जी.एस. पब्लिक स्कुल विद्यालय प्रबंधन समिति में अध्यक्ष पिता और पुत्र सचिव, शिक्षा अधिकार कानून के धारा 21 का खुला उल्लंघन : ओंकार विश्वकर्मा

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ब्यूरो रिपोर्ट…

डोमचांच (कोडरमा) : डोमचांच स्थित ज्ञान सरोवर पब्लिक स्कुल में शिक्षा अधिकार कानून 2009 का पालन नहीं किया जा रहा है। स्कूल का ये मामला राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली में विचाराधीन है।  उक्त बाते मानवाधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा ने कही। ओंकार विश्वकर्मा ने बताया कि, विद्यालय को मान्यता मिलने के बाद, शिक्षा अधिकार कानून का पूर्ण रूपेन पालन करना अनिवार्य है।

विद्यालय के प्रबंधन समिति में अध्यक्ष के पद पर पिता प्रदीप सिंह और सचिव के पद पर पुत्र नितेश सिंह हैं काबिजः

आगे ओंकार विश्वकर्मा ने बताया गया कि इस पुरे मामले की क्रॉस जाँच मेरे द्वारा की गई थी, जिसमे यह पुष्टि हुआ था कि, उक्त विद्यालय शिक्षा अधिकार कानून का पालन नहीं कर रहा है। स्कूल में जिन बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने की बात कही जा रही थी, जांच में ये पाया गया की बच्चों से शुल्क लिया जा रहा था। जिसके बाद माननीय आयोग ने पुनः उक्त विद्यालय के जाँच के आदेश दिए थे, जिस पर दिनांक 15 मई 2023 को उपायुक्त, कोडरमा द्वारा आयोग को सौंपे गए रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हुई है कि, उक्त विद्यालय के प्रबंधन समिति में अध्यक्ष के पद पर प्रदीप सिंह एवं सचिव के पद पर नितेश सिंह है जो रिश्ते में पिता और पुत्र हैं, जो शिक्षा अधिकार कानून 2009 के धारा 21 का उलंघन है। अधिनियम की धारा 21 के तहत खून के रिश्ते के लोग पद पर सदस्य नहीं हो सकते हैं।

कोडरमा उपायुक्त द्वारा बाल संरक्षण आयोग को सौंपा गया जांच प्रतिवेदन का पत्र.

स्कूल में कई ऐसे शिक्षकों का नाम दिया गया है, जो दुसरे राज्यों में काम कर रहे हैः

विद्यालय प्रबंधक ने इस बात की जानकारी नहीं दी है, कि उनके विद्यालय में कितने बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे है और कितने बच्चे शिक्षा अधिकार कानून के सेक्शन 12 (1) (c) के तहत नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे है। वहीं स्कूल में कई ऐसे शिक्षकों का नाम दिया गया है, जो दुसरे राज्यों में काम कर रहे है, और उनका नाम विद्यालय के शिक्षण कार्य में दिखाया गया है

क्या कहता है शिक्षा अधिकार कानून का धारा 12 (1) (c)

शिक्षा अधिकार कानून के धारा 12 (1) (c) कहता है कि गैर अल्पसंख्यक निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूल ऐसे बच्चों को जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से हैं और शिक्षा से वंचित हैं ऐसे बच्चों को प्रवेश स्तर ग्रेड में कम से कम 25 प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया जाए, और वर्ग 8 अर्थात 14 वर्ष के उम्र तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाए|

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