Categories
राजनीति

दिशोम गुरु ने किया नामांकन, जीत के प्रति आश्वस्त दिखें….

2

रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

दिशोम गुरु ने किया नामांकन, जीत के प्रति आश्वस्त दिखें….

राँची: झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्दीय अध्यक्ष दिशोम गुरु, शिबू सोरेन ने बुधवार को तीसरी बार राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामंकन दाखिल किया। इससे पूर्व शिबू सोरेन 1998 और 2002 में राज्यसभा सांसद रह चुके हैं।  शिबू सोरेन को पहली बार 1998 में राज्यसभा का सदस्य बनने का मौका मिला था, लेकिन न्यायालय ने उनके निर्वाचन को रद्द कर दिया था।

बुधवार को नामांकन के समय मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, मंत्री आलमगीर आलम, कांग्रेस विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह, बंधु तिर्की, झामुमों विधायक हाजी हुसैन अंसारी, मंत्री चम्पई सोरेन, जगरनाथ महतो सहित कांग्रेस के अन्य विधायक भी मौजूद रहें। नामांकन के बाद दिशोम गुरु शिबू सोरेन जीत के प्रति आश्वस्त दिखें।

दुमका लोकसभा से 7 बार सांसद रह चुके हैं दिशोम गुरुः  

बताते चलें कि 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार में गुरु जी कोयला मंत्री बने,  लेकिन झारखंड के चिरुडीह हत्याकांड मामले में गिरफ़्तारी वारंट जारी होने के बाद, केन्द्रीय मंत्रीमंडल से 24 जुलाई 2004 को इस्तीफ़ा देना पड़ा था। शिबू सोरेन झारखण्ड के दुमका सीट से सात बार सांसद रह चुके हैं।

गुरुजी का जन्म वर्तमान रामगड़ जिले के नेमरा गांव में हुआ थाः  

शिबू सोरेन का जन्म वर्तमान रामगढ़ जिले के नेमरा गाँव में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा भी यहीं से हुई थी। स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद ही उनका विवाह रूपी सोरेन से हो गया, जिसके बाद उन्होंने पिता को खेती के काम में मदद करने का निर्णय लिया। गुरुजी शिबू सोरेन के राजनैतिक जीवन की शुरुआत 1970 में हुई। उन्होंने 23 जनवरी 1975 को तथाकथित रूप से जामताड़ा जिले के चिरूडीह गाँव में शोषक वर्ग को खदेड़ने के लिये एक हिंसक भीड़ का नेतृत्व किया था। इस घटना में 11 लोग मारे गये थें, जिसमें शिबू सोरेन समेत 68 अन्य लोगों को हत्या का अभियुक्त बनाया गया था।

दिशोम गुरु तीन बार रह चुके हैं झारखंड के मुख्यमंत्रीः

शिबू सोरेन पहली बार 1980 में लोकसभा सांसद चुने गए थें, बाद में वे 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009 और 2014 में भी दुमका संसदीय क्षेत्र से चुने गए। गुरु जी यूपीए सरकार में दो बार केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं, वहीं 3 बार झारखण्ड के मुख्यमंत्री रहे हैं। सन् 2005 में पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने, परंतु बहुमत साबित न कर सकने के कारण महज कुछ दिनों पश्चात ही उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा। पहला मुख्यमंत्री का कार्यकाल इनका महज 9 दिनों का रहा था जब वे 2 मार्च 2005 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी पर बहुमत का आंकड़ा नही जुटा पाने के कारण 11 मार्च 2005 को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद दूसरी बार 27 अगस्त 2008 से 12 जनवरी 2009 तक और तीसरी बार 30 दिसंबर 09 से 31 मई 2010 तक मुख्यमंत्री रहें, लेकिन तमाड़ विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद छोड़ना गुरुजी को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था।

By taazakhabar

"TAAZA KHABAR JHARKHAND" is the latest news cum entertainment website to be extracted from Jharkhand, Ranchi. which keeps the news of all the districts of Jharkhand. Our website gives priority to news related to public issues.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *