बुरुगुलीकेरा घटना- दोषी कौन? ए.सी. भारत कुटुंब परिवार या पीएलएफआई उग्रवादी संगठन?

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रिपोर्ट- संजय वर्मा..

बुरुगुलीकेरा घटना- दोषी कौन? पीएलएफआई उग्रवादी संगठन या ए.सी. भारत(युसूफ पूर्ति)?

रांचीः पुलिस के अनुसार बुरुगुलीकेरा नृशंस हत्याकांड मामला आपसी रंजिश का है, जिसे पंचायत के लोगों ने ही अंजाम दिया है। लेकिन सवाल ये खड़ा होता है, कि इतनी नृशंस हत्या, वो भी भरी पंचायत में आखिर क्यों। मारे गए सभी सात युवक कोई मानसिक रोगी नही थें, जो किसी के घर में जा कर तोड़फोड़ शुरु कर दें। इस घटना की तह तक जाना जरुरी है, क्योंकि हर तबका इस घटना को अलग अलग तरीके से ब्यां कर रहा है, किसी की नजर में ये माओवादी और उग्रवादियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई है, तो कोई इस घटना को पत्थलगड़ी से जोड़ कर देख रहा है।

गुदड़ी प्रखंड में पत्थलगड़ी कर चुके नेता और उनके समर्थक पिछले एक वर्ष से सक्रीयः ग्रामीण

बीते 27 जनवरी को हमारी टीम ने गुदड़ी प्रखंड स्थित बुरुगुईलकेरा गांव का दौरा कर नृशंश हत्याकांड मामले की पड़ताल की। घटना के बाद से ये गांव पुरी तरह पुलिस छावनी में तब्दिल हैं। यहां हर आने जाने वाले लोगों पर पुलिस की कड़ी नजर है। इस गांव के चौराहे पर स्थित पंचायत सचिवालय को फिलहाल पुलिस कैंप में तब्दिल कर दिया गया है और पास में ही एक झोपड़ी में अस्थाई चिकित्सा शिविर लगाया गया है। घटना के बाद से इस गांव के ज्यादातर पुरुष सदस्य फरार हैं, और गांव में जो महिलाऐं मौजुद हैं, वो कुछ भी कहने से बच रही हैं।

गांव में कूल 180 परिवार, आधे से अधीक ए.सी. भारत विरोधी, और आधे से कम ए.सी. भारत समर्थक हैः

बताया जा रहा है कि इस गांव की पूर्व मुखिया, ए.सी. भारत समर्थक हैं, और पत्थलगड़ी आंदोलन का नेतृत्व कर चुके युसूफ पुर्ति जो वर्तमान में विश्व शांति सम्मेलन और सती-पति कल्ट का नेतृत्व कर रहे हैं, अक्सर इन्हीं के घर में आ कर ठहरते हैं। युसूफ पूर्ती ने इस गांव के ग्रामीणों से आधार कार्ड, वोटर आईडी, जॉब कार्ड, राशन कार्ड और जमीन का खतियान जमा लेने का कार्य पूर्व मुखिया को ही सौंपा है। पूर्व में बैठक आयोजित कर युसूफ पुर्ति ये फरमान ग्रामीणों को सुना चुके हैं।

बुरुगुलीकेरा मुंडा आदिवासी बहुल गांवः

ये गांव पूर्ण रुपेण मुंडा आदिवासियों का गांव है। यहां के ग्रामीण अब भी अपने पूर्वजों के रीति रिवाजों को ही मानते चले आ रहे हैं, लेकिन ए.सी. भारत की टीम यहां सक्रिय होने के बाद, ना सिर्फ इनसे सरकारी सुविधाओं का बहिष्कार करने की बात कह रही है, बल्कि इन्हें इनके रीति रिवाजों से भी दूर करना चाह रही है। बताया जा रहा है कि 16 जनवरी को गांव में माघे पर्व मनाया जाना था, लेकिन पूर्व में ही ए.सी. भारत टीम के द्वारा ये फरमान जारी किया जा चुका था, कि गांव में माघे पर्व नही मनाया जाएगा, जिसके बाद से ही ए.सी. भारत टीम के खिलाफ यहां के लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त था। इसी का परिणाम था कि ए.सी. भारत विरोधी गुट के युवाओं ने ए.सी. भारत समर्थकों के 4-5 घरों में तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया।

17 जनवरी तो तोड़फोड़ करने वाले 5 युवाओं का अपहरण कर लिया गया थाः

बताया जा रहा है कि तोड़फोड़ की घटना के बाद दूसरे दिन 17 जनवरी को पांच युवकों का ए.सी, भारत समर्थकों द्वारा घर से अपहरण कर लिया गया था, इसके बाद 19 जनवरी को गांव में पंचायत लगाई गई जिसमें दोनों पक्ष के लोग मौजुद थें। ग्रामीण ये भी बता रहे हैं कि अपहरण किए जा चुके युवकों को पंचायत में नहीं देखा गया था, उस बैठक में तोड़फोड़ करने वाले अन्य 4 युवकों को पेश किया गया था, जिसमें से दो भागने में सफल रहे थें।

19 जनवरी को बुरुगुलीकेरा गांव में हुई पंचायत की बैठक में दूसरे क्षेत्र के भी ए.सी भारत समर्थक शामिल थेंः

ग्रामीण बताते हैं कि 17 जनवरी को ए.सी. भारत समर्थकों ने विरोधी गुट के युवक जिन्होंने एसी भारत समर्थकों के घर पर हमला किया था, उनमें से पांच युवकों का अपहरण कर लिया था, जिसके बाद से उन लोगों की कोई जानकारी नही थी। 19 जनवरी को गांव में जो पंचायत बुलाई गई थी, उस पंचायत में भाग लेने के लिए ए.सी. भारत समर्थकों ने खुंटी, मुरहू और बंदगांव क्षेत्र के पत्तलगड़ी करने वाले नेताओं को आमंत्रित किया था, और ये नेता भी उस बैठक में शामिल हुए थें। ए.सी. भारत विरोधी गुट के ग्रामीणों ने बाताया कि 16 जनवरी को हुए तोड़फोड़ की घटना के बाद ए.सी. भारत समर्थकों द्वारा लगातार तीन दिन, 17, 18 और 19 जनवरी को बैठक की गयी थी, और 19 जनवरी की शांय को ही 2 युवकों की हत्या की गई थी।

ए.सी. भारत समर्थकों के कहने पर दर्जनों गांव के ग्रामीण सरकारी योजनाओं का बहिष्कार कर चुके हैः

नाम नही छापने के शर्त पर एक ए.सी. भारत समर्थक ने बताया कि सोलागुंडनी, कित्ता, बरजो, कोमडेला, किलुंग, कुमार, दिग्गी, करला, चंपाबा और खांडर जैसे गई गांव के ग्रामीण अपना आधार कार्ड, वोटर आईडी, जॉब कार्ड और राशन कार्ड ए.सी. भारत के नेता युसूफ पूर्ति को सौंप दिया है। वहीं बुरुगुईलकेला गांव से लगभग 5 किलोमीटर पहले स्थित जाते गांव के ग्रामीणों ने ए.सी भारत समर्थकों का बहिष्कार किया है, जिसके कारन इस गांव में ए.सी.भारत समर्थकों का आना जाना नही होता है।

पारंपरिक ग्राम सभा(मुंडा-मानकी) के समानांतर ग्राम सभा की बैठक करते हैं ए.सी. भारत समर्थकः  

पत्थलगड़ी नेताओं ने “सरकारी सुविधाओं का त्याग करो” अभियान को सुचारु रुप से चलाने के लिए इस क्षेत्र के कई गांवों में पारंपरिक ग्राम सभा(मुंडा-मानकी) के समानान्तर अपने समर्थकों के साथ ग्राम सभा की बैठक करते हैं। जिसके कारन भी यहां के पारंपरिक मुंडा मानकी, ए.सी.भारत समर्थकों से खाशे आक्रोशित हैं। इन्हें लग रहा है कि इनके पारंपरिक ग्रामसभा की व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास पत्थलगड़ी करने वाले लोग कर रहे हैं।

बुरुगुलीकेरा की घटना में माओवादियों के हांथ होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीः जानकार और ग्रामीण

इस मामले में हमारी टीम ने बुरुगुलीकेरा के कई ग्रामीणों के साथ साथ जनकारों से भी बात की। ग्रामीणों ने कहा कि लंबे समय से इस क्षेत्र में माओवादियों को नही देखा गया है। लगभग 11 वर्ष पूर्व माओवादी 50 से अधीक की संख्या में आए थें और गांव में ही कैंप लगाया था, लेकिन उस समय के बाद से यहां माओवादी कभी दिखाई नही पड़े हैं।

पीएलएफआई उग्रवादी संगठन का हो सकता है हांथः मुक्ता होरो, पूर्व मुखिया, बुरुगुलीकेरा गांव सह ए.सी. भारत समर्थक

बुरुगुईलकेरा गांव की पूर्व मुखिया सह ए.सी. भारत समर्थक ने बातचीत के क्रम में कहा कि, जिन लड़कों ने हमारे लोगों के घरों में तोड़फोड़ किया था, उन्हें पीएलएफआई उग्रवादियों का समर्थन प्राप्त था, इसलिए वे लोग कहते थें कि अगर हम लोगों को सरकारी सुविधा लेने से रोका गया, तो हमलोग भी शांत नही बैठेंगे। हालांकि वर्तमान उप मुखिया जेम्स बुढ़ के बारे में बताया गया, कि वे ठेकेदारी का काम करते थें, इससे पूर्व राणा सिंह ठेकेदारी करते थें, लेकिन एक वर्ष पूर्व ए.सी. भारत से जुड़ने के बाद वे ठेकेदारी करना छोड़ चुके थें।

पत्थल गाड़ने का अभियान(पत्थलगड़ी) बंद, अब विश्व शांति सम्मेलन और सती-पती कल्ट का नेतृत्व कर रहे हैं युसूफ पूर्तिः

खूंटी जिला के घाघरा में हुए घटना के बाद से पत्थलगड़ी नेता युसूफ पुर्ति फरार हैं, और यहां से फरार होने के बाद युसूफ पूर्ति ने सिंहभूम जिले के सुदुरवर्ती गांव में ही अपना ठीकाना बनाया, और यहां के आसपास स्थित दर्जनों गांव के भोलेभाले अशिक्षित लोगों को देश का मलिक होने की बात कह कर बरगलाना शुरु किया। इस बीच पूर्व मुखिया जैसे कई लोगों को अपना समर्थक बना कर, अपने अभियान विश्व शांति सम्मेलन और सती-पति कल्ट को आगे बड़ाना शुरु किया। बीते वर्ष 16 अक्टूबर 2019 को खूंटी जिला के मुरहू प्रखंड स्थित गुटीगढ़ा में विश्व शांति सम्मेलन नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसका नेतृत्व गुटीगढ़ा के पत्थलगड़ी नेता सोमा मुंडा ने किया था। इस कार्यक्रम में गुजरात से पहुंचे एक महिला और एक पुरुष भी शामिल थें। जहां ग्रामीणों से सरकार द्वारा प्रदत सेवाओं का बहिष्कार करने की बात कही गई थी। यहां ग्रामीणों को ये बताया गया था कि क्वीन विक्टोरिया ने भारत देश गुजरत के बाबा कुंवर सिंह केशरी को गिफ्ट में दिया था, लेकिन बाबा कुंवर सिंह ने भारत देश को 100 वर्ष के लिए लिज में दे दिया, चुंकि अब लिज की अबधी पुरी हो चुकी है इसलिए अब भारत देश पर आदिवासियों का अधीकार है। और इसी अधीकार को पाने के लिए आदिवासियों को जागरुक किया जा रहा है।

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