स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल का अभाव, भुगत रहे हैं प्रवासी मजदूर…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः वर्तमान में झारखंड के कई जिलों में प्रवासी मजदूर दूसरे प्रदेशों से काफी संख्या में पहुंच रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा इन प्रवासी मजदूरों को पंचायत भवन में ही क्वारंटीन करने का आदेश पंचायत के मुखिया और पंचायत सचिवों को दिया गया है, साथ ही इन प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन, पानी, के साथ अन्य सुविधा पंचायत सचिवलय में ही उपलब्ध करवाने का भी आदेश मुखिया को दिया गया है। इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा 14वें वित्त आयोग का पैसा जो पंचायत के अकाउंट में पूर्व से ही जमा है, उसे खर्च करने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा कोरोना के प्रभाव को रोकने के लिए गांव को जरुरत के हिसाब से सेनिटाईज करवाने, गरीबों के लिए भोजन इत्यादी की भी व्यवस्था करने का आदेश दिया गया है। इससे संबंधित पत्र दिनांक 27 अप्रैल को ही नामकुम प्रखंड के सभी मुखियाओं को निर्गत किया जा चुका है।

जिला प्राशासन द्वारा निर्गत आदेश का कुछ मुखियाओं को नही है जानकारीः

जिला प्रशासन के इस आदेश के बावजुद दूसरे प्रदेशों से झारखंड के विभिन्न पंचायतों में पहुंच रहे प्रवासी मजदूर या तो स्वयं ही गांव के स्कूल भवन में रह रहे हैं, या फिर अपने घर में ही हॉम क्वारंटीन पर हैं। यहां दोनों ही स्थिति में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ता नजर आ रहा है। क्योंकि जो भी प्रवासी मजदूर स्कूल भवनों में शरण लिए हुए हैं उन्हें पूर्व में पंचायत की मुखिया द्वारा कोई सुविधा उपलब्ध नही करवाया गया, जिसके कारन इनके परिजन ही इन मजदूरों को हर सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं, यहां तक की भोजन भी। मजदूरों के परिजन लगातार मजदूरों के संपर्क में आ रहे हैं साथ ही ये मजदूर गांव के ही सामुहिक जल स्त्रोत का उपयोग कर रहे हैं, जो पूरे गांव वालों के लिए खतरे की घंटी है।

पंचायत सचिवालयों में स्थापीन क्वारंटीन सेंटर, साबित हो रहा है सफेद हाथीः

इस तरह की लगातार शिकायत मिलने के बाद ताजा खबर झारखंड की टीम ने नामकुम प्रखंड के कई पंचायतों का दौरा किया और पूरे मामले की पड़ताल की । जहां कई गंभीर अनियमितता देखने को मिली।

राजाउलातु पंचायत के कई स्कूल भवनों मे लगभग 40 से भी अधीक मजदूर स्कूल भवन में क्वारंटीन है। जहां सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां पंचायत की मुखिया द्वारा कोई सुविधा प्रदान नही किया गया है। हेसाबेड़ा गांव में स्थित स्कूल भवन में 11 मजदूर स्वेच्छा से क्वारंटीन पर हैं। मुखिया को भी इस बात की जानकारी है, लेकिन उनके द्वारा यहां मजदूरों को कोई सुविधा उपलब्ध नही करवाया गया है। वहीं इसी पंचायत के चिरगी टोला के स्कूल भवन में महाराष्ट्र से पहुंचे 16 मजदूरों को रखा गया है, जिनमें एक 7 माह से भी अधीक की गर्भवती महिला भी है। गर्भवती महिला, जिसे संक्रमण का ज्यादा खतरा है, उसे भी पुरुष प्रवासी मजदूरों के साथ रखा गया है। इस महिला को लेकर ना ही स्वास्थ्य विभाग गंभीर है और ना ही स्थानीय प्रशासन। इसी पंचायत के बालिकट गांव में चार मजदूरों को भाड़े के मकान में क्वारंटीन पर रखा गया है। कवारंटीन पर रखने का काम मुखिया ने नहीं बल्कि, एएनएम अनिता तिग्गा ने मजदूरों को भाडे में मकान लेकर क्वारंटीन पर रखवाया है।

यहीं हाल नामकुम प्रखंड के हुवांगहातू पंचायत का भी है, जहां फिलहाल सात मजदूर दूसरे प्रदेशों से पहुंचे हैं। यहां पहले दिन मजदूरों को स्कूल भवन में रखा गया, लेकिन स्कूल भवन में कोई सुविधा नही रहने के कारन सभी मजदूर अपने घर में ही होम क्वारंटीन पर है। यहां भी मुखिया द्वारा मजदूरों को अब तक कोई सुविधा उपलब्ध नही करवाया गया है। यहां के जर्जर पंचायत भवन में ताला लटका हुआ है।

वहीं नामकुम प्रखंड रामपुर पंचायत के मुखिया, महादेव मुंडा ने दूसरे प्रदेशों से लौटे मजदूरों का लिस्ट दिखाते हुए कहा कि हमारे पंचायत में अब तक सात प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं। इनके लिए पंचायत सचिवालय में ही क्वारंटीन की व्यवस्था की गई है, लेकिन मजदूरों ने कहा कि हमलोगों का टेस्ट हो चुका है, हमलोग अपने घरों में ही क्वारंटीन पर रहेंगे। जिसके बाद मैनें सभी मजदूरों को 10-10 किलोग्राम चावल उपलब्ध करवाया है, मांगे जाने पर अन्य सुविधा देने का भी आश्वसन मैनें उन मजदूरों को दिया है।

स्थानीय प्रशासन और मुखियाओं के बीच तालमेल के अभाव के कारन प्रवासी मजदूर सुविधाओं से हैं वंचितः

इस मामले में हमारी टीम ने मुखियाओं से भी बात की और पूरे मामले की जानकारी ली। राजाउलातु पंचायत और हुंवांगहातू पंचायत की मुखिया को इस बात की जानकारी भी नही है कि उन्हें प्रवासी मजदूरों के लिए करना क्या है। क्योंकि इन दोनों को ही इस बात की जानकारी नही है कि प्रवासी मजदूरों और पंचायत को कोरोना संक्रमण से मुक्त बनाने के लिए उनके पास 14वें वित्त आयोग का फंड मौजुद है, जिसे खर्च कर सुविधा बहाल करने का आदेश जिला प्रशासन 27 अप्रैल को ही पत्र निर्गत कर दे चुकी है। इसके अलावा इनलोगों में स्थानीय प्रशासन के साथ तालमेल का भी अभाव देखने को मिला। राजाउलातु पंचायत की मुखिया फूरगीन सोरेन ने कहा कि अभी फंड नही है, फंड आने पर सुविधा दिया जाएगा। वहीं हुवांगहातू पंचायत की मुखिया ने भी लगभग यही जवाब दिया।

स्थानीय प्रशासन ने सिर्फ खानापूर्ति किया है, जिसके कारन क्षेत्र के जनप्रतिनिधि कार्य करने में अक्षम हैः आरती कुजूर, जिप सदस्य, नामकुम प्रखंड

जिप सदस्य आरती कुजूर को जब भी किसी पंचायत में प्रवासी मजदूरों के पहुंचने की सूचना मिल रही है, तभी वो वहां पहुंच कर मजदूरों की सुध ले रही है। स्थानीय जिला प्रशासन प्रवासी मजदूरों तक सुविधा पहुंचाने में अब तक नाकाम साबित हुई है, लेकिन जिप सदस्य आरती कुजूर लगातार इन मजदूरों तक खाद्य सामाग्री पहुंचाने का कार्य कर रही हैं। इस मुद्दे पर इन्होंने बताया कि हर पंचायत में कम से कम 10-10 बेड का क्वारंटीन सेंटर मुखियाओं को 14वें वित्त आयोग के पैसे से बनाना है, साथ ही मजदूरों के लिए हर सुविधा भी बहाल करना है, लेकिन नामकुम प्रखंड के कई मुखियाओं को इस बात की जानकारी तक नही है, और इसका मुख्य कारन है स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल का अभाव। जिला प्रशासन ने जो आदेश निर्गत किया है, उसकी सही जानकारी मुखियाओँ तक नही पहुंचाई गई है। जिसके कारन वे लोग 14 वें वित्त आयोग के पैसे को खर्च करने से डर रही हैं और जिन्हें जानकारी है वे लोग प्रवासी मजदूरों को सुविधा मुहैया करवा रहे हैं। 

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