69 लाख पंजीकृत परिवारों में से इस साल अब तक मात्र 19% परिवारों को मिला काम, राज्यभर में चलाया जाएगा मनरेगा मजदूर संघर्ष अभियान.

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ताजा खबर व्यूरो रिपोर्ट…

राँची: गुरुवार को भाकपा (माले) के केन्द्रीय कार्यालय में वामपंथी दल और कई जन संगठन के प्रतिनिधियों की बैठक मनरेगा मुद्दे को लेकर संपन्न हुईl बैठक में झारखण्ड मनरेगा वाच के राज्य संयोजक, जेम्स हेरेंज ने राज्य में मनरेगा की गंभीर स्थिति पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि क़ानून होते हुए भी आज राज्य के 1.12 करोड़ मजदूरों की स्थिति बेहद ख़राब है l 69 लाख पंजीकृत परिवारों में से इस साल अभी तक मात्र 19% परिवारों अर्थात् 14% मजदूरों को ही मनरेगा में काम मिल सका है। सरकार की सामाजिक अंकेक्षण ईकाई द्वारा 2021- 22 में किये गए मनरेगा योजनाओं के समवर्ती अंकेक्षण रिपोर्ट के अनुसार मस्टर रोलों में दर्ज मजदूरों में से सिर्फ 25% प्रतिशत मजदूर ही कार्यस्थल पर मिले थेंl

मौके पर झामस के मनोज भोक्ता ने कहा कि कोविड के प्रारंभिक चरण में करीब 15 लाख मजदूर अन्य राज्यों से वापस पहुंचे थेंl राज्य में मनरेगा की अनेक कठिनाईयों की वजह से आज वापस दूसरे राज्यों में पलायन करने को विवश हैंl

साक्षरता आन्दोलन से जुड़े गिरिडीह के विश्नाथ सिंह का कहना था कि, आज की तिथि में कोई भी भेंडर सामाग्री आपूर्ति नहीं करता, बल्कि सिर्फ बिल भाऊचर सप्लाई करता है,  इससे लाभुकों को कभी भी उनके द्वारा लगाये गए सामग्री के बदले पैसे नहीं मिल पाते हैं। इसी संगठन के असीम सरकार ने कहा कि सरकार अधिनियम के प्रावधान के बावजूद ग्राम सभा की ताकत को लगातार कमजोर कर रही हैl ऑनलाइन हाजरी के नाम पर योजनाओं में पारदर्शिता शब्द मात्र रह गया है। एनएमएमएस प्रणाली के लागू होने से काम करने के बावजूद मजदूरों की हाजरी नहीं बन पा रही है, क्योंकि गांवों में ना मेटों के पास स्मार्ट फ़ोन है, न नेटवर्क, न बिजली और ना ही रिचार्ज की सुविधाl  इस प्रणाली से मजदूर एकदम से थक जा रहे हैं, ऊपर से अकाल और भुखमरी ने मजदूरों की कमर ही तोड़ दी है।

मनरेगा मजदूरों के इन मुद्दों को राज्य ब्यापी मुद्दा बनाने के लिए मनरेगा मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान चलाने पर आम सहमति बनी, जिसमें अन्य सहमना जनसंगठनों, ट्रेड यूनियनों तथा राजनीतिक वाम दलों के साथ मिलकर साझा अभियान चलाया जाएगाl इसके लिए सरकार आपके द्वार हेतु चल रहे पंचायत शिविरों में मजदूरों से काम मंगवाने, बकाया मजदूरी का आवेदन करवाने एवं सामग्री मद में बकाये की भुगतान हेतु आवेदन कराने का अभियान चलाया जाएगाl  नवम्बर महीने के अंतिम सप्ताह में अभियान की समीक्षा हेतु राज्य स्तरीय बैठक की जाएगीl राज्य भर से एकत्रित मुद्दों को लेकर राज्यस्तरीय जनसुनवाई की जाएगीl  विधान सभा के शीतकालीन सत्र में मनरेगा एक राजनीतिक मुद्दा बने इसके लिए सत्र के दौरान सभी मजदूर संगठन, ट्रेड यूनियन और राजनीतिक वामदलों की अगुवाई में धरना-प्रदर्शन किया जाएगाl इसके बाद आगामी 2 फ़रवरी 2023 को नरेगा दिवस के मौके पर व्यापक मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगाl

बैठक में मुख्य रूप से सीपीआइ (एम) के प्रकाश विप्लव, आदिवासी अधिकार मंच के प्रफुल लिंडा, खाद्य सुरक्षा जनाधिकार मंच के संदीप प्रधान, गी.वी.एस. के. रवि सिंह,  मासस के देवकी नंदन बेदिया, सीपीआइ के अजय सिंह, झारखण्ड किसान परिषद् के अम्बिका यादव, सिराज दत्ता, बबलू चौधरी, सच्चीदानंद पासवान, अर्पणा बाड़ा, असीम सरकार आदि उपस्थित थें l

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