11 फरवरी को झारखंड हाईकोर्ट ने एमएसएस से प्रतिबंध हटाने का दिया था आदेश, लेकिन 19 दिन बाद भी सरकार ने कोर्ट के आदेश का नहीं किया पालन….

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

एमएसएस पर माओवादियों का फ्रंटल ऑर्गेनाईजेशन होने का आरोप लगा कर सरकार ने लगाया था प्रतिबंध।

एमएसएस के सभी कार्यालय, बैंक अकाउंट और अस्पताल किया था सील।

झारखंड हाईकोर्ट ने 11 फरवरी 2022 को अपने आदेश में सरकार की इस कार्रवाई को बताया गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई।

19 दिन बाद भी न्यायालय के आदेश का सरकार ने नहीं किया है पालन।

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट द्वारा मजदूर संगठन समिति से प्रतिबंध हटाने का आदेश दिए जाने के 19 दिन बाद भी जिला प्रशासन द्वारा अब तक ना ही गिरिडीह और बोकारो में संचालित मजदूर संगठऩ समिति के कार्यालय में जड़े गए सील को खोला गया है और ना ही समिति और मजदुरों के फ्रिज बैंक अकाउंट को पुनः खोलने का आदेश जारी किया गया है।

बुधवार को राजधानी रांची के पुरुलिया रोड़ स्थित सत्य भारती सभागार में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर “मजदूर संगठन समिति” के पूर्व सचिव, बच्चा सिंह ने कहा कि 11 फरवरी 2022 को झारखंड हाईकोर्ट द्वारा प्रतिबंध हटाने का आदेश दिए जाने के बावजुद, अब तक जिला प्रशासन ने प्रतिबंध हटाने की दिशा में कोई कार्रवाई शुरु नही की है। कोर्ट के आदेश दिए 19 दिन बाद भी समिति के सभी कार्यालय में सील लगा हुआ है और समिति के बैंक अकाउंट के साथ-साथ मजदूरों के भी बैंक अकाउंट जो दिसंबर 2017 में फ्रिज कर दिया गया था उसे खुलवाने की दिशा मे कोई पहल शुरु की गई है। बच्चा सिंह ने आगे कहा कि, इस मामले में जिला प्रशासन से पत्राचार कर जल्द से जल्द कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए कहा जाएगा, अगर जिला प्रशासन इस दिशा में पहल नहीं करती है, तो ये कोर्ट के आदेश की अवमानना होगी।

समिति के पूर्व सचिव, बच्चा सिंह ने ये भी जानकारी दी कि, मजदूर संगठन समिति पर जिला प्रशासन ने माओवादियों का फ्रंटल ऑर्गेनाईजेशन बताते हुए समिति के सभी कार्यालय, अस्पताल, समिति से जुड़े मजदूरों के बैंक अकाउंट को फ्रिज करने का काम किया था, जो निराधार था। जिला प्रशासन कोर्ट में अपने आरोपों को साबित नही कर पाई, जिसके बाद झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, कि समिति के खिलाफ कभी भी थाने में कोई शिकायत दर्ज नही हुई है, जिससे स्पष्ट होता है कि मजदूर संगठन समिति किसी भी प्रकार की चरमपंथी गतिविधि या अराजकता में शामिल रहा हो। न्यायालय ने सरकार पर नाराजगी भी जताई कि, इस पुरे मामले में गैर-जिम्मेदाराना रवैया अख्तियार किया गया है।

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