद कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ता, अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ताओं की नजर इस वीडियो पर पड़ी, जिसके बाद इस मामले की जांच करने का निर्णय लिया गया। जांच टीम में मानवाधिकार कार्यकर्ता तारामणि साहू, डॉक्टर एंटोनी, एडवोकेट शिव प्रसाद सिंह,  भुनेश्वर केवट,  नंदिता भट्टाचार्य और सुनीता लकड़ा शामिल थीं।

जांच टीम, मामले की जांच के लिए सिमडेगा जिला के कोचेडेगा पंचायत पहुंची, जहां 9 मार्च की रात्रि में ग्रामीणों ने जनवितरण प्रणाली के एक राशन डीलर को चावल की काला बाजारी करते रंगे हांथ पकड़ा था। ग्रामीणों ने जांच टीम को बताया कि पंचायत के राशऩ डीलर लेतारेस टोप्पो के दुकान से जीतराम प्रधान नामक व्यक्ति राशन की एक बोरी लेकर जा रहा था, जिसे देख कर एक ग्रामीण ने पूछा, कि आप यह राशन कहां लेकर जा रहे हैं? तभी उसने कहा कि हमारे घर पर शादी है, इसलिए मैं यह चावल ₹1000 रूपये में डीलर लेतारेस टोप्पो से खरीद कर लेकर जा रहा हूं। ग्रामीणों ने कहा कि यह राशन हजार रूपये में क्यों दिया गया? यह डीलर किसी की मदद नहीं कर रहा है,बल्कि यह कालाबाजारी है। 1 हजार रुपए लेकर रात के अंधेरे में चावल देना पुरी तरह से कालाबाजारी है। डीलर कार्डधारियों को ये कह कर कार्डधारियों को चावल नहीं दे रहा है कि चावल आया ही नहीं है, फिर उसने सरकारी चावल कैसे रुपये लेकर दे दिया? मौके पर उस मजदूर व्यक्ति को रोका गया और मुखिया को फोन द्वारा सूचित किया गया।

कालाबाजारी किये जाने की सूचना पाकर जब मुखिया घटनास्थल पर पहुंचे, तब उन्होंने देखा कि, सभी ग्रामीण वहां चावल की बोरी को लेकर सवाल कर रहे थें। तभी मुखिया शिशिर टोप्पो ने सदर अंचल  CO प्रताप मिंज को फोन द्वारा सूचित किया कि, यहां कालाबाजारी का 1 बोरा चावल पकड़ा गया है । इसका क्या करें? जिसमें प्रताप मिंज ने बताया कि मैं इसका इंचार्ज नहीं हूं। फिर मुखिया ने जिला खाद्य आपूर्ति विभाग को फोन द्वारा संपर्क किया और इस घटना के बारे में जानकारी दी। तभी DSO मैडम पूनम कच्छप द्वारा यह बताया गया कि, मैं छुट्टी पर हूं आप MO से बात कर लीजिए। इसके बाद    मुखिया के पास MO का फोन आया। फिर MO से बात करने पर उन्होंने बताया कि, वह अभी छुट्टी पर आए हुए हैं, वापस आने में रात हो जाएगी, मैं कल सुबह जांच के लिए आऊंगा, तब तक आप इस बोरी को जब्त कर लें और अपने पास रख लें।‘

तब तक वहां काफी ग्रामीण जमा हो चुके थे और मुखिया से सवाल कर रहे थे कि, इस बोरी का क्या करें? तभी मुखिया ने उन्हें MO की सारी बातें बताई परंतु ग्रामीण काफी नाराज हो रहे थें। क्योंकि हर बार राशन डीलर अपनी चोरी से बचता रहा है। इसलिए फिर मुफस्सिल थाना को फोन द्वारा सूचित किया गया कि, हमारे यहां राशन की कालाबाजारी की एक बोरी पकड़ी गई है,जिसे आप जब्त करें।

कालाबाजारी करने वाले राशन डीलऱ लेतारेस टोप्पो की दुकान.

फिर थोड़ी ही देर बाद मुफस्सिल थाना की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और नम्र भाव से ही बात करते हुए कहती है कि आप हमें लिखित में शिकायत दे दीजिए। जिसके बाद ग्रामीणों द्वारा एक लिखित शिकायत दी गयी, लेकिन फिर मुफस्सिल थाना के पुलिस अधिकारी ने कहा कि, अभी कुछ अधिकारी आ रहे हैं आप उन्हीं को लिखित शिकायत दे दीजिएगा। पुलिसकर्मी द्वारा ग्रामीणों को यह नहीं बताया गया था कि, कौन-कौन अधिकारी आ रहे हैं।

करीबन 2 घंटे बाद, लगभग 9:00 बजे रात्रि में अंचल के CO प्रताप मिंज और अनुमंडल कार्यपालक दंडाधिकारी अधिकारी पंकज कुमार भगत घटना स्थल पर पहुंचे। इस दौरान दोनों ही अधिकारी नशे में धुत्त थें। स्थिति ये थी कि दोनों ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहे थें और बार बार लड़खड़ा रहे थें। नशे की हालत में ही सिमडेगा CO प्रताप मिंज ने मुखिया से बात की और उनसे कहने लगे कि, जिस व्यक्ति को आपने चावल का बोरा लेते हुए पकड़ा है वह व्यक्ति आप ही के घर का मजदूर था। आपके साथ काम नहीं कर रहा है इस वजह से आप उसे पकड़ रहे हैं। फिर प्रताप मिंज ने यह कहा कि, जब कुछ दिन पहले ट्रैक्टर में चावल की बोरी जा रही थी, तब क्यों नहीं पकड़ा गया, तब क्यों नहीं शिकायत की गई? और अभी 1 बोरा चावल क्यों पकड़ा जा रहा है? सीओ ऊंची आवाज में मुखिया को कहने लगे। तभी मुखिया ने कहा कि, उस वक्त हमारे पास कोई भी फोटो या वीडियो नहीं था और वह गाड़ी तेज गति से आगे बढ़ गई थी, जिस वजह से हम लोग रोक नहीं पाए। बिना सबूत के कोई भी कानून किसी को भी कसूरवार नहीं मानता तो हम लोग कैसे करते आपके पास शिकायत? मुखिया का जवाब सुन कर कार्यपालक दंडाधिकारी पंकज भगत ने नशे की हालत में लड़खड़ाते हुए कहा धमकी भरे लहजे में कहा कि, 144 धारा याद है ना! इस बात पर सीओ ने पीछे मुड़कर उंगली दिखा कर पंकज भगत को चुप रहने का इशारा किया।

9 मार्च को घटित घटना के बारे में ग्रामीणों से जानकारी लेते जांच टीम के सदस्य.

दोनों की अधिकारियों की बात सुन कर ग्रामीण थोड़े आक्रोशित हो गएं, और कहा कि, आप लोग जांच करके कार्रवाई करने आए हैं या मुखिया को धमकाने के लिए आए हैं?  इस पर सीओ प्रताप मिंज आगबबुला हो गएं और नशे की हालत में ग्रामीणों को अपशब्द(मां-बहन की गालियां)कहने लगें, जो वीडियों में स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है। सीओ और कार्यपालक दंडाधिकारी के इन्हीं अपशब्दों की वजह से ग्रामीण आक्रोशित हो गएं। जब ग्रामीणों ने नशापान का मेडिकल जांच कराने की मांग करने लगें तो, ग्रामीणों की इस मांग से डर कर कार्यपालक दंडाधिकारी, पंकज भगत नशे की हालत में ही लड़खड़ाते हुए अपनी गाड़ी की ओर भागने लगें इस दौरान वो कई बार जमीन पर गीर पड़ें। घटना स्थल पर मौजुद पुलिस कर्मियों ने पंकज भगत को हर बार उठाया, जो वीडियों में दिखाई पड़ रहा है। यहां किसी भी ग्रामीण ने पंकज भगत के साथ कोई बदसलुकी नहीं की, ग्रामीण सिर्फ नशापान की जांच करने की मांग कर रहे थें, जिससे डर कर कार्यपालक दंडाधिकारी भागते हुए हर बार गिर जा रहे थें। भागते समय पंकज भगत महिलाओं के ऊपर भी गिरे। वे नशे में थें, इसलिए सभी लोग उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थें ताकि वो किसी दुर्घटना का शिकार ना हो जाएं। लेकिन वो लड़खड़ाते हुए भागते ही रहें। अंतिम बार वे एक खेत में गिरें, जहां से उन्हें उठा कर पुलिसकर्मियों ने सीओ के वाहन में बैठाया, जो सीसीटीवी कैमरे में भी रिकॉर्ड है।

ग्रामीणों ने सिमडेगा एसपी से फोन पर बात कर नशापान की जांच कराने की मांग कीः

इस बारे में एसपी सिमडेगा, सौरभ कुमार को फोन करके उनसे बात की गई। एसपी सिमडेगा ने कहा कि जरूर जांच की जाएगी, लेकिन वह जांच गांव में नहीं होगी, उन्हें सिमडेगा लाना पड़ेगा। वहीं मुफस्सिल थाना के पुलिस की निगरानी में CO की गाड़ी में बैठे हुए पंकज भगत वहां से कब और कहां भाग गये यह ग्रामीणों को पता नहीं चला। पंकज भगत के गायब होने के बाद वहां कई और वरीय पदाधिकारी पहुंचें। जब ग्रामीणों द्वारा उन्हें खोजने का जिद किया गया और कहा गया कि मजिस्ट्रेट को कुछ हो जाता है तो आप लोग कल को ग्रामीणों पर ही दोष लगायेंगे, रात के अँधेरे में कहीं कुँए, खेत इत्यादि में न गिर जाएँ या फिर उनके साथ कोई हादसा हो जाये और इसके लिए ग्रामीणों को जिम्मेदार ठहराया जायेगा। इस पर मौके पर मौजुद पुलिस अधिकारी और SDM ने कहा कि, हमलोग उनको देख लेंगेग्रामीणों पर कोई दोष नहीं लगाया जायेगाघटनास्थल पर मौजुद SDO, SDPO, BDO और थाना प्रभारी ने ग्रामीणों के साथ कार्यपालक दंडाधिकारी पंकज भगत को ढूंढने से मना करने लगें।

SDM, SDPO, और थाना प्रभारी को लिखित शिकायत किया गयाः

इसके बाद SDM, SDPO, और थाना प्रभारी को शराब के नशे में धुत्त होकर रात के अंधेरे में PDS जांच करने आए कार्यपालक दंडाधिकारी पंकज भगत और सीओ प्रताप मिंज के मेडिकल जांच कराने के संबंध में और गरीबों के बीच वितरण किया जाने वाला 40 किलो चावल डीलर द्वारा 1000 रूपये में की जा रही कालाबाजारी की पकड़ी गई बोरी से संबंधित 2 लिखित आवेदन दिया गया।

एसडीएम का आश्वासन- ग्रामीण के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं किया जाएगाः

इस पूरी घटना को देखते हुए SDM, SDPO और BDO ने कहा कि अगर, कोई अधिकारी गलत करता हैं तो, उसके ऊपर भी कार्रवाई की जाएगी और डीलर के ऊपर भी कार्रवाई की जाएगी। किसी ग्रामीण के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं किया जाएगा। यह कह कर ग्रामीणों को सांत्वना देते हुए सारे अधिकारी वहां से चले गएं।

ग्रामीणों के साथ अधिकारी और पुलिस सुबह चार बजे तक उन्हें खोजते रहेः

वहां से रवाना होते समय पेट्रोलिंग करने की बात कहते हुए अधिकारीगण पंकज भगत को गाँव के चारों तरफ खोजने लगे। और वहां बचे हुए कुछ ग्रामीणों से खोजने के लिए साथ देने की अपील कियें। पंकज भगत सुरक्षित हों इसलिए ग्रामीण काफी देर रात तक उन्हें सभी अधिकारियों के साथ ढूंढते रहे। उन्हें खोजते खोजते सुबह के 4:00 बज गए थें। लगभग 4:00 बजे सुबह में खोजबीन में जुटे लोगों को खबर मिली कि नशापान कर ग्रामीणों को अपशब्द कह कर भागने वाला कार्यपालक दंडाधिकारी पंकज भगत अपने घर में सही सलामत पहुंच गया हैं और आराम कर रहे हैं।

डीलर, लेतारेस टोप्पो के खिलाफ पूर्व में भी किया जा चुका है शिकायतः

ग्रामीणों ने जांच टीम को ये भी बताया कि, कुछ माह पहले से डीलर लेतारेस टोप्पो द्वारा राशन की प्राप्ति रसीद दी जा रही थी, जिसमें लिखा हुआ था कि, इन्हें राशन दे दिया गया है। परंतु यह राशन कार्डधारियों को मिले ही नहीं थे। दो महीने पहले कार्ड धारियों की यह भी शिकायत थी कि, कुछ नए राशन कार्ड बनाए जा रहे हैं, जिसमें 200 से ढाई सौ रूपये की मांग की जाती है और उन्हें देना पड़ता है। जबकि राशन कार्ड बनाने के लिए कोई राशि नहीं ली जाती है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि 3 माह से मिलने वाले जो राशन थे, वह राशन लेतारेस टोप्पो डीलर के माध्यम से कार्ड धारियों को नहीं दिए जा रहे थें, जबकि सभी राशन डीलरों ने वह राशन अपने-अपने कार्ड धारियों को वितरण कर दिया था। परंतु इस गांव में अब तक उस माह का राशन वितरण नहीं किया गया। इन सभी विषयों से तंग आकर सभी ग्रामीणों ने मुखिया से शिकायत की और सभी परेशानियों से अवगत कराया।

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि,  कुछ दिन पहले ग्रामीणों ने एक ट्रैक्टर सरकारी राशन से भरी बोरियों को इसी रोड से गुजरते हुए देखा और लोगों ने इसे रोकने की कोशिश भी की थी. लेकिन अचानक से कोई सुविधा ना होने पर वह ट्रैक्टर को नहीं रोक पाएं और ट्रैक्टर चालक बड़ी ही तेज गति से सारे राशन को ले कर फरार हो गया। ट्रैक्टर में भरे सरकारी राशन की बोरियों की फोटो खींची गई थी और मुखिया को सूचना दी गई, तभी मुखिया ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को सूचित किया था। परंतु किसी तरह की कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।

ग्रामीणों की गलती रहती, तो मौके पर मौजुद पुलिस उसी समय उन्हें गिरफ्तार कर सकती थीः

घटना के दूसरी ही दिन 10 लोगों के ऊपर जिनमें मुखिया शिशिर टोप्पो, मुखिया के पिताजी हनुक टोप्पो उनके भाई तिमोथियुस टोप्पो, पंकज टोप्पो, अतीत टोप्पो और ग्रामीण बिलोकन खेस्स, अरुण एक्का, अर्नेस्ट लकड़ा, प्रदीप टोप्पो पर,कार्यपालक दंडाधिकारी पंकज भगत के साथ मारपीट करने और उनके उपर जानलेवा हमला करने का झुठा केस दर्ज करवा दिया जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि प्रदीप टोप्पो नाम का कोई भी व्यक्ति गांव में नहीं है। अगर किसी तरह की जानलेवा हमला या अप्रिय घटना हुई होती, तो सिमडेगा जिले के सभी अधिकारी, वरीय पदाधिकारी, घटनास्थल पर मौजूद थें और काफी संख्या में पुलिस के जवान भी मौजुद थें, तो फिर उसी वक्त उन्हें क्यों नहीं गिरफ्तार कर लिया गया। ग्रामीण वरीय अधिकारियों के साथ पुरी रात पंकज भगत को ढुंढने में लगे हुए थें, जो अधिकारी भी देख और जान रहे हैं, फिर क्यों इस तरह का झुठा केस ग्रामीणों पर दर्ज करवाया गया है। जानलेवा हमला करने का आरोप पूरी तरीके से झूठा और गलत है।

शराब के नशे में धुत्त दोनों अधिकारियों पर खड़े हो रहे हैं कई प्रश्नः

  1. जिला सिमडेगा के कोचेडेगा पंचायत में हुए घटना क्रम में जब CO प्रताप मिंज और अधिकारी पंकज भगत को बुलाया ही नहीं गया था, तो यह दोनों अधिकारी रात को नशे की हालत में घटनास्थल पर क्यों पहुंचे?

  2. एफआईआर में दर्शाया गया है कि पंकज कुमार भगत को बेरहमी से मारपीट किया गया पर जब घटनास्थल पर मुफस्सिल थाना प्रभारी देव कुमार दास, अन्य थाना के प्रभारी, इंस्पेक्टर रवि प्रकाश,एसडीपीओ डेविड डोडराय और प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम महेंद्रकुमार, बीडीओ अजय कुमार रजक, सीओ प्रताप मिंज और साथ में आये इतने सारे पुलिस बल पीडीएस जांच करने के लिए मौजूद थे। तब अधिकारी पंकज कुमार भगत को ग्रामीण कैसे मार सकते थें? और अगर मारपीट किया गया तो उसी दौरान घटनास्थल पर ही उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?

  3. नशे में धुत्त सीओ, प्रताप मिंज ने सिमडेगा में दिनांक 10 मार्च 2023 को सिमडेगा के एक स्थानीय संवाददाता को बताया है कि, मुखिया द्वारा अधिकारी पंकज भगत को लाठी-डंडे और तलवार से मार कर जख्मी किया गया, जबकि घटनास्थल पर लगभग 20-25 की संख्या में हथियारबंद पुलिसकर्मी थाना प्रभारी और इंस्पेक्टर मौजुद थें। सवाल ये कि पुलिस ने लाठी-डंडा और तलवार जप्त क्यों नहीं किया? क्यों पुलिस उस समय मूकदर्शक बनी रही।

  4. इन अधिकारियों के झूठे आरोप से संबंधित सवाल– अगर यह दोनों अधिकारी नशे की हालत में नहीं थें, तो CO प्रताप मिंज और अधिकारी पंकज भगत दोनों ही युवा अधिकारी है। F.I.R में दर्शाए गये 71 वर्षीय वृद्ध हनुक टोप्पो को भी आरोपी बनाया गया है। उनसे भी ये लोग कैसे अपनी सुरक्षा नहीं कर पाए?, पुलिसकर्मियों का सहयोग रहते हुए भी उन्होंने कैसे खुद को नहीं बचाया?

  5. पंकज भगत के मेडिकल रिपोर्ट पर साफ-साफ लिखा गया है कि उनके दोनों हाथ के कोहनी पर और पैर के दोनों घुटने पर भी घीसटने की चोट है। और सभी जख्म सामान्य हैं। क्योंकि इस मेडिकल रिपोर्ट में कहीं भी लाठी-डंडे तलवार छुरी से जख्म लगने का कोई उल्लेख नहीं किया गया है, जबकि सिमडेगा सीओ प्रताप मिंज ने आरोप लगाया है कि अधिकारी पंकज भगत पर जानलेवा हमला किया गया है, जिसमें लाठी-डंडे और तलवार से मारा गया है।

  6. सिमडेगा जिला के सभी वरीय अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे थे और सभी ने ग्रामीणों को सांत्वना देते हुए कहा कि उच्च स्तरीय जांच की जाएगी और अचानक से सारे स्टेटमेंट बदल गए। बेकसूर ग्रामीण और मुखिया, जिन्होंने सच्चाई और ईमानदारी को लेकर सवाल खड़ा किया। जनता के अधिकारों के लिए आवाज उठाई, उन पर ही आरोप लगाया गया, आखिर क्यों? क्या राशन डीलर को इन अधिकारियों का सह प्राप्त है?

  7. जहां डीलर और ऐसे नशेबाज अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए वहां आम जनता के ऊपर केस दर्ज किया गया, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति झूठ और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिष ना करे। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले आम जनता पर झूठा केस दर्ज किया जाएगा।

  8. 8. F.I.R में सिर्फ मुखिया के परिवार को ही क्यों आरोपी बनाया गया? जबकि CO के स्टेटमेंट और F.I.R में ग्रामीणों का जिक्र किया गया है?

पीड़ित मुखिया, शिशिर टोप्पो से हुई बातचीत:

मुखिया ने बताया कि मैं जनप्रतिनिधि हूं और जनता के हित में काम करने के लिए मुझे चुना गया है। इसलिए जनता के साथ हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने CO,DSO,MO को सूचित किया। पर मुझे नहीं पता था, कि CO प्रताप मिंज और पंकज भगत द्वारा इस तरह से घटना को अंजाम दिया जाएगा और उल्टे मुझे और जनता को ही दोषी बनाया जाएगा।

आरोपी सीओ, प्रताप मिंज का बयानः

जांच टीम ने सीओ प्रताप मिंज से उनका पक्ष लिया। उन्होंने बताया कि सभी ग्रामीणों ने उन पर और पंकज भगत पर जानलेवा हमला किया। प्रताप मिंज का कहना था कि, मुखिया और उसके परिवार वालों का कसूर है। अधिकारियों को टारगेट करके बुलाया गया था। उन्होंने कहीं भी ग्रामीणों का जिक्र नहीं किया और ना ही डीलर के भ्रष्टाचार पर कोई चर्चा किया। सीओ से जब सवाल किया गया कि आपका आरोप पुरे मुखिया परिवार के ऊपर था, तो फिर अब तक मुखिया के परिवार के एक भी सदस्य को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? इस पर सीओ प्रताप मिंज का जवाब है कि जेएमएम का प्रेशर है। लेकिन सीओ प्रताप मिंज ने ये स्वीकार किया कि घटना स्थल पर मेरा स्लिप ऑफ़ टंग(जुबान फिसलना) हुआ था। सीओ ने ये भी कहा कि कोई भी अधिकारी घटनाक्रम में नशे में नहीं था।

सिमडेगा डीएसओ पुनम कच्छप का बयानः

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पूनम कच्छप से वार्ता किया। जिसमें पूनम कच्छप ने बताया कि वह छुट्टी पर थी और उन्हें इस मामले की कोई भी जानकारी नहीं है। फिर उन्होंने यह भी बताया कि MO ने घटना की जांच की है, जिसमें डीलर ने स्पष्टीकरण दिया है कि, डीलर लेतारेस टोप्पो ने शादी कार्यक्रम के लिए मजदूर परिवार जीतराम प्रधान को 40 किलो चावल दिया था। टीम के द्वारा पूछा गया कि न्यूज़ चैनल के माध्यम से देखा गया कि CO और कार्यपालक दंडाधिकारी नशे के हालत में थे इस पर DSO पुनम कच्छप ने कहा कि ये उनका व्यक्तिगत मामला है, मैं कुछ नहीं कह सकती।

सिमडेगा डीसी और एसपी से जांच टीम की मुलाकात नहीं हो सकीः  

डीसी सिमडेगा से जांच टीम इस घटना पर बात करने के लिए सिमडेगा समाहरणालय पहुंची, जहां जांच टीम से विषय पूछा गया। इसके बाद डीसी की ओर से कहलवाया गया कि अभी व्यस्त हैं, मुलाकात नहीं हो सकती है। वहीं एसपी सिमडेगा से भी हमारी टीम मिलने के लिए उनके ऑफिस पहुंची थी, लेकिन किसी काम से एसपी फील्ड में गए हुए थें, जिसके कारन एसपी से भी इस मामले में बात नहीं हो सकी।

जांच टीम की मांगः

  1. 10 लोगों पर लगाया गया झूठा केस वापस लिया जाए।
  2. डीलर एवं राशन माफिया पर केस दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाए।
  3. मुखिया के ऊपर लगाए गए सारे झूठे आरोप को सम्मान पूर्वक वापस लिया जाए।
  4. नशे की हालत में आए पदाधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए ।
  5. झूठा केस दर्ज करने वाले, अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
  6. 3 महीने से जिन कार्डधारियों को राशन नहीं मिला है, उन्हें मुआवजा के साथ राशन वितरण किया जाए।

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