“लम्हों ने खता की सदियों ने सजा पाई” मैनहर्ट घोटाला पर पूर्व मंत्री सरयू राय की पुस्तक का विमोचन…

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रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

रांचीः एक मशहूर शायरी है कि “लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई” यह घटना 2005 की है, तब से कह रहा था कि इस घटना पर सरकार को विचार करना चाहिए। उसको बदलना चाहिए। रांची का सीवरेज ड्रेनेज बनाने के लिए सिंगापुर की कंपनी मेनहर्ट को बहाल किया गया था। मैंने कहा था बहाली गलत तरीके से हुई है। लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी और मामला विधानसभा समिति में आया। उस समय मैं सभापति था। हमने जांच कराए और जांच में पाया कि, यह गलत हुआ है। उस समय से लेकर अब तक जितनी भी सरकारें आई है किसी भी सरकार ने करवाई नहीं की, उक्त बातें पूर्व मंत्री सरयू राय ने अपने पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कही।

निगरानी के टेक्निकल सेल की जांच में हर जगह गलती उजागर हुई थीः

सरयू राय ने आगे कहा कि उस दौरान निगरानी की टेक्निकल सेल से जांच करवाई गई थी, और टेक्निकल से ने भी जांचोपरांत कहा कि गलत हुआ है। उसने कहा कि टेंडर प्रकाशित करने से लेकर निष्पादन तक, हर लेवल पर गलत हुआ है। उस दौरान कई लोगों ने इसे मुद्दा बनाया था। मेरे पार्टी के नेताओं ने दिल्ली तक ये कह दिया कि, मैं जो कर रहा हूं वह व्यक्तिगत प्रतिद्वंदिता को लेकर कर रहा हूं। मैंने अपने क्षेत्र की जनता से वादा किया था, उस वादे को निभाने के लिए शुरू से अंत तक इस पुस्तक में विस्तार से बताया है।

सरयू राय ने बताया कि संचिकाओं में जो तथ्य हैं, उन्हीं तथ्यों के आधार पर पुस्तक लिखा गया है। मैंने अपनी तरफ से कहीं भी तोड़-मरोड़ कर कोई बात नही लिखी है। यहां तक की संचिकाओं में अगर भाषा शुद्ध नहीं है, तो उसे हूबहू रखा गया है।

2005 से अब तक की सभी सरकारों पर उंगलियां उठेगीः

सरयू राय ने कहा कि 2005 से अब तक जितनी भी सरकारी रही हैं, इस पुस्तक से सभी सरकारों की नियत पर उंगली उठेगी। राज्य सरकार के जितने भी बड़े नेता रहे हैं, उन सभी ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। सरयू राय ने अपनी ही सरकार को इस किताब में घेरते हुए कहा है कि, पीडब्ल्यूडी ने 138 करोड़ में नाला बना दिया, लेकिन नाला मजाक का विषय बन गया। क्योंकि नाले कंप्लीट नहीं है, नाले में जो पानी अंदर जाता है, वो नाले से बाहर नही निकलता है। मैनहर्ट की ये गलती भ्रष्टाचार और घोटाला का रूप ले चुका हैं। शासन और प्रशासन में काम करते हुए हमसे गलती हो जाती है। इसलिए गलती की जानकारी मिलने के बाद संभलते हुए सुधार कर लिया जाना चाहिए, अगर सुधार नही किया जाता है, तो आगे चल कर ये गलती भ्रष्टाचार का रुप ले लेती है।

सरयू राय ने आगे कहा कि, लम्हों की खता ने रांची के सीवरेज ड्रेनेज को बर्बाद कर दिया, इसीलिए हमने कहा है, लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई। यह पूर्णत: तथ्य आधारित पुस्तक है। इस पुस्तक से यह पता चलेगा कि हमारी जो कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका है, उस में खोट है या जो इसके शीर्ष पर बैठे हैं उसमें।

1 Comment
  1. Hafuzurrahman says

    2005 se 2020 tak kaka khamosh kyun the

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