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कारोबार राजनीति

आम बजट-2023 पर पक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया.

 

रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

इलेक्ट्रीक व्हीकल सस्ती होगी, सिगरेट महंगा होगा।

ऑटोमोबाईल सस्ता होगा, साईकिल महंगा।

मनरेगा के बजट में 24,000 करोड़ की कटौति।

एलईडी टीवी और बायोगैस से जुड़ी वस्तुवें होगी सस्ती।

7 लाख तक के आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।

रेलवे में निजी क्षेत्र की भागेदारी बढेगी।

रक्षा पर कूल बजट का 8 प्रतिशत खर्च होगा।

प्रतिक्रिया

महंगाई और बेरोजगारी कम करने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं।

मनरेगा योजना का बजट घटाना गरीबों के पेट पर लात मारना है।

पूंजीपतियों के लिए बनाया गया है बजट।

ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन बढ़ेगी।

बिजली और सड़क के इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि।

शिक्षा के इंफ्रास्ट्रक्चर को नहीं बढ़ाया गया।

 

रांचीः केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा 2023-24 का आम बजट लोकसभा में पेश किया गया। बजट को झारखंड प्रदेश भारतीय जनता पार्टी द्वारा सभी के हित में ध्यान में रख कर पेश किया गया बजट बताया जा रहा है। बीजेपी के विधायकों ने बजट को ऐतिहासिक बजट बताया है साथ ही कहा है कि सबका साथ, सबका विकास वाले मोदी जी के नारो को बुलंद करते हुए बजट पेश किया गया है। इस बजट में देश के हर तबके हर वर्ग के लोगों का विशेष ध्यान रखा गया है।

आदिवासी समुदाय को इस बजट से लाभ होगाः सीपी सिंह, रांची विधायक

बजट के बारे में बताते हुए विधायक सीपी सिंह ने कहा है कि, बजट में हर तबके का ध्यान रखा गया है। हमारे आदिवासी समुदाय को भी इस बजट से काफी लाभ होगा वहीं भाजपा विधायक, अमित मंडल ने बजट को काबिले तारीफ बताया।

आम बजट में झारखंडवसियों को घोर निराशा हांथ लगी हैः प्रवक्ता़ प्रदेश कांग्रेस

वहीं भाजपा पर तंज कसते हुए कांग्रेस प्रवक्ता, राजीव रंजन ने बजट को ढांक के तीन पात बताया। उन्होंने कहा कि बजट में जवानों, किसानों का कोई ख्याल नहीं रखा गया है। हम दो और हमारे दो कि सरकार ने सिर्फ पूंजीपतियों के हित में बजट बनाया है। राजीव रंजन ने कहा कि देश का 40% खनिज झारखंड से मिलता है, इस लिहाज से झारखंड के लोगों को बजट में विशेष पैकेज की उम्मीद थी, लेकिन इस बजट से झारखंडवसियों को घोर निराशा हांथ लगी है।

केंद्रीय बजट, देश की जनता को दिग्भ्रमित करने वाला बजटः सीपीआई

सीपीआई झारखंड के राज्य सचिव, महेंद्र पाठक और जिला मंत्री अजय सिंह ने संयुक्त रूप बयान जारी कर कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया केंद्रीय बजट देश के 120 करोड़ जनता को दिग्भ्रमित करने वाला बजट है। यह आम बजट न होकर एक खास तबके को ध्यान में रख कर बनाया गया बजट है। महंगाई और रोजगार को लेकर बजट में कोई चर्चा नहीं है। सभी क्षेत्रों में एफडीआई को बढ़ाने की कोशिश की गई है, जो देश को आर्थिक गुलामी की ओर ले जायेगा।  स्वास्थ्य, शिक्षा की मूलभूत बजट काफी कम है। झारखंड से 40% खनीज संपदा लेने के बावजुद गरीब राज्य झारखंड के लोगों के लिए बजट में कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है, उपर से मनरेगा में 24 हजार करोड़ की कटौति करके ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी और पलायन को बड़ाने का काम किया गया है। कूल मिला कर ये बजट दिशा विहीन और अदूर्दर्शिता का परिचय है।

झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स ने बताया संतुलित बजट: किशोर मंत्री, अध्यक्ष, झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स

सदन में पेश हुए आम बजट को लेकर कहीं उत्साह तो कहीं निराशा का माहौल है। इसी बीच बजट में महत्वपूर्ण सहभागिता निभाने वाले व्यापारी वर्ग, झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ने पेश किये गए बजट को संतुलित बजट बताया है। चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष किशोर मंत्री ने बजट का स्वागत करते हुए कहा कि, प्रदूषण के दृष्टिकोण से जो पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप में मिलाया गया है, वह काफी सराहनीय पहल दिखता है। महंगाई की बात की जाए तो सभी सेक्टर में कुछ ना कुछ इस बजट में रखा गया है, इसलिए महंगाई में वृद्धि होना नहीं लगता। इन्कम टैक्स के दायरे को बढ़ाया गया है इससे महंगाई में ज्यादा असर नहीं देखा जाएगा। झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से बजट लाने से पूर्व जो राय मांगी गई थी, उसमें 40 से 50 प्रतिशत राय मानी गई है। चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आदिवासी हित में  बजट बनाने के लिए राय दिया था, जिसे झारखंड के परिपेक्ष्य में माना गया है।

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मुद्दा कारोबार

धनबाद में आयोजित बीसीसीएल के राष्ट्रीय सेमिनार में बेहतर कार्य करने वाले कर्मियों को राज्यपाल ने किया सम्मानित.

रिपोर्ट- अशोक कुमार, धनबाद…

धनबाद में सरकारी महकमों की मिली भगत से कोयला चोरी की घटना को दिया जा रहा है अंजामः राज्यपाल

पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए खनन कंपनियों को नई तकनीकों पर ध्यान देना होगाः राज्यपाल

खनन कंपनियों को सामाजिक दायित्वों के तहत शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भी ध्यान देने की जरूरतः राज्यपाल

धनबाद : भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के 50 वर्ष और इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर धनबाद के कोयला नगर में दो दिवसीय संयुक्त राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने मुख्य अतिथि के रूप में किया। इस दौरान मंच पर राज्यपाल ने कोल माइनिंग के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले कर्मियों को सम्मानित भी किया।

सरकारी महकमों की मिली भगत से हो रही है कोयले की चोरीः राज्यपाल

राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए राज्यपाल, रमेश बैस शुक्रवार को बरवाअड्डा हवाई अड्डा पहुंचे, जहां से वे सीधे धनबाद सर्किट हाउस पहुंचे। सर्किट हाउस परिसर में जिला पुलिस बल के जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया। मौके पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्यपाल ने पुलिस प्रशासन को निशाने पर लिया। रमेश बैस ने कहा कि धनबाद में सरकारी महकमों की मिली भगत से कोयला चोरी को अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोयला राष्ट्र की संपत्ति है और इसके चोरी से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचता है, लिहाजा अवैध तस्करी को रोका जाना चाहिए।

सर्किट हाउस परिसर में गार्ड ऑफ ऑनर लेते राज्यपाल, रमेश बैस.

बीसीसीएल के 50 वर्ष और इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन के 100 वर्ष पूरे होने पर राज्यपाल ने दी बधाई व शुभकामनाएः

कार्यक्रम में राज्यपाल़ रमेश बैस ने भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के 50 वर्ष पूर्ण होने के साथ इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन के 100 वर्ष पूरे करने पर बधाई व शुभकामनाएँ दी और दोनों संस्थाओं को इस संगोष्ठी के आयोजन के लिए भी बधाई दी। उन्होंने कहा की खनन उद्योग का झारखण्ड राज्य की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। धनबाद कोयला खनन के क्षेत्र में पूरे देश में प्रसिद्ध है। इसे देश की कोयला राजधानी भी कहा जाता है। यहां पर कोयले की अनेक खदानों में विभिन्न प्रकार के खनिज पाए जाते हैं।

खनन के प्रभावों को कम करने और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए खनन कंपनियों को नई तकनीकों पर ध्यान देने की जरुरतः रमेश बैस, राज्यपाल

राज्यपाल ने कहा, खनन गतिविधियों का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, पर्यावरण को इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव झेलना पड़ता है। जिसमें वनों की कटाई, जल तथा वायु प्रदूषण शामिल हैं। इन प्रभावों को कम करने और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए खनन कंपनियों को नई तकनीकों पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा खनन कंपनियों को सामाजिक दायित्वों के तहत शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भी ध्यान देने की जरूरत है। शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि, आने वाले वर्षों में राज्य और देश के पास कुशल और सक्षम कार्यबल हो। सही नीतियों, निवेश और कुशल कार्यबल के साथ प्राकृतिक संसाधनों की पूरी क्षमता से उपयोग कर अपने देश के लिए स्थायी आर्थिक विकास में भागीदार हो सकते हैं।

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कारोबार मुद्दा राजनीति

देश में कई उद्योगों की जन्मदाता, एचईसी को बचाने के लिए सत्ता पक्ष के सभी दलों ने किया राजभवन मार्च….

रिपोर्ट- बिनोद सोनी….

रांचीः देश के मदर इंडस्ट्रीज, हेवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन को बदहाली से उबारने के लिए जहां एचईसी के कर्मचारी और पदाधिकारी आंदोलनरत्त हैं, वहीं राज्य की कई राजनीतिक पार्टियां भी अब एचईसी के कर्मचारी और पदाधिकारियों के समर्थन में आंदोलन का बिगूल फूंक चुके हैं।

जिला स्कूल प्रांगण से राजभवन तक किया गया मार्चः

एचईसी को बचाने के लिए सत्ता पक्ष के सभी दलों के नेता और कार्यकर्ताओं ने शनिवार को राजधानी रांची के बिचोबीच स्थित जिला स्कूल प्रांगण से राजभवन तक पैदल मार्च किया और राजभवन के समिप पहुंच कर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र सरकार को सचेत करते हुए कहा गया कि, देश में उद्योगों की जन्मदाता, देश के मदर इंडस्ट्री एचईसी को पूर्व की तरह संचालित करने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

जरुरत पड़ने पर संसद भवन का किया जाएगा बिजली बंदः महेन्द्र पाठक

प्रदर्शन में शामिल सीपीआई के राज्य सचिव, महेंद्र पाठक ने कहा कि देशभर में पूरे सार्वजनिक संस्थाओं को मौजूदा केंद्र सरकार बेचने का काम कर रही है और एचईसी को भी बेचने की तैयारी में है। लेकिन एचईसी के कर्मचारी झारखंड की जनता और यहां के राजनीतिक दल केन्द्र सरकार के इस मनसुबे को सफल होने नही देगी। एचईसी को बचाने के लिए देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। जरुरत पड़ने पर संसद की बत्ती गुल कर दी जाएगी। झारखंड के कोयले से पुरा भारतवर्ष में रोशनी बिखेरी जाती है, लेकिन झारखंड के साथ केन्द्र की सरकार भेदभाव कर रही है। अगर जल्द ही केन्द्र सरकार एचईसी को बचाने के लिए आगे नही आती है, तो झारखंड से कोयला दूसरे प्रदेशों में जाने नहीं दिया जाएगा।

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कारोबार Festival of Jharkhand

ATM की तरह है गेंदा फूल की खेती.

रिपोर्ट- बिनोद सोनी….

रांचीः गेंदा फूल की खेती एटीएम की तरह है, जब चाहें तब बाजार में बेच कर नगदा राशि मील जाता है, फिर उससे अपने जरुरत का काम कर लेते हैं। ये कहना है ओरमांझी प्रखंड के जीराबार गांव की विद्यावती देवी का।

पिछले पांच वर्षों से विद्यावती कर रही है गेंदा फूल की खेतीः

दरअसल विद्यापती देवी पिछले पांच वर्षों से गेंदा फूल की खेती कर रही है। विद्यावती कहती है कि जब से मैं अपने गांव में गेंदा फूल की खेती कर रही हूं, तब से गांव के फिजां में गेंदा फूलों की खुशबू तो चारो ओर फैल ही रही है, मेरे घर की भी आर्थिक स्थिति काफी सुदृढ़ हुई है।लाल और पीले रंग के गेंदा फूल की खेती के लिए विद्यावती देवी कोलकाता से हर साल पौधे मंगाती है और उन्हें अपने खेतों में विकसित करती हैं। विद्यावती देवी की मानें तो गेंदा फूल की खेती करना बेहद ही आसान और लाभदायक होता है। गेंदा फूल की खेती को विद्यावती देवी कमाई के नजरिए से एटीएम बताती हैं। ओरमाझी प्रखंड की विद्यावती देवी उन महिला किसानों के लिए एक आदर्श बन चुकी हैं, जो गेंदा फूल की खेती करने की तैयारी कर रही है।

गेंदा फूल की खेती से विद्यावती ने बनाई अपनी अलग पहचानः

विद्यावती देवी के पति कृष्णा साहू गौरवान्वित महसूस करते हुए बताते है कि, फूल की खेती ते विद्यावती की एक अलग पहचान बनी है। गांव समाज में लोग मेरी पत्नि का उदाहरण देते हैं। फूल की खेती से मेरी पत्नी को एक अलग पहचान मिली है। फूल की डिमांड सालों भर होने की वजह से फूल की खेती करने में रिस्क भी बहुत कम होता है। स्थानीय बाजार में आसानी से बिक जाने की वजह से किसान इस ओर धीरे-धीरे प्रेरित होने लगे हैं।

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जिला कृषि पदाधिकारी ने माना, भारी बारिश से किसानों के फसल को पहुंचा है नुकशान.

रांजी(कांके प्रखंड) – पिछले 2 दिनों से हुए लगातार बारिश से जहां कई क्षेत्रों में बड़े बड़े पेड़ धारासाई हुए, किसानों और गरीबों के कच्चे मकान ढंहे हैं वहीं किसानों की फसल भी खेतों में सड़ने लगे हैं। कांके प्रखंड के पिठोरिया और बुड़मू प्रखंड में किसानों के खेतों में लगे फूलगोभी, पत्ता गोभी, धनिया पत्ता, शिमला मिर्च, टमाटर इत्यादि कई हरी सब्जियां लगभग बर्बाद हो चुकी है।

जिला कृषि पदाधिकारी ने किसानों के खेतों में जाकर हुए फसल नुकशान का जायजा कियाः

रविवार को जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार और बीटीएम प्रदीप सरकार पिथोरिया क्षेत्र में किसानों को फसल के हुए नुकशान का जायजा लेने किसानों के खेत में पहुंचे। इस दौरान जिला कृषि पदाधिकारी कई खेतों में  जाकर सब्जियों का निरीक्षण किया साथ ही किसानों से भी बातचीत की।

किसानों को फसल छत्ति का दिया जाएगा मुआवजाः जिला कृषि पदाधिकारी

जिला कृषि पदाधिकारी, विकास कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि पिथोरिया क्षेत्र में अभी ज्यादातर फूल गोभी और पत्ता गोभी की सब्जी लगी हुई है, जो लगभग 70 से 80 प्रतिशत बर्बाद हो चुकी है। अभी और जगहों से रिपोर्ट आना बाकी है। लेकिन लगातार दो दिनों से हो रहे बारिश से किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसके लिए सभी किसान भाई अपने खेतों में लगे सब्जी के साथ फोटोग्राफी करा लें। और अपने क्षेत्र के अंचलाधिकारी के नाम आवेदन दें। जिसके साथ उन्हें अपना आधार कार्ड, बैंक खाता, और जमीन का लगान का रसीद नुकसान फसल के फोटोग्राफी के साथ जमा कर दें। सरकार के आपदा विभाग के तरफ से किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा मुहैया कराया जाएगा।

इस दौरान मौके पर इचापीढ़ी पंचायत के उप मुखिया मो. गुफरान अंसारी, कृषक मित्र सफीउल्लाह अंसारी भी मौजूद रहें।

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बिरसा कंपेनियन संस्था का ग्रामीणों की आय वृद्धि करने में एक और बढ़ता कदम, ग्रामीणों को दिया गया मशरुम उत्पादन का प्रशिक्षण…

रिपोर्ट- सीता देवी…

बोकोरा(चास)- बिरसा कंपेनियन संस्था अपने स्नेह कार्यक्रम के द्वारा लगातार ग्रामीणों के आय में वृद्धि, उनके स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार करने के लिए प्रयासरत्त है। समय-समय पर बिरसा कंपेनियन कार्यालय में विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर बोकारो और चास के लोगों को प्रशिक्षण देने का काम कर रही है। इसी कड़ी में शनिवार को बिरसा कंपेनियन के कार्यालय में मशरुम उत्पादन का प्रशिक्षण ग्रामीणों को दिया गया।

प्रशिक्षक पूजा देवी और रेमका भगत ने ग्रामीणों को मशरुम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षक पूजा देवी ने मशरुम उत्पादन के फायदे, मशरुम के प्रकार, उत्पादन के तरीके, मशरुम उत्पादन से लाभ के बारे में विस्तार से ग्रामीणों को बताया। पूजा देवी ने बताया कि, मशरुम एक ऐसी फसल है जिसकी खेती कम लागत से कम जगह में ही की जा सकती है। देश के कई राज्यों के किसान मशरुम की खेती कर अच्छा मुनाफा कर रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मशरुम की व्यापारिक स्तर पर खेती की जा रही है, और अब झारखंड में भी इस खेती की ओर छोटे किसान और रोजगार के इच्छुक ग्रामीणों का रुझान काफी तेजी से बढ़ा है।

वे मशरुम जिसका उत्पादन भारत में बड़े पैमाने पर किया जा रहा हैः

प्रशिक्षक पूजा देवी और रेमका भगत ने बताया कि भारत में मुख्य तौर पर 6 प्रकार के मशरुम की खेती की जा रही है।

  • सफेद बटन मशरुम
  • ऑएस्टर मशरुम
  • सिटाके मशरुम
  • पैरा मशरुम
  • दूधिया मशरुम
  • लायन्समेन मशरुम

मशरुम खाने के फायदेः

प्रशिक्षक द्वय ने बताया कि मशरुम खाने के बहुत सारे फायदे हैं। मशरुम को कम कैलोरी वाली सब्जी माना जाता है। इसे वजन कम करने वाला डाईट माना जाता है। मशरुम में कॉलिन नामक तत्व पाया जाता है, जो मेमोरी के लिए काफी लाभदायक है। इसके अलावे इम्यूनिटी बढ़ाने में, दिल की बीमारी में, खून की कमी होने पर, डायबिटीज बीमारी में और हड्डियों को मजबुत करने में और गर्भवती महिलाओं के लिए भी मशरुम खाना काफी फायदेमंद है।

मशरुम उत्पादक किसान, कमलेश कुमार ने भी प्रशिक्षणार्थियों को मशरुम खेती के लिए प्रोत्साहित कियाः

प्रशिक्षण कार्यक्रम में मशरुम उत्पादक किसान कमलेश कुमार ने भी प्रशिक्षणार्थियों को मशरुम उत्पादन के लाभ बताते हुए उन्हें मशरुम की खेती करने के लिए प्रेरित किया। कमलेश ने बताया कि, पहले मैं एक ही किस्म के मशरुम का उत्पादन करता था, लेकिन बाजार में बढ़ती मांग और इससे हो रहे आमदनी के देखते हुए मैं वर्तमान में पांच प्रकार के मशरुम का उत्पादन कर रहा हूं। कमलेश ने प्रशिक्षणार्थियों को ये आश्वासन दिया कि आप लोगों को मशरुम की खेती के लिए किसी भी प्रकार के सहायता की जरुरत पड़े तो मुझ से संपर्क कर सकते हैं।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों के अलावा बिरसा कंपेनियम संस्था के कई सदस्य भी उपस्थित रहें।

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कारोबार जीवनशैली मुद्दा

घर में निर्मित शुद्ध खाद्य पदार्थों का स्टॉल स्नेह ने लगाया, स्वास्थ्य के प्रति लोगों को किया जागरुक

रिपोर्ट- सीता देवी, चास, बोकारो…

बोकारोः चास नगर निगम के समिप आईटिया मोड़ के समिप मेला का आयोजन किया गया। इस मेरे में स्नेह टीम ने भी अपना स्टॉल लगा कर स्नेह द्वारा आम जनता को घर में बनाए गए शुद्ध उत्पादों के बारे में जानकारी देकर स्टॉल में पहुंचे लोगों को जागरुक किया।

स्नेह के स्टॉल में स्नेह से जुड़ी महिलाओं की टीम द्वारा घर में उपयोग किए जाने वाले उत्पाद जैसे मशाला, चीनी, सरसो तेल, चना, सत्तु, बेसन, आटा जैसे कई गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को प्रदर्शित कर उसके बारे में स्टॉल में पहुंच रहे लोगों को जानकारी दी गई। स्नेह टीम की सदस्य ने बताया कि स्नेह टीम द्वारा आम जनता के बीच जिन उत्पादों को उपलब्ध करवाया जा रहा है, उसमें मिलावट नही है, या यूं कहें कि मिलावटी समान से आम जनों को बचाने के लिए ही स्नेह घर में निर्मित शुद्ध खाद्य पदार्थ लोगों को उपलब्ध करवा रहे हैं, ताकि उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव ना पडे। स्नेह का एक मुख्य उद्देश्य आम लोगों के स्वास्थ्य में सुधार करना भी है। स्नेह की टीम इन उत्पादों को ऑनलाईन ऑर्डर पर भी घर-घर तक पहुंचाने का काम कर रही है। ऑन लाईन बिक्री के लिए स्नेह एप्प का उपयोग कर रही है, जिसका नाम है स्नेह एट योर होमइस एप्प पर लोग ईन कर उपभोक्ता उत्पादों का ऑर्डर कर सकते हैं। ऑर्डर किए गए उत्पादों को स्नेह टीम के सदस्यों द्वारा ही उपभोक्ताओं के घर तक पहुंचाया जाता है।

स्नेह के उत्पादों को प्रदर्शित करते स्नेह के सदस्य.

स्टॉल में मौजुद स्नेह टीम की सदस्या, अनिता देवी ने बारी-बारी से हर उत्पादों की जानकारी स्टॉल में पहुंचे आम और गणमान्य लोगों को दी। स्नेह के स्टॉल में डा. प्रितम कुमार, डा. अशोक राज, डा. मुकेश सिंह, नगर निगम के सीओ, स्वास्थ्य विभाग के सीएचओ भी पहुंचे और स्टॉल में प्रदर्शित उत्पादों के गुणवत्ता की सरहाना कियें।

जानकारी देते चलें कि बिरसा कंपेनियन द्वारा महिलाओं की आर्थिक स्थित में सुधार और उनके जीवन स्तर में सुधार करने के उद्देशय से स्नेह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। स्नेह टीम के द्वारा स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण उपलब्ध कराना, उत्पादों का निर्माण, मार्केटिंग और मैनेजमेंट पर काम कर किया जा रहा है।

मेला परिसर में प्रदर्शित स्नेह के स्टॉल को संचालित करने में बिरेन्दर कुमार, चंडी बाउरी, आरती देवी, हेमंती देवी, अनिता देवी, लक्ष्मी देवी, रेमका भगत, पुजा देवी, फूलकुमारी देवी, रंजीत, पुजू रानी और सीता देवी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

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कारोबार मुद्दा

स्मार्ट सिटी परिसर में मुख्यमंत्री ने किया वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का शिलान्यास….

रिपोर्ट- बिनोद सोनी

रांचीः झारखंड से अब अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की राह आसान होगी, क्योंकि राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक नायाब पहल हो रही है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राजधानी रांची के कोर कैपिटल एरिया में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की आधारशिला रखी। शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में अंतरराष्ट्रीय व्यापार, विशेषकर निर्यात संवर्धन से संबंधित तमाम गतिविधियां एक ही छत के नीचे से संचालित होंगी। यह सेंटर यहां की आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने में अहम रोल निभाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड खनिजों से संपन्न राज्य है। यहां कोयला-लोहा से लेकर यूरेनियम तक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, इस वजह से यहां औद्योगिक गतिविधियां दशकों से चली आ रही है। टाटा, बिड़ला और डालमिया  समेत कई औद्योगिक व्यवसायिक समूह के उद्योग और कंपनियां यहां स्थापित है। देश के उद्योगों को खड़ा करने वाला और “मदर फैक्ट्री” के नाम से दुनिया में विख्यात एचईसी इसी रांची में है। इन उद्योगों को अब व्यापार-निर्यात से जुड़ी सारी सुविधाएं वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के माध्यम से देने की दिशा में राज्य सरकार ने कदम बढ़ा दिया है, अब ये कदम रुकेंगे नहीं, बल्कि अनवरत जारी रहेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देना सरकार की विशेष प्राथमिकताओं में शामिल है। यहां के ग्रामीण परिवेश में लोग विविध गतिविधियों में जुड़े हुए हैं। इन्हें आगे बढ़ाने की दिशा में कई योजनाओं को शुरू किया गया है। इस सिलसिले में महिला स्वयं सहायता समूहों के द्वारा बनाए गए उत्पादों को पलाश ब्रांड के नाम से बाजार में लाया गया है। ये उत्पाद बड़े-बड़े मॉल और शॉपिंग काम्पलेक्स में मिल रहे हैं। पलाश ब्रांड का टर्नओवर एक हज़ार करोड़ रुपए सालाना करने के लक्ष्य के साथ सरकार काम कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में वन उत्पादों के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। अब तक यह देखने को मिला है कि, यहां के स्थानीय उत्पादों को बाजार नहीं मिलने की वजह से लोग काफी कम कीमत में बेच देते हैं। वहीं  दूसरे राज्यों की बड़ी-बड़ी कंपनियां इन उत्पादों को खरीद कर हमारे ही राज्य में महंगे मूल्य पर बेचने का काम कर रही हैं। सरकार ने इसे काफी गंभीरता से लिया है। अब यहां के वन एवं अन्य उत्पादों का सीधा फायदा उत्पादकों को मिले,  इस दिशा में सरकार कार्य योजना बना रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में बच्चे-बच्चियां रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन करती हैं। वहां इनका शोषण किया जाता है, ऐसे कई मामले हमारे सामने आ चुके हैं । बंधक बनाई गई कई बच्चियों को सरकार ने रिहा करा कर रोजगार से जोड़ने का काम किया है और कर रही है। रोजगार की खातिर यहां के ग्रामीणों का पलायन नहीं हो, उन्हें अपने ही घर में रोजगार मिले,  इस दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में एग्रो फूड प्रोसेसिंग, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट और तसर से लेकर कपड़ा उद्योग तक लगातार विस्तार हो रहा है, इससे यहां के युवक-युवतियों को काफी संख्या में रोजगार मिल रहा है । इस दिशा में बड़े उद्योगों के साथ छोटे, मध्यम और लघु उद्योगों को भी सहायता देने की दिशा में सरकार काम कर रही है। इसके अलावा स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत अनुदान आधारित ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के शिलान्यास समारोह में जुडको और सिडबी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया। इसके जरिए राज्य में औद्योगिक संरचना को विकसित करने और उद्योग लगाने वालों को सिडबी के द्वारा सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इस मौके पर पीएमएफएमआई योजना के तहत बीज पूंजी सहायता के लिए 515 लाभुकों को लगभग एक करोड़ 87 लाख रुपए की पूंजी दी गई।

  • वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में अंतरराष्ट्रीय कारोबार से संबंधित सारी सुविधाएं एक ही परिसर में मिलेंगी।
  • इस सेंटर में व्यापार महानिदेशालय का क्षेत्रीय कार्यालय और भारतीय निर्यात परिषद् से जुड़े कार्यालय होंगे । इसके अलावा आयात-निर्यात से जुड़ी कंपनियों के लिए स्थान मुहैया कराया जाएगा। यहां करेंसी एक्सचेंज से लेकर मनी ट्रांसफर तक की सुविधाएं मिलेंगी।
  • वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का निर्माण केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से होगा। यह सेंटर 3.45 एकड़ भूमि में बनेगा, इसकी कुल परियोजना लागत 44.59 करोड़ होगी।
  • यहां अंतरराष्ट्रीय कारोबार करने वाली कंपनियों को अपने उत्पादों के प्रदर्शन और उसके प्रचार-प्रसार के लिए भी जगह उपलब्ध कराया जाएगा।
  • वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में कृषि और खाद्य उत्पाद, वस्त्र, तसर उत्पाद तथा इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
  • वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का निर्माण 2 सालों में पूरा होगा। यहां बहुउद्देशीय सम्मेलन कक्ष, सेमिनार हॉल, आयात निर्यात बैंक के अलावा कई और सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
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चास में स्नेह कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों को बकरी पालन का प्रशिक्षण दिया गया…..

रिपोर्ट- सीता, बोकारो(चास) से

बोकारोः बोकारो स्थित चास की सामाजिक संस्था बिरसा कंपेनेनियन की और से “स्नेह” कार्यक्रम के तहत बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को चास के गुरुद्वारा रोड़ स्थित कार्यालय में किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में चास स्थित पशुपालन विभाग के प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डा. अशोक सिंह मुख्य अतिथि के रुप में मौजुद रहें। प्रशिक्षण कार्यक्रम में लबुडीह और पत्थरकट्टा साईड के कूल 20 लाभुक शामिल हुएं।

बकरी पालन कर ग्रामीण अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैंः डा. अशोक सिंह, प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. अशोक सिंह ने द्वीप प्रज्वलित कर प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। डा. अशोक ने लाभुको को बकरी पालन के फायदों की जानकारी देते हुए कहा कि, बकरी पालन एक स्वरोजगार है, जिसे अपना कर ग्रामीण अपनी आर्थिक स्थिति मजबुत कर सकते हैं। बकरी पालन कर ग्रामीण ज्यादा से ज्यादा कमाई कर अपने जीवन स्तर को सुधार सकते हैं। डा. अशोक सिंह ने बकरी के प्रजातियों के बारे में भी जानकारी दी, और ये भी बताया कि, किस बकरी को पालने के क्या-क्या फायदे हैं।

ट्रेनऱ रेमका भगत ने बकरी पालन की बारिकियों के बारे में प्रशिक्षणार्थियों को बतायाः

प्रशिक्षण कार्यक्रम की ट्रेनर रेमका भगत ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण देते हुए बताया कि बकरी पालन के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि बकरी पालकों को अधीक से अधीक मुनाफा हो सके।

ये सभी रहें प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजुदः

प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशुपालन विभाग के अधिकारी, डा. अशोक सिंह, स्नेह के राकेश कुमार, सीता देवी, पूजा रानी, बोली देवी, अनीता देवी, लक्ष्मी देवी, फूल कुमारी, आरती देवी, हेमंती देवी, मीना देवी समेत और भी कई लोग उपस्थित रहें।

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नामकुम प्रखंड के राजाउलातु पंचायत में गेंदा फूल की बेहतरीन खेती, मांग इतनी कि किसान पूरा करने में असमर्थ….

रिपोर्ट- संजय वर्मा

रांचीः एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन से चार-चार इंच साईज के गेंदा फूल….जी हां हम बात कर रहे हैं नामकुम प्रखंड के राजाउलातु पंचायत में हो रहे गेंदा फूल की खेती के बारे में। यहां उपजाए जा रहे गेंदा फूल की डिमांड, बाजार में इतनी है कि किसान मांग पुरा करने में असमर्थ हैं।

डेविड 1980 से कर रहे हैं गेंदा फूल की खेतीः

राजाउलातु पंचायत के किसान डेविड लकड़ा, सन 1985 से हर वर्ष गेंदा फूल की खेती कर रहे हैं। गेंदा फूल की खेती करने में डेविड लकड़ा महारथ हांसिल कर चुके हैं। इनके खेतों में गेंदा फूल की साईज 3 से 4 इंच तक की होती है। डेविड बताते हैं कि मुझे गेंदा फूल की खेती करता देख आसपास के किसानों ने फि गेंदा फूल की खेती शुरु की, लेकिन वे लोग ज्यादा दिनों तक फूल की खेती को जारी नही रख सकें। डेविड बताते हैं कि पौधा बाहर से मंगाया जाता है और देखभाल में भी काफी ध्यान देने की जरुरत पड़ती है। दूसरे किसान सही तरीके से पौधों की देखभाल नही कर पाते हैं, जिसके कारन उनके खेत में फूलों की साईज काफी छोटी रह जाती है, जिसके कारन उन्हें ज्यादा मुनाफा नही हो पाता है, इसलिए कुछ किसानों ने गेंदा फूल की खेती छोड़ दी है।

मांग पुरा नही कर पा रहे हैं डेविडः

डेविड बताते हैं कि इस वर्ष मैंने लगभग एक एकड़ जमीन पर गेंदा फूल की खेती की है। इसे तैयार होने में ढ़ाई माह का समय लगा है। फूलों की साईज देख कर काफी ऑर्डर आया है, लेकिन हम लोग पुरा नही कर पा रहे हैं। डेविड ये भी बताते हैं की मेरे खेत से छठ महापर्व तक फूलों की सप्लाई होते रहेगी। इस वर्ष एक एकड़ से मुझे 1 से डेढ़ लाख तक का मुनाफा हो सकता है। क्योंकि बाजार में बड़े साईज के गेंदा फूल की मांग काफी बढ़ी है।

फूल कारोबारियों को वापस लौटना पड़ रहा हैः

डेविड की मानें तो गेंदा फूल का साईज बड़ा होने के कारन कई फूल के कारोबारी इनके खेत में फूल खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं। लेकिन अब डेविड नया ऑर्डर लेने के लिए तैयार नही हैं, क्योकि पूर्व में लिया गया ऑर्डर ही पुरा करने में डेविड असमर्थ है। इस वर्ष फूलों की मांग को देखते हुए डेविड काफी उत्साहित हैं और अगर वर्ष ज्यादा जमीन पर गेंदा फूल की करने की बात कह रहे हैं।