न्याय और सम्मान के साथ जीने के अधीकार की मांग के साथ मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय मर्यादापूर्ण दिवस…..

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आह्वान पर 7 ऑक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय मर्यादापूर्ण कार्य दिवस मनाया जाता है। इसी कड़ी में राजधानी रांची के पुरुलिया रोड़ स्थित एसडीसी सभागार में भी राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन, घरेलू कामगार सहकारी समिति और झारखंड घरेलू कामगार यूनियन के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय मर्यादापूर्ण कार्य दिवस समारोह का आयोजन किया गया।

समारोह का शुभारंभ घरेलू कामगारों के बच्चों द्वारा सांसकृतिक कार्यक्रम पेश कर किया गया। समारोह में झारखंड के विभिन्न जिलों के महिला घरेलू कामगार भी 5 सौ से अधीक की संख्या में मौजुद रहें। समारोह के दौरान घरेलू कामगारों से लेकर इनके लिए काम करने वाले संगठनों के प्रतिनिधियों में खुशी के साथ-साथ पीड़ा भी झलकी।

घरेलू कामगारों पर ना ही समाज ध्यान दे रही है, और ना ही सरकारः सिस्टर अमृता बेक, राज्य संयोजक, राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन

राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन की राज्य संयोजक, सिस्टर अमृता बेक ने महिला कामगारों की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, महिला कामगारों को इस कोरोना काल में कठीन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई घरेलू कामगारों की मौत ईलाज के अभाव और आर्थिक समस्याओं के कारन हो चुकी है। समाज और देश के विकास में महिला कामगारों का भी अहम योगदान है, लेकिन इनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार नियोक्ता, केन्द्र और राज्य सरकार कर रही है। महिला कामगारों को बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नही हो पा रही है। लॉकडाउन के दौरान घरेलू कामगार बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कामगार अपने वर्तमान और भविष्य, दोनों को लेकर चिंतित हैं। घरेलू कामगारों को नियोक्ताओं के घर पर जाकर काम करना पड़ता है। अगर वे एक दिन काम पर नहीं जाते हैं, तो नियोक्ता द्वारा उन्हें कई तरह की बातें कही जाती है, उनका वेतन भी काट लिया जाता है। घरेलू कामगारों को नियोक्ता के घर पर जा कर ही काम करना पड़ता है, जो वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौति घरेलू कामगारों के लिए है।  

सिस्टर अमृता ने आगे कहा कि, घरेलू कामगार हमारे समाज के सबसे निचले तबके से आते हैं, बावजुद ना ही हमारा समाज और ना ही सरकार इस ओर ध्यान दे रही है। इन्हें अपने काम का ना ही उचित मुल्य दिया जा रहा है ना ही ईज्जत, ऐसे समय में घरेलू कामगारों की ओर विशेष ध्यान देने की जरुरत है।

कई स्तर पर महिला घरेलू कामगारों का हो रहा है शोषणः सिस्टर अमृता बेक

घरेलू कामगारों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता हैः रेणु लिण्डा, अध्यक्ष, घरेलू कामगार यूनियन, झारखंड

घरेलू कामगार यूनियन की अध्यक्ष, रेणु लिण्डा ने अपने संबोधन में घरेलू महिला कामगारों की समस्याओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, घरेलू कामगार महिलाओं को अपने कार्यस्थल पर कई तरह के शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। महिला कामगारों के साथ भेदभाव, हिंसा, शरीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है साथ ही उन्हें कम मजदूरी का भुगतान किया जाता है। इनके लिए काम का समय तय नहीं होता है, इसके अलावे भी कई तरह से महिला कामगारों को प्रताड़ित किया जा रहा है।  

अनऑर्गेनाईज्ड सेक्टर का कोई आंकड़ा सरकार के पास नही, जिसके कारन हो रही है परेशानीः रश्मि लाल, अधिवक्ता, एचआरएलएन

समारोह में अतिथि के तौर पर उपस्थित एचआरएलएन (ह्युमन राईट लॉ नेटवर्क) की अधिवक्ता रश्मि लाल ने महिला घरेलू कामगारों को संबोधित करते हुए कहा कि, सरकार ने 29 कानूनों को मिला कर 4 कोड़ बनाया है। घरेलू महिला कामगारों को सोशल सिक्यूरिटी कोड़ के अंतर्गत रखा गया है। चुंकि कामगारों का कोई सही आंकड़ा नही है, इसलिए घरेलू कामगारों के हक् अधिकार को लेकर सरकार के समक्ष अपनी मांगों को सही तरीके से रखने में कठिनाई आ रही है। 26 अगस्त 2021 को भारत सरकार ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के रजिस्ट्रेशन के लिए ई-श्रम कार्ड बनाने के योजना की शुरुआत की है। इस योजना के शुरु हो जाने से सरकार के पास कामगारों का डाटा उपलब्ध होना शुरु हो जाएगा। सरकार के पास कामगारों का डाटा नहीं होने के कारन कोरोना काल में कामगारों को कोई सुविधा नहीं दी जा सकी है, लेकिन अब ई-श्रम कार्डधारी कामगारों को सरकार सुविधा उपलब्ध करवा रही है, इसलिए सभी कामगारों को ई-श्रम कार्ड बनवा लेना चाहिए।

घरेलू महिला कामगारों को सोशल सिक्यूरिटी कोड़ के अंतर्गत रखा गया हैः रश्मिलाल, एचआरएलएन

विकास कार्य की प्रथम शुरुआत घरेलू कामगारों से होती हैः पुनम होरो, प्रधान कार्मिक, राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन  

वहीं कामगारों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन की प्रधान कार्मिक, पुनम होरो ने कहा की राज्य के विकास में महिला घरेलू कामगारों का अहम योगदान है, इसलिए सरकार को भी चाहिए की घरेलू महिला कामगारों की समस्याओं पर ध्यान दे। जब भी कोई अधिकारी अपने काम पर सही समय पर दफ्तर जाकर विकास कार्य करते हैं, तो इस कार्य में घरेलू महिला कामगारों का भी योगदान रहता है। उनके घरेलू कार्यों को सही समय पर पुरा करना, जैसे उनका कपड़ा धोना, खाना तैयार करना उनके घरों को साफ रखना ताकि उन्हें सही वातावरण मिले, उनका स्वास्थ्य ठीक रहे ईत्यादी कई कार्य है, जो महिला घरेलू कामगार ही करते हैं, बावजुद घरेलू कामगारों को सम्मान नहीं दिया जा रहा है। समाज में घरेलू कामगारों को काफी हीन भावना से देखा जाता है। हम सभी अपने बच्चों को समय नही दे पाते हैं, लेकिन अपने नियोक्ता के घर और परिवार का पुरा ख्याल रखते है। घरेलू काम कामगारों को भी समाज में वही सम्मान दिया जाए जो अन्य कामगारों को दिया जाता है, हम सभी के लिए काम का समय निर्धारित हो, हमे अपने काम का सही मुल्य दिया जाए, सरकार की योजनाओं का लाभ आम कामगारों की तरह घरेलू महिला कामगारों को भी दिया जाए।

समाज और देश के विकास में घरेलू महिला कामगारों का अहम योगदानःपुनम होरो

केन्द्र सरकार कई योजनाओं पर कर रही है कामः नवीन जायसवाल, विधायक भाजपा

समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रांची के हटिया विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक, नवीन जायसवाल ने केन्द्र सरकार के योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया की सरकार घरेलू महिला कामगारों की समस्याओं को लेकर संवेदनशील है। केन्द्र सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है। वहीं विधायक, नवीन जायसवाल ने महिला कामगारों को अपने स्तर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

समाज और सरकार को घरेलू महिला कामगारों पर विशेष ध्यान देने की जरुरतः

जानकारी देते चलें कि, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुशार भारत में लगभग 50 लाख घरेलू कामगार हैं, जिसमें लगभग 30 लाख महिलाएं हैं। इनमें से अधिकतर घरेलू कामगार शहरी क्षेत्रों में काम करते हैं। घरेलू कामगार मुख्य रुप से वंचित समुदाय औक निम्न आय वर्ग के समूहों से होते हैं, इनमें अधिकतर ऐसे हैं, जो रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करते हैं। घरेलू कामगार मुख्य रुप से खाना बनाना, बच्चों को संभालना, साफ-सफाई, बीमार वृद्धों की सेवा करना, बागवानी इत्यादी कार्य करते हैं। ज्यादातर महिला कामगार अपने परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्य होती हैं।  हमारे देश में घरेलू कामगारों को उनके काम का वाजिब मेहनताना नहीं दिया जाता है। कामगारों को मेहनताना देना नियोक्ताओं की मनमर्जी पर निर्भर करता है, जो कि अधीकार का नहीं मनमर्जी का मामला होता है। वहीं घरेलू महिला कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कानून देश में नही हैं, और जो भी कानून है, वो उनके अधिकारों और सुरक्षा के लिए पर्याप्त नही है और ठीक से लागू भी नही किया गया है, जिसके कारन इनकी स्थिति देशभर में काफी खराब है।

समारोह में उपस्थित महिला घरेलू कामगार.

घरेलू महिला कामगारों के लिए काम करने वाले संगठनो द्वारा किए गए कई आंदोलनों के बाद सरकार ने घरेलू कामगारों को कानूनी व सामाजिक सुरक्षा देने के लिए कदम उठाए हैं, जिसके अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के कामगारों की सामाजिक सुरक्षा कानून-2008, राष्ट्रीय स्वस्थ्य बीमा योजना और सेक्शुअल हरासमेंट ऑफ वुमेन एट वर्क पैलेस कानून-2013 में घरेलू कामगारों को भी शामिल किया गया है।

घरेलू कामगारों को समाज और सरकार दोनों से मदद की जरुरत है। सरकार की ओर से इन्हें आर्थिक मदद की जरुरत है, ताकि कोरोना काल में काम नहीं करने पर भी अपने घरों में सुरक्षित रह सकें और नियोक्ता इनके वेतन में कटौति ना करें। कोरोना काल खत्म होने के बाद कामगारों के सामाजिक और कामकाज में भी बड़ा परिवर्तन होने की संभावना है। घरेलू कामगारों पर भी इसका विपरित प्रभाव देखने को मिलेगा, इसलिए समाज और सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरुरत है।

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