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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिया कार्यवाही का आदेश, जी.एस.पब्लिक स्कूल, कोडरमा कर रहा था शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन.

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ब्यूरो रिपोर्ट…

कोडरमा : एक तरफ कोडरमा जिले को शिक्षा के प्रति बेहतर कार्य करने और डिजिटल शिक्षा को ले कर राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर कोडरमा में कई निजी विद्यालय सी.बी.एस.ई. से मान्यता प्राप्त होने के बाद भी शिक्षा अधिकार कानून का पूर्ण पालन नहीं कर रहा है, जिससे गरीब और शिक्षा से वंचित तबके के बच्चे बेहतर और संसाधन युक्त शिक्षा से वंचित हो रहे हैं, जिस ओर जिला प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।

जांच के दौरान विद्यालय प्रबंधन ने जो दस्तावेज उपलब्ध कराया, वह अधिनियम के मानक के विपरीत पाया गयाः

ऐसा ही एक मामला कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड स्थित ज्ञान सरोवर पब्लिक स्कूल (जी.एस.पी.सी.) में देखने को मिला है। जी.एस.पब्लिक स्कूल, मान्यता प्राप्त होने के बाद भी शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का पालन नहीं कर रहा है। मामले की लिखित शिकायत मानवाधिकार कार्यकर्ता सह अधिवक्ता, ओंकार विश्वकर्मा द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली में दर्ज करवाया गया था। आयोग द्वारा मामले की जांच के लिए कोडरमा जिला प्रशासन को आदेश दिया गया था, जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा दो बार उक्त विद्यालय में जांच किया गया। दोनो ही जांच में विद्यालय प्रबंधन ने जो दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं, वह सभी संदिग्ध है और अधिनियम के मानक के विपरीत है, जिस पर ओंकार विश्वकर्मा द्वारा आयोग के समक्ष आपत्ति दायर किया गया था।

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा कोडरमा उपायुक्त को भेजा गया पत्र.
जांच में कई अनियमितता निकल कर सामने आईः

कोडरमा उपायुक्त के आदेश पर उक्त विद्यालय की जांच की गई थी। जांच टीम द्वारा पूछे जाने पर विद्यालय प्रबंधन ने जमीन से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराते हुए कहा था कि, विद्यालय के पास जितनी जमीन है उस पर विद्यालय का संचालन हो रहा है। जिस भूमि को स्कूल का निजी खेल का मैदान बताया गया था, वो मैदान सरकारी गैर मजरुवा भूमि है। वहीं जिन बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने की बात प्रबंधन द्वारा बताया गया था, वह झुठा निकला। जिन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने की बात प्रबंधन ने कही थी, वे सभी बच्चे विद्यालय में शुल्क भुगतान कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बच्चो के अभिभावकों से रशीद लेकर अधिवक्ता सह सामाजिक कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा ने आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर ही असंतोष व्यक्त करते हुए माननीय आयोग ने पुनः जांच के आदेश दिए।

पुनः जांच में पाया गया, व्यवसायिक उद्देश्य से चलाया जा रहा है स्कूलः

उपायुक्त कोडरमा के आदेश पर पुनः उक्त विद्यालय की जांच की गई, जिसमें कई खुलासे हुवें। विद्यालय का संचालन शिक्षा के उद्देश्य से नही, बल्कि व्यवसायिक उद्देश्य से चलाया जा रहा है, जिसमे पिता प्रदीप सिंह अध्यक्ष हैं, तो वहीं पुत्र सचिव के पद पर विराजमान है जो पूर्णतः असंवैधानिक था। पूरे जांच को सही बताते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस पूरे रिपोर्ट पर उपायुक्त कोडरमा से 15 दिनों के अंदर ए.टी.आर. की मांग की है।

क्या होता है ए.टी.आर.?

आयोग के अनुसार ए. टी. आर ( एक्शन टेक रिपोर्ट) वह कार्यवाही है, जिसमें विद्यालय द्वारा इस तरह की गंभीर लापरवाही सामने आने पर जिला प्रशासन क्या कार्यवाही कर रहा है, इसकी मांग की गई है।

अब देखना यह है की ज्ञान सरोवर पब्लिक स्कूल, डोमचांच पर जिला प्रशासन क्या कानूनी कार्यवाही करती है। सी.बी.एस.सी. द्वारा मान्यता प्राप्त होने के बाद शिक्षा अधिकार कानून के तहत 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा विद्यालयों को उपलब्ध कराना है, लेकिन कई स्कूल प्रबंधन ये कार्य नहीं कर रहे हैं, जो शिक्षा के अधिकार कानून का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है। देश स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में कई अवार्ड लेने वाला कोडरमा जिला प्रशासन शिक्षा अधिकार कानून का पालन करवा पाने में पुरी तरह अक्षम है, जो चिंतनीय विषय है।

By taazakhabar

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