किसानों को लागत निकाल पाना भी हुआ मुश्किल….

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रिपोर्ट- वसीम अकरम…

Ranchi: लॉकडाउन पार्ट-2 को लेकर गृह मंत्रालय की ओर से बुधवार को गाईडलाइन जारी किया गया है। जिसमें कृषि से जुड़े कार्यों के लिए थोड़ी रियायत दी गई है। अब किसान अपनी फसल काटने और बुवाई करने के लिए अपने खेतों में जा सकेंगें। इसके अलावा कृषि उत्पाद खरीदने वाले एजेंसियों को भी किसानों की उपज खरीदने की इजाजत दी गई है।

किसान और दुग्ध उत्पादकों पर पड़ा खाशा असरः

इन सबके बीच लॉकडाउन के दौरान उत्पन्न हुई परिस्थितियों ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी हैं। किसानों के खेत में फसल लहलहा रही है, और ज्यादातर किसानों की फसल पुरी तरह खेतों में तैयार भी पड़ी है, लेकिन महंगे होते खेती के साधन और कृषि उत्‍पादों के बाजार में आई गिरावट से किसानों की अर्थव्‍यस्‍था चरमरा गई है। इस स्थिति में “ताजा खबर झारखंड” के संवाददाता वसीम अकरम ने  कांके प्रखंड और आसपास के कृषि उत्पादक क्षेत्रों का दौरा कर किसानों से बातचीत की और मौजूदा हालात का जायजा लेने की कोशिश की।

किसानों को लागत निकाल पाना भी मुश्किल हुआः

किसानों ने बताया कि कुछ माह पहले असमय बारिश और ओलावृष्टि से फसल बर्बाद हो गई थी, लेकिन किसानों ने हिम्मत नही हारी और पुनः खेतों में बुआई कर हरी सब्जी उपजाने का काम किया। लेकिन कोरोना महामारी के कारन देश में लॉक डाउन कर दिया गया।, जिसके कारन किसानों को दुबारा भारी नुकशान उठाना पड़ा है। पूर्व में राज्य के अलावा राज्य के बाहर भी सब्जियां निर्यात कर अच्छी कमाई हो जाती थी, लेकिन लॉक डाउन के कारन औने पौने मुल्य में सब्जियों की बिक्री करनी पड़ी है। किसान  खाद,  बीज और दवाईयां बाजार में महंगे दामों में खरीद कर फसल उगाए थें, लेकिन लॉत डाउन के कारन लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो गया है।

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