सड़क, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधा की मांग को लेकर, छोटानागरा पंचायत के तीन ग्रामसभा की हुई संयुक्त बैठक.

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रिपोर्ट- ताजा खबर झारखंड ब्यूरो(मनोहरपुर)….

मनोहरपुरः प. सिंहभूम के सारण्डा वन प्रक्षेत्र में रहने वाले आदिवासी, अब अपने हक् अधिकारों को लेकर आगे आने लगे हैं। बिते दिनों छोटानागरा पंचायत के तीन गाँवों की संयुक्त ग्रामसभा बाहदा में आयोजित की गई। ग्राम सभा की अध्यक्षता मुण्डा रोया सिद्दू और सोमा होनहांगा ने संयुक्त रुप से की। बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन मुख्य रुप से बाहदा से तेतलीधाट तक सड़क का निर्माण करने, स्थानीय बेरोजगारों को किरीबुरू, मेघाहातुबुरू, गुवा, चिरिया माईन्स, टीएसपीएल, और करमपदा माईन्स में स्थानीय युवाओं को रोजगार देने, छोटानागरा उप स्वास्थ्य केन्द्र में DMFT कोष से चिकित्सा वाहन की व्यवस्था करने, 2005 के पूर्व सरण्डा वन क्षेत्र में बसे लोगों को वनाधिकार पट्टा देने की मांग पर प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें तीनों ग्रामसभाओं की सहमति रही।

स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़ने में जिला प्रशासन मदद करेः सुशील बारला

बैठक में बतौर अतिथि “आस” के संयोजक सुशील बारला भी मौजुद रहें। सारण्डा क्षेत्र में व्याप्त संवेदनशील समस्याओं पर चर्चा करते हुए सुशील बारला ने कहा कि, सारण्डा से अकुत खनिज सम्पादाओं का दोहण होने के बावजुद यहां के लोग गरीबी और बदहाली में जीवन बसर कर रहे हैं। झारखण्ड अलग राज्य बनने के बीस साल बाद भी यहां के लोग मौलिक सुविधाओं से वंचित हैं। सारण्डा क्षेत्र के खदान बाहरी लोगों का चारागाह बन गया है। स्थानीय लोगों को रोजगार मिले इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा कोई पहल नही की जा रही है, जबकि ये जिला प्रशासन की जिम्मेवारी है। सुशील बारला ने ये भी कहा कि, सारण्डा क्षेत्र के समग्र विकास के लिए हमें ग्राम-सभा को शसक्त बनाना होगा।

सारण्डा से भारत की अर्थव्यव्था संतुलित हो रही है, लेकिन यहां के लोग मौलिक सुविधाओं से भी हैं वंचितः मंगल सिंह बोबोंगा

मौके पर अपने विचार रखते हुए पूर्व विधायक सह सामाजिक कार्यकर्ता, मंगल सिंह बोबोंगा ने कहा कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था को संन्तुलित करने वाला सारण्डा क्षेत्र में बसे लोगों की गरीबी काफी चिन्ताजनक है। हमें गरीबी और बेरोजगारी से लड़ने के लिए शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। नशापान हमारे विकास में बाधा है, इसे दूर करने की जरुरत है। सारण्डा के बेरोजगारों से रोजगार छीना जा रहा है। हमें अपने दोस्त और दुश्मन को भी पहचानना होगा। यहां के लोगों को शिक्षित और संगठित होने की जरुरत है, तभी सारण्डा क्षेत्र के विकास का रास्ता खुलेगा।

वनाधिकार पट्टा के लिए अनुमंडस स्तरीय वनाधिकार समिति के पास दावा करना होगाः बेनेडिक्ट लुगुन

सारंडा वन प्रक्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण लंबे समय से वनाधिकार पट्टा की मांग करते रहे हैं। लंबे संघर्ष के बाद कुछ लोगों को पट्टा दिया भी गया लेकिन वो उंट के मुंह में जीरा का फोरन साबित हुआ। जिन लोगों ने 7 से 10 एकड़ तक का दावा पेश किया उन्हें मात्र 10 से 10 डिसमिल जमीन का ही पट्टा दिया गया, जिसमें दावा करने वाले लोग सिर्फ अपना घर बना कर रह सकते हैं, वो खेती कहां करेंगे, उनके पशु कहां चरेंगे इस पर कोई ध्यान नही दिया गया। मौके पर सेवानिवृत्त शिक्षक, बेनेडिक्ट लुगुन ने ग्रामीणों को सुझाव दिया कि, वनाधिकार पट्टा के लिए सबसे पहले वनाधिकार समिति बनाकर दावा पत्रों को अनुमण्डल स्तरीय वनाधिकार समिति के पास पट्टा के लिए दावा करना होगा तभी हमें पट्टा मिलेगा।

बैठक के दौरान पूर्व जिप सदस्य बामिया मांझी, समाजसेवी गाजु देवगम, महिला समिति की मिरजू चंपिया ने भी अपने अपने विचार रखें। इसके अलावा बैठक को सागर बिरूवा, सोहन मांझी, मंगल चम्पिया, मोजेस गागराई, अलविस समद, माधू सिद्दू पावन ने भी सम्बोधित किया।

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