कंघी समाया कमल के अंदर, भगवाधारी हो गएं बाबूलाल मरांड़ी…

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रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

कंघी समाया कमल के अंदर, भगवाधारी हो गएं बाबूलाल मरांड़ी…

रांची: सोमवार को झारखंड विकास मोर्चा का विलय भाजपा में हो गया। देश के गृहमंत्री सह पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा, अमित शाह की मौजूदगी में राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भाजपा का दामन थाम लिया। राजधानी रांची के धुर्वा स्थित, प्रभात तारा मैदान में आयोजित मिलन समारोह में राज्य के अलग-अलग जिलों से आए जेवीएम के कई नेता और कार्यकर्ताओं ने भी भाजपा का दामन थामा।

2006 में बाबूलाल मरांडी ने किया था झावीमो का गठनः

बताते चलें की झारखंड राज्य का गठन होते ही बाबूलाल मरांडी को राज्य का प्रथम मुख्यमंत्री बनाया गया था, जिसके बाद से ही बाबूलाल मरांडी को पार्टी के अन्दर गुटबाजी का सामना लगातार करना पड़ा। 28 महिनों तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान गुटबाजी के कारन ही उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी, जिसमें अहम भूमिका तात्कालीन जदयू विधायकों की रही थी। 2004 में बाबूलाल मरांडी ने कोडरमा लोकसभा सीट से चुनाव जीता, और इस जीत के बाद से ही बाबूलाल मरांडी का विवाद पार्टी के अंदर बढ़ता गया और अन्ततः बाबूलाल मरांडी ने 2006 में भाजपा के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए अपनी अलग पार्टी, झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया। इस दौरान भाजपा के कुछ विधायक भी बाबूलाल की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा में शामिल हुए थें।

2009 में झावीमों को 11 सीटों पर मिली थी सफलताः

2009 के लोकसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी जेवीएम की टिकट पर कोडरमा से चुनाव लड़ें थें, जहां इस बार भी उनकी जीत हुई थी। वहीं 2009 के ही विधानसभा चुनाव में बाबूलाल की पार्टी 11 विधानसभा सीटों पर जीत हांसिल करने में सफल रही थी। इस विजय के साथ ही बाबूलाल मरांडी को ये लगने लगा था कि वे झारखंड की राजनीति में किंग मेकर बन सकते हैं, लेकिन उनका ये सपना पूरा नही हुआ। ।

2014 विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी दो विधानसभा सीटों से चुनाव हारे थें।

 2014 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी राजधनवार और गिरिडीह विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थें, लेकिन दोनों ही सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि 8 सीटों पर जेवीएम को सफलता भी मिली थी। राज्य में बीजपी की सरकार बनने के बाद जेवीएम के 6 विधायक दल बदल कर भाजपा में जा मीलें। इसके बाद से ही बाबूलाल की नैया डगमगाती रही, जो 2019 के विधानसभा चुनाव में भी डगमगाती हुई ही देखी गई। इस चुनाव में एकला चलो की राह पर चलते हुए बाबूलाल मरांडी ने सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़े किये थें, लेकिन सफलता उन्हें मात्र तीन सीटों पर ही मिली, वहीं झामुमो, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन को भारी सफलता मिली। सरकार बनने से पूर्व बाबूलाल मरांडी ने झामुमो-कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार को अपना समर्थन भी दे दिया, लेकिन बहुमत वाली गठबंधन से कोई भाव नही मिलता देख आखिरकार बाबूलाल मरांडी ने समर्थन वापस लेते हुए झाविमों का विलय भाजपा में कर दिए जाने का निर्णय लेते हुए अपने बागी दो विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को बाहर का रास्ता दिखा दिया और 17 फरवरी को भाजपा के हो गएं।

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