सारंडा वन प्रक्षेत्र में वन विभाग की लापरवाही से लकड़ी तस्करों की चांदी, बड़े पैमाने पर हो रही है साल वृक्षों की अवैध कटाई…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

सारंडा वन प्रक्षेत्र में साल वृक्षों की अवैध कटाई धड़ल्ले से जारीः

रात के अंधेरे में वन विभाग के चेकनाका से होकर गुजरती है साल का बोटा लदा ट्रक।

वनरक्षी सिर्फ पक्की सड़कों तक ही करते हैं निगरानी, जंगल के अंदर नहींः रेंजर

स्थानीय दबंगो के साथ लकड़ी तस्करों की रहती है साठगांठः

रेंजर विजय कुमार ने दिया आश्वासन, बो़टा जप्त कर होगी कार्रवाईः

रांचीः 700 पहाड़ियों से घिरा सारंडा, जो एशिया महादेश में साल वृक्षों का सबसे बड़ा जंगल है, अब इसके अस्तिव पर ही खतरा मंडराने लगा है। वो दिन दूर नहीं जब विश्व भर में साल वृक्षों के सबसे बड़े जंगल होने का गौरव प्राप्त कर चुका सारंडा अपनी पहचान खो देगा। इसके पीछे सबसे बड़ा कारन है, इस क्षेत्र में तेजी से हो रहे माईनिंग और जंगलों की अवैध कटाई। विकास की दौड़ में विनाश की पृष्टभूमि काफी तेजी से सारंडा वन प्रक्षेत्र में तैयार हो रही है।

बड़े माफिया दर्जनों मजदूर लगा कर कटवा रहे हैं साल वृक्षः

झारखंड के अन्य जिलों की तरह प. सिंहभूम के सारंडा वन प्रक्षेत्र स्थित कई क्षेत्रों में साल वृक्षों की अवैध कटाई हो रही है। इस अवैध कार्य को सारंडा वन क्षेत्र में ही रहने वाले कुछ दबंगों के सहयोग से राउलकेला, रांची और चाईबास के साथ कई अन्य जिलों के लकड़ी तस्कर अंजाम दे रहे हैं। पेड़ों की कटाई के लिए बकायदा मजदूर मंगवाया जाता है और घने जंगलों के बीच स्थित साल के पेड़ों को कटवाया जाता है।जब स्थानीय लोग पेड़ों की सुरक्षा के लिए खड़े होते हैं, तो उन्हें अंजाम भुगतने की धमकी दी जाती है, जिसके कारन चाह कर भी ये लोग भयवश विरोध नही कर पाते हैं।

मनोहरपुर प्रखंड के कुंबिया पंचायत अंतर्गत संकेसरा जंगल में सुखने के लिए रखा गया है सैंकड़ो साल का बोटाः

कुंबिया पंचायत के पास ही स्थित संकेसरा जंगल में दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में काफी संख्या में साल वृक्षों की कटाई कर सैंकड़ों की संख्या में बोटा तैयार करके जंगल में ही सुखने के लिए रखा गया है। स्थानीय लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दिसंबर माह में 25-30 मजदूरों को पेड़ कटाई के काम में लगाया गया था। पेड़ कटाई करने के दौरान लकड़ी तस्करों द्वारा कई लोगों को हथियर के साथ रास्ते पर निगरानी के लिए खड़ा रखा जाता था। किसी भी ग्रामीण को पेड़ कटाई हो रहे जगह पर जाने से रोका जाता और पेड़ कटाई का विरोध करने पर जान मारने की धमकी दी जाती है। चुंकि आसपास के कुछ दबंग लोग भी लकड़ी तस्करों का साथ दे रहे हैं। इसलिये गांव वाले इस अवैध कार्य का विरोध खूल कर नही कर पाते हैं।

1 फरवरी की शांय 7 बजे से रात 10 बजे के बीच 5 ट्रैक्टर साल का बोटा संकेसरा जंगल से निकाला गयाः

संकेसरा के जंगल में बिते दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में साल वृक्षों की कटाई कर सुखने के लिए रखे गए साल के बोटों को 1 फरवरी की शायं लगभग 7 बजे ट्रैक्टर से लोड कर कुंबिया के रास्ते लकड़ी तस्करों ने निकालना शुरु कर दिया है। 1 फरवरी को पांच ट्रैक्टर साल का बोटा संकेसरा जंगल से कुंबिया गांव के रास्ते निकाला गया, फिर इसे गुवा जाने वाले रास्ते में दुईया के पास रखा गया है। रात के अंधेरे में इसे ट्रकों पर लोड कर दूसरे जिलों में भेजा जाएगा। संकेसरा जंगल में अभी भी काफी संख्या में साल का बोटा पड़ा हुआ है, जिसे जल्द ही लकड़ी तस्करों द्वारा निकाल कर बाहर भेजा जाएगा।

कुंबिया पंचायत के संकेसरा जंगल में काट कर सुखने के लिए रखा गया साल का बोटा

जिनके जिम्मे जंगलों की सुरक्षा का है भार, उन्हें जानकारी क्यों नहीं?

ताजा खबर झारखंड की टीम को इस बाबत जानकारी मिलने के बाद हमारी टीम ने क्षेत्र के रेंजर, विजय कुमार से बात की और उन्हें इस मामले से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि इस मामले की जानकारी मुझे पूर्व में मिली थी कि दिसंबर 2021 के अंतिम सप्ताह में संकेसरा के जंगल में काफी संख्या में पेड़ों की कटाई हुई है। सूचना मिलने पर मैं कुछ वनरक्षी को लेकर वहां गया था, लेकिन जिस जगह पर पेड़ों की कटाई हुई है, वो काफी दलदली ईलाका है, जिसके कारन मैं वहां तक नहीं पहुंच पाया था। लेकिन जब मैंने कहा कि लकड़ी तस्कर उसी स्थल जिसे आप दलदली बता रहे हैं, वहां से ट्रैक्टर के माध्यम से साल के बोटों को निकाला गया है। इस पर उन्होंने कहा कि आपसे जानकारी मिली है मैं भाड़े में ट्रैक्टर लेकर बोटों को जप्त करवाता हूं। इसके बाद मैंने कहा कि पांच ट्रैक्टर साल का बोटा संकेसरा जंगल से निकाल कर गुवा रोड़ के दुईया नामक जगह पर रखा गया है। इस पर रेंजर विजय कुमार ने कहा कि मैं अभी विभागीय बैठक में शामिल हो कर चक्रधरपुर से लौट रहा हूं। अभी रास्ते मैं हूं। कार्यालय पहुंच कर कार्रवाई करता हूं।

वन रक्षियों को नही रहती जंगल कटाई की जानकारी, सिर्फ सड़क पर ही निगरानी करते हैं वनरक्षीः विजय कुमार, रेंजर

साल वृक्षो की सारंडा वन क्षेत्र में तेजी सो हो रहे अवैध कटाई के बारे में पुछने पर रेंजर विजय कुमार ने बताया की एक-एक वनरक्षी के जिम्मे काफी बड़ा क्षेत्र है, दूसरा ये कि वनरक्षी वहां तक ही जाते हैं, जहां तक जाने की सुविधा है। यानि सिर्फ सड़क मार्ग, इसके अलावा जंगलों के अंदर कच्चे रास्ते में ये लोग पेट्रोलिंग नही करते हैं, जिसके कारन हमलोगों तक जंगल काटे जाने की जानकारी नही पहुंचती है। कभी कभार वनरक्षी या स्थानीय ग्रामीणों से सूचना मिलने पर विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती है।

विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में हो रही है पेड़ों की कटाईः सूत्र

सूत्र बताते हैं कि वन क्षेत्रों में प्रवेश करने से पहले ही हर रास्ते पर वन विभाग ने चेक नाका लगा रखा है। रात के अंधेरे में इन्ही चेकनाकाओ से होकर अवैध साल का बोटा लदा ट्रक निकलता है, फिर उन्हें कैसे इस बात की जानकारी नही रहती है। रही बात बनरक्षियों की तो इन्हें हर बात की जानकारी होती है, लेकिन ये लोग उपरी कमाई के लिए लकड़ी तस्करों से मिले हुए होते हैं। वनरक्षी भी स्थानीय निवासी होते हैं, जब पुरे गांव वालों को पेड़ काटे जाने की जानकारी रहती है, तो वनरक्षी को क्यों जानकारी नही रहेगी? वनरक्षियों की नियुक्ति वनों की रक्षा और देखभाल के लिए ही होती है ऐसे में वनरक्षी अगर ये कहे कि मुझे पेड़ काटे जाने की जानकारी नहीं, तो फिर उन्हें वन विभाग ने क्यों नियुक्त कर रखा है।  

जवाबदेही कोई नहीं लेना चाहता, आखिक क्यों?

झारखंड के जंगलों में, विशेष कर जहां-जहां साल और शीशम के पेड़ काफी संख्या में है, उन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हो रही है। बाजार में साल और शीशम के लकड़ियों की काफी मांग है, और मुल्य भी अधिक मिलती है, इसलिए लकड़ी तस्कर इन वृक्षों की कटाई कर बने बोटों की धड़ल्ले से तस्करी कर रहे हैं। इस कार्य में वे अधिकारी लकड़ी तस्करों का सहयोग कर रहे हैं, जो विलासीतापूर्ण जीवन, जीने की चाह रखते हैं।

हाल ही में सिमडेगा जिले के बेसराजारा गांव में ग्रामीणों ने कानून को अपने हांथ में लेते हुए लकड़ी तस्कर संजू प्रधान को मोबलिंचिंग की घटना में मार डाला था। सिमडेगा जिले में ग्रामीणों की शिकायत के बाद वन विभाग के अधिकारी अपना कार्य ईमानदारी से करतें, तो शायद ग्रामीणों को कानून अपने हांथ में लेना नही पड़ता। बेसराजारा की घटना से ये साबित हो चुका है कि, जल जंगल और जमीन की रक्षा के लिए ग्रामीण काफी सजग है। अगर संबंधित विभाग के अधिकारी अपना काम जिम्मेवारी के साथ नहीं करते हैं, तो ऐसी घटना लगातार होते रहेगी, फिर वो लकड़ी तस्कर हो या कोई और…..

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