सीएए, एनआरसी, एनपीआर- गलत नीयत, गलत बुनियाद, गलत तरीकाः तीस्ता सेतलवाद

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रिपोर्टः सीराज दत्ता…

सीएए, एनआरसी, एनपीआर-गलत नीयत, गलत बुनियाद, गलत तरीकाः तीस्ता सेतलवाद

रांचीः सामाजिक विकास केंद्र (एसडीसी,रांची) में झारखंड नागरिक प्रयास मंच द्वारा आयोजित सेमीनार में लगभग 300 लोग सम्मिलित होकर देश में नागरिकता अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों पर हो रहे प्रहारों पर चर्चा की। चर्चा नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC), राष्ट्रीय जनसँख्या रजिस्टर (NPR), अनुच्छेद 370 पर केन्द्रित थी। सेमीनार को प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सह समाजसेवी ज्यां द्रेज़,  शशिकांत सेंथिल, तीस्ता सेतलवाद व अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया।

झारखंड में NPR लागू होता है, तो पूरा सरकारी तंत्र उसी में लग जाएगा और अगले पांच वर्षों में विकास का कोई काम नहीं होगाः ज्यां द्रेज

सेमिनार के पहले वक्ता रांची विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफ़ेसर ज्यां द्रेज़ ने बताया कि NRC एक नागरिकता परीक्षा के समान है। परीक्षा का पहला पड़ाव है NRC की प्रक्रिया, जो हर दस वर्ष में होने वाली जनगणना से बहुत अलग है। जनगणना का मुख्य उद्देश्य आंकड़े इकत्रित करने लिए की जाती है, न कि लोगों की पहचान करने के लिए, पर NPR में लोगों की निजी जानकारी माँगी जा रही है, जैसे उनका आधार नंबर। इससे सरकार का लोगों पर नज़र रखना और आसान हो जाएगा। उन्होंने NRC की तुलना पेलेट बन्दूक से की, जिसका उपयोग कश्मीर में पुलिस बल द्वारा बेरहमी से हो रहा है। पेलेट बन्दूक का निशाना कोई एक समूह होता है, पर उससे अन्य लोगों को भी चोट लगती है। उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि जैसे आधार बनवाने में कितना समय और संसाधन खर्च हुआ था, उसी प्रकार अगर झारखंड में NPR लागू होता है, तो पूरा सरकारी तंत्र उसी में लग जाएगा और अगले पांच वर्षों में विकास का कोई काम नहीं होगा.

असम में NRC प्रक्रिया में 1220 करोड़ रुपए और 52,000 सरकारी कर्मियों का समय खर्च हुआ:

अगली वक्ता तीस्ता सेतलवाद थी, जो एक जानी मानी और साहसी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और गुजरात में हुई साम्प्रदायिक हिंसा के पीड़ितों के लिए संघर्षरत हैं, उन्होंने असम की NRC प्रक्रिया के बारे में लोगों को बताया। राज्य की 3.2 करोड़ आबादी में से 19 लाख लोग NRC से छूट गए है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, असम में NRC प्रक्रिया में 1220 करोड़ रुपए और 52,000 सरकारी कर्मियों का समय खर्च हुआ। इसके अतिरिक्त, लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए लगभग कुल 22,400 करोड़ रूपए खर्च करने पड़ें। असम की NRC प्रक्रिया में लोगों को अत्यंत आर्थिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी। इस दौरान करीब 100 लोगों की मृत्यु भी हुई। कईयों ने आत्महत्या कर ली, कई की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने के कारण, या नजरबंदी केन्द्रों में हुई।

उन्होंने कहा कि CAA, NRC, और NPR की नीयत गलत है, बुनियाद गलत है, और तरीका भी गलत है। भारत आज़ाद होने के बाद देश के संविधान पर गहन विचार विमर्श हुआ था, जिसमें धर्म-आधारित राष्ट्रवाद को नकारा गया था, पर CAA में धर्म के आधार पर शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। जहां CAA स्पष्ट रूप से गैर-संविधानिक है, NRC और NPR देश के कुछ समुदायों को प्रताड़ित करने का एक तरीका है।

CAA-NRC-NPR भारत में बढ़ते फासीवाद की ओर एक कदम है : शशिकांत सेंथिल, पू्र्व आईएएस

शशिकांत सेंथिल ने अपनी बातें रखी। शशिकांत सेंथिल ने लोकतांत्रिक मूल्यों पर बढ़ते प्रहारों के विरुद्ध सितम्बर 2019 में भारतीय प्रशासनिक सेवा को छोड़ दिया था। उन्होंने देश की इन परिस्थियों में एक सरकारी अफसर होना अनैतिक समझा, उनकी राय में CAA-NRC-NPR भारत में बढ़ते फासीवाद की ओर एक कदम है। इन नीतियों द्वारा मुसलामानों को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें देश की सब समस्याओं की जड़ बताया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान बांटने के लिए ऐसी नीतियाँ लागू कर रही है। सेंथिल ने प्रतिभागियों को NPR प्रकिया के दौरान अपने दस्तावेज़ न दिखाने के लिए आग्रह किया, जिससे वैसे लोगों के साथ एकजुटता बन पाए, जिनके पास आवश्यक दस्तावेज़ नहीं हैं।

दूसरा सत्र मोदी सरकार की कश्मीर पर नीतियों से सम्बंधित था।  प्रोफेसर ज्यां द्रेज़, अनुच्छेद 370 के निराकरण के बाद कश्मीर का जायजा लेने वाले पहले कार्यकर्ताओं में से थें, उन्होने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी।

सेमीनार के अंत में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित हुएं:

(1) CAA को रद्द करना और NRC व NPR को लागू नहीं करना, चूंकि वे संविधान की अवधारणा के विरुद्ध हैं।

(2) झारखंड सरकार CAA के विरुद्ध प्रस्ताव पारित करे और राज्य में NRC व NPR लागू नहीं करने का निर्णय ले।

(3) NPR-NRC प्रक्रिया के दौरान नागरिकता साबित करने वाले कोई दस्तावेज़ नहीं दिखाना।

(4) जम्मू और कश्मीर में संवैधानिक अधिकारों का हनन तुरंत बंद हो, संचार के सभी साधन पुनः शुरु किए जाएं, सभी राजनैतिक कैदियों को रिहा किया जाए, जम्मू और कश्मीर को पुनः पूरे राज्य का दर्जा मिले और वहां विधानसभा चुनाव कराए जाएं।

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