जिंदा कौम पांच साल तक ईंतेजार नही करता, युवाओं के हांथों में बागडोर सौंपने की राजनीकि है भाषा आंदोलनः सूरज सिंह बेसरा

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रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

राँची: झारखंड समन्वय समिति की बैठक मोरहाबादी स्थित राजकीय गेस्ट हाउस में हुई। इस बैठक में खतियानी आंदोलन और आगे की रणनीति के साथ 1932 की खतियान के आधार पर स्थानीय नीति, नियोजन नीति एवं झारखंडी भाषाओं को राजभाषा की मान्यता प्रदान करने को लेकर झारखंड के सभी 24 जिलों के आंदोलनकारी प्रतिनिधियों की समीक्षा बैठक की गई।

मौके पर पूर्व विधायक सह आजसू पार्टी के संस्थापक, सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि भाषा आंदोलन के अग्रणी नेतृत्व में कार्य कर रहे युवा नेतृत्व के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गई है। विगत दो-तीन महीने से खतियानी आंदोलन राज्य में चल रहा है। 25 फरवरी से 25 मार्च तक चली बजट सत्र में हेमंत सरकार ने अपनी नियत साफ कर दी है। हेमंत सरकार 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाने के पक्ष में नहीं है। सरकार ने जनता के आशा और आकांक्षा को ठुकराते हुए यह स्प्ष्ट कर दिया है कि, खतियान के आधार पर कभी भी स्थानीय नीति नहीं बन सकती है। 1983 में अविभाजित बिहार में भी स्थानीय नीति बनाई थी, उस समय झारखंड अलग नहीं हुआ था। देश के कई राज्यों में स्थानीय नीति है। वहां स्थानीय भाषा में कार्य होते हैं, लेकिन विडंबना यह है कि, झारखंड राज्य को बने 22 साल हो गया, लेकिन अब तक स्थानीय कौन है? इसकी पहचान के लिए स्थानीय नीति नहीं बन सकी है।

युवाओं के हांथों में सौंपना है राज्य की बागडोरः सूर्य सिंह बेसरा

सूर्य सिंह बेसरा ने ये भी कहा कि, जिंदा कौम पांच सालों तक ईन्तेजार नही करती है। 2025 के चुनाव में युवाओं के हांथों में राज्य की बागडोर हो इसके लिए भाषा आंदोलन चलाया जा रहा है। और स्थानीय लोगों का समर्थन भी इस आंदोलन को मील रहा है। इस आंदोलन का नेतृत्व युवा ही कर रहे हैं, मैं सिर्फ मार्ग दर्शक की भूमिका में हूं।

भाषा आंदोलनकारी युवाओं का मैं मार्ग दर्शन कर रहा हूः सूर्य सिंह बेसरा

सूर्य सिंह बेसरा ने आगे कहा कि 22 वर्षों में 11 बार यहां सरकार बनी है, लेकिन किसी भी सरकार ने यहां के स्थानीय लोगों के हक् अधिकार के बारे में नहीं सोंचा। यहां के स्थानीय युवा रोजगार के अभाव में दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए विवश हो चुके हैं। लेकिन सरकार का ध्यान इस ओर नही है। मजबुर हो कर राज्य के स्थानीय, 1932 के खतियानधारी युवाओं ने आंदोलन शुरु किया है और मैं युवाओं के इस आंदोलन का समर्थन करते हुए एक नेतृत्व प्रदान कर रहा हूं।

आजसू कर रही है दोगली राजनीतिः सूर्य सिंह बेसरा

आजसू के सुदेश महतो राज्य में दोहरा राजनीति कर रहे हैं। राज्य स्थापना होने के बाद से ही आजसू पार्टी हर सरकार में शामिल रही है, सिर्फ वर्तमान हेमंत सरकार में शामिल नही है। पिछले सभी सरकार में आजसू पार्टी शामिल रही है, फिर सुदेश महतो ने उन सरकारों में रहते हुए यहां के स्थानीय और नियोजन नीति की मांग क्यों नही उठाई? पूर्व की रघुवर सरकार में आजसू पार्टी शामिल थी, रघुवर सरकार ने 1985 के पूर्व से झारखंड में रहने वालों को स्थानीय घोषित कर दिया। उस सरकार में रहते हुए क्यों सुदेश महतो ने उसका विरोध नहीं किया था? वर्तमान सरकार में आजसू के विधायक शामिल नही है, और अब सुदेश महतो 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय और नियोजन नीति की मांग कर रहे हैं, क्या ये सुदेश महतो की दोगली राजनीति नही है?

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