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खेलगांव में 6 से 8 अप्रैल तक आयोजित “झारखंड इमेजिंग एक्सपो” का पोस्टर मुख्यमंत्री ने किया जारी….

रिपोर्ट- विकास कुमार…

रांचीः गुरुवार को झारखंड फोटोग्राफिक एसोसिएशन सेंट्रल (जेपीएसी) के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से झारखंड विधानसभा स्थित मुख्यमंत्री कक्ष में शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को 6 से 8 अप्रैल- 2023 तक खेलगांव, रांची में आयोजित होने वाले  “झारखंड इमेजिंग एक्सपो” में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, जिस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी स्वीकृति प्रदान की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने चौथे “झारखंड इमेजिंग एक्सपो” के पोस्टर भी प्रेषित किया।

झारखंड इमेजिंग एक्सपो का पोस्टर जारी करते मुख्यमंत्री के साथ प्रतिनिधिमंडल. 

बता दें झारखंड फोटोग्राफिक एसोसिएशन सेंट्रल (जेपीएसी) के नेतृत्व में बीते तीन वर्षों से इमेजिंग फोटो & वीडियो एक्सपो का भब्य तरीके से आयोजन करता रहा है। बीते दो वर्ष कोरोना महामारी की वजह से बाधित आयोजन नहीं किया जा सका था, लेकिन इस वर्ष जेपीए सेंट्रल द्वारा चौथे इमेजिंग एक्सपो का आयोजन भब्य तरीके से कराया जा रहा है, जिसमें झारखंड के 15 जिले से लोग शामिल रहेंगे।

मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वालों में झारखंड फोटोग्राफिक एसोसिएशन सेंट्रल कमिटी के पूर्व अध्यक्ष सह वर्तमान संरक्षक बापी घोषाल, अध्यक्ष चन्द्रेश्वर पंडित उर्फ गब्बर भाई, उपाध्यक्ष बिरजू कुमार, सचिव उपेन्द्र कुमार, कोषाध्यक्ष राजेश कुमार सिन्हा, सदस्य विरेन्द्र शर्मा और विकास कुमार शामिल थें।

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अड़की प्रखंड- कभी गुंजती थी गोलियों की तड़तड़ाहट और बमों के धमाके, लेकिन अब गुंज रही है नगाड़ों की उंची आवाज और मांदर की थाप….

ब्यूरो रिपोर्ट, खूंटी

रांचीः प्रकृति की गोल में बसा खूंटी जिले का अड़की प्रखंड, जहां के मनोरम दृश्य को देख कर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस प्रखंड में काफी लंबे समय तक सीपीआई माओवादियों का दबदबा रहा। माओवादी संगठऩ के जॉनल कमांडर कुंदन पाहन का इस क्षेत्र में एक छत्र राज था। लेकिन कुंदन पाहन, मार्शल टुटी जैसे दर्जनों नक्सलियों के सरेंडर करने के बाद इस क्षेत्र में माओवादी संगठऩ काफी कमजोर हो गया और इसका फायदा उठाया पीएफएफआई उग्रवादी संगठन ने। माओवादियों के बैकफूट में जाने के बाद इस क्षेत्र में पीएलएफआई उग्रवादियों की पकड़ मजबुत हुई। इस उग्रवादी संगठऩ के उग्रवादी भी अपने आप को नक्सली बताते हैं, लेकिन नक्सली सिद्धांत से इनका कोई लेना देना नही। पीएलएफआई संगठन के उग्रवादी ना सिर्फ विकास कार्यों में लगे संवेदकों से मोटी रकम की वसुली करते हैं, बल्कि ग्रामीणों को भी अपना निशाना बनाते रहे हैं, जिसके कारन यहां के ज्यादातर सक्षम लोगों के बच्चे खूंटी जिले के शहरी क्षेत्र या फिर रांची में जा कर पढ़ाई करते हैं।

सीआरपीएफ और जिला पुलिस की सक्रियता से भय मुक्त हुआ खूंटी जिलाः

2009 के बाद से खूंटी जिला के लगभग सभी प्रखंडों में दो दर्जन से भी अधीक सीआरपीएफ कैंप स्थापित किया गया। सीआरपीएफ और जिला पुलिस द्वारा अतिनक्सल, उग्रवाद प्रभावित प्रखंडों में लगातार इनके विरुद्ध ऑपरेशन चलाया गया। ऑपरेशन के कई भय से कुंदन पाहन समेत कई नक्सली और उग्रवादियों ने सरेंडर कर दिया और कईयों को मुठभेड़ में मार गिराया गया। वर्तमान में जगह-जगह सीआरपीएफ कैंप स्थापित होने के कारन जिले में शांति बहाल है। अब लोग बेखौफ होकर हाट-बाजार जाते हैं और विकास योजनाएं भी पहले की अपेक्षा तेज गति से जारी है।

अड़की प्रखंड के हुडुवा गांव में लंबे अर्से बाद ग्राम प्रधान ने आयोजित किया करम मिलन समारोहः   

कुछ वर्ष पूर्व तक खूंटी जिला के अड़की प्रखंड में गोलियों की तड़तड़ाहट और बम विस्फोट के धमाकों से पुरा प्रखंड गुंजा करता था। हर दूसरे-तीसरे दिन कहीं ना कहीं हत्या और मुठभेड की घटना जरुर होती थी। लेकिन अब इस क्षेत्र में एक बार फिर से मुंडाओं के नगाड़े की गुंज और मांदर के थाप सुनाई पड़ने लगे हैं। हुडुवा गांव के ग्राम प्रधान बोलाई मुंडा ने अपने घर पर लंबे अर्से बाद करम मिलन समारोह का आयोजन किया, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में स्थानीय गांव के अलावा दूसरे गांव से भी ग्रामीण पहुंचे। करम मिलन समारोह के दौरान नगाड़ा और मांदर की थाप पर ग्रामीण जमकर थिरकें। इस समारोह में मौजुद ग्रामीण पुरी तरह भयमुक्त होकर अपने मुंडारी गीतों पर थिरक रहे थें, जिससे पता चलता है कि अब अड़की प्रखंड नक्सली और उग्रवादियों से काफी हद् तक मुक्त हो चुका है।

पूर्व में ग्रामीण समारोह आयोजित करने की हिम्मत नही जुटा पाते थेः

जानकारी देते चलें कि, दो साल पूर्व तक खूंटी जिला के अतिनक्सल, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों मे लगने वाले साप्ताहिक हाट-बाजारों में आम जनों के साथ-साथ व्यापारी भी जाने से कतराते थें। लेकिन अब लोग बेखौफ आना-जाना कर रहे हैं। पूर्व में दो दर्जन से भी अधीक लोगों की ह्त्या नक्सली और उग्रवादियों द्वारा हाट बाजारों में की गई है। गांव में आयोजित किए गए पारिवारिक और सामुदायिक कार्यक्रमों के दौरान भी नक्सली और उग्रवादियों ने हमले कर कई लोगों को मौत के घाट उतारा है। अड़की प्रखंड के हुंट में नक्सलियों ने एक छट्ठी समारोह के दौरान रात में हमला किया था, और वाहन को भी आग के हवाले कर दिया था, जिसमें दो लोग गंभीर रुप से घायल हुए थें। वहीं अड़की प्रखंड के ही सिंदरी गांव में आयोजित धर्मिक समारोह के दौरान नक्सलियों ने पुलिस को सूचना उपलब्ध करवाने वाले मुखबिरों के सरगना दिलीप आचार्या और गांव के ही एक पोस्टमेन की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इसके अलावा भी इस तरह आयोजित समारोह के दौरान कई घटनाओं को अंजाम नक्सली संगठन और पीएलएफआई उग्रवादियों द्वारा दिया जा चुका है।

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प्रकृति पर्व, सरहुल को लगी कोरोना की नजर, सोशल डिस्टेन्सिंग के कारन महात्मा गांधी पथ पर नहीं निकाला गया शोभायात्रा…

रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

प्रकृति पर्व, सरहुल को लगी कोरोना की नजर, सोशल डिस्टेन्सिंग के कारन महात्मा गांधी पथ पर छाया रहा विराना…  

राँची: सरहुल के दिन राजधानी रांची के मुख्य पथ, महात्मा गांधी पथ पर झारखंडी परंपरा और संस्कृति की अद्भुत झलक देखने को मिलती थी, ढ़ोल-नगाड़ा और मांदर के साथ अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर आवाज पुरे राजधानी रांची वासी को झारखंडी होने का अहसास कराता था, यहां निकलने वाले शोभा यात्रा में राजधानी रांची के कोने-कोने से आदिवासी समुदाय के लोग अपने-अपने अखड़ा से सैंकड़ों की संख्या में पहुंचे थें, जिनकी संख्या महात्मा गांधी पथ पहुंच कर लाखों में हो जाती है और ये नजारा देखते ही बनता था, लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के प्रकोप के कारन सभी कार्यक्रम स्थगीत कर दिया गया है। पर्व त्योंहरों में ढ़ोल मांदर की थाप पर थिरकने वाले कदमों में मानों बेड़ियां जकड़ चुकी है। हर चेहरे मायुस हैं।

प्रकृति पर्व सरहुल के बारे में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन धरती और आकाश का विवाह हुआ था, इस लिए इस दिन प्रकृति के इन देवताओं से आदिवासी समाज सुख, शांति और समृद्धि की कामना करता है, साथ ही प्रकृति की रक्षा के लिए भी संकल्प लेता है।

https://youtu.be/APKVqcSI0R0

कोरोना वायरस के भय के कारन इस वर्ष सरना स्थलों पर पूजा पाठ के दौरान भी भीड़ नही जुटी। किसी किसी सरना स्थल पर पाहन के अलवा चार-पांच लोग ही पूजा करते नजर आएं वो भी दूरी बना कर। हातमा स्थित सरहुल चौक पर भी कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिला, जहां केंद्रीय सरना समिति के मुख्य पाहन द्वारा पूरे विधि विधान के साथ पूजा सम्पन्न कराया गया। पूजा सम्पन्न कराने के बाद मुख्य पाहन ने कहा की कोरोना मुक्त देश और झारखंड प्रदेश की कामना करते हुए पूजा सम्पन्न की गयी है, ताकि हमारा समाज इस विश्व व्यापी संकट से निकल सके।

जानकारी देते चलें कि आदिवासियों की जीवन की शुरुआत ही प्रकृति के बीच होती है, इनके हर संस्कार में सबसे पहले प्रकृति की पूजा होती है, यूं कहें कि आदिवासी समाज प्रकृति के सबसे ज्यादा नजदीक है। ये पर्व एकता और भाई चारे का भी सन्देश देता और झारखण्ड में न सिर्फ जनजातीय समाज बल्कि सारे समाज के लोग इसमें पुरे उत्साह और उमंग के साथ भाग लेते हैं।