पंचायत जनप्रतिनिधियों में भय का माहौल, सरकार भी नहीं चाहती फंसे लोग झारखंड पहुंचे….

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

खूंटीः देश में लागू लॉक डाउन के कारन, झारखंड के लगभग 8 लाख लोग महानगरों में फंसे हुए हैं। इनमें से ज्यादातर लोग, दिल्ली, मुम्बई, पूणे, गुजरात, चेन्नई, केरल, कर्नाटक, मैंगलोर और हैदराबाद में हैं, और इन सभी राज्यों में काफी तेजी से कोरोना वायरस ने लोगों को अपनी चपेट में लिया है, जिसके कारन इन राज्यों में फंसे झारखंड की भी लोगों के संक्रमित होने की संभावना बढ़ गई है।

अगर आंकड़ों पर गौर करें, तो कोरोना वायरस से 24 अप्रैल 2020 तक सबसे ज्यादा मौतें महाराष्ट्र में 283, गुजरात में 112, दिल्ली में 50, मध्यप्रदेश में 83, राजस्थान में 27, तमीलनाडू में 20, तेलंगाना में 24, आंध्रप्रदेश में 27 कर्नाटक में 17 और यूपी में 24 मौतें हो चुकी है, इस तरह आंकड़ों के अनुशार महाराष्ट्र में सबसे अधीक लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हुए हैं।

लॉक डाउन के बाद लाखों की घर वापसी, झारखंड सरकार, स्थानीय प्रशासन और पंचायत जनप्रतिनिधियों के लिए बना चिन्ता का विषयः

एक औसत आंकडे के अनुशार झारखंड के विभिन्न जिलों से लगभग 8 लाख लोग महानगरों में फंसे हुए हैं। सिर्फ गुमला, सिमडेगा और खूंटी जिले के लगभग तीन लाख लोग घरेलू कामगार के रुप में महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात में हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा पलामू, लातेहार और रांची जिला के बेड़ो, मांडर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों के लोग उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगड़ के ईंट भट्टों में भी लाखों की संख्या में गए हुए हैं, इसके अलावा उत्तरी छोटानागपुर और संथालपरगणा प्रमंडल के भी जो लोग रोजी-रोटी की तलाश में महानगरों में गए हुए हैं, उनकी भी संख्या लाखों में है। स्वाभाविक है कि लॉक डाउन समाप्त होने के बाद इनमें से कम से कम 50 प्रतिशत लोग झारखंड पहुंचेगें, जो वर्तमान में झारखंड सरकार, स्थानीय प्रशासन और पंचायत जनप्रतिनिधियों के लिए चिन्ता का विषय बना हुआ है।

पंचायत प्रतिनिधियों को सता रहा है गांव में कोरोना वायरस फैलने का खतराः

इन दिनों सुबे का हर वो क्षेत्र जहां-जहां से काफी संख्या में लोग पलायन कर दूसरे प्रदेशों में गए हुए हैं, वहां के जनप्रतिनिधियों में एक भय का माहौल व्याप्त है। ये पंचायत जन प्रतिनिधि चाहते कि जब तक कोरोना वायरस पूरी तरह समाप्त नही हो जाता है, तब तक बाहर गए लोग वहीं रह कर रोजगार से जुडे रहें। क्योंकि अगर वे लोग बिना कोरोना टेस्ट करवाए क्षेत्र में आते हैं, तो यहां भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहेगा। खूंटी जिला, मुरहू प्रखंड पूर्वी के जिप सदस्य चन्द्र प्रभात बताते हैं कि, ग्रामीण क्षेत्र का ताना-बाना कुछ ऐसा है कि, जब भी लोग बाहर से रुपये कमा कर गांव आते हैं, तो क्षेत्र के अपने सभी मित्र और नाते-रिश्तेदारों से मिलते हैं, बाजार हाट में जाकर हंडिया(राईस बियर)का सेवन करते हैं, जिससे उनका संपर्क काफी लोगों से होता है। ऐसे में अगर वो व्यक्ति कोरोना संक्रमित हुआ तो सैंकड़ों लोग उनसे संक्रमित हो सकते हैं। जिप सदस्य चन्द्र प्रभात ये भी बताते हैं कि सिर्फ इनके इन्दपीढ़ी पंचायत से लगभग 125 लोग बाहर फंसे हुए हैं, और पूरे खूंटी जिला में 86 पंचायत है, जहां के हर पंचायत से सैंकड़ों लोग पलायन कर फिलहाल दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैं। अगर इतने सारे लोगों में 50 प्रतिशत लोग भी गांव वापसी करते हैं, तो क्षेत्र के लोगों के लिए तो नुकशान दायक होगा ही, सरकार के समक्ष में विकट समस्या खड़ी हो जाएगी। कुछ इसी तरह की बात मुरहू प्रखंड, गोड़ाटोली पंचायत के मुखिया सोमा कैथा ने भी कही।

खूंटी जिला प्रशासन की नही कोई पूर्व तैयारी, सरकार के गाईडलाईन्स का है ईन्तेजारः   

लॉक डाउन समाप्ति के बाद उत्पन्न होने वाली इस समस्या को लेकर हमने खूंटी जिला के उपायुक्त, सूरज कुमार से फोन पर बात कर उनसे तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई तैयारी नही है, सरकार जो भी गाईडलाईन देगी उसी के अनुरुप कार्य किया जाएगा।

सरकार भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से नहीं चाहती, कि दूसरे राज्यों में फंसे लाखों लोग फिलहाल झारखंड पहुंचेः

राज्य के हर पंचायत प्रतिनिधि इन दिनों अपने-अपने पंचायत से पलायन कर बाहर गए लोगों का आंकड़ा जुटाने में लगे हुए हैं। ये कार्य इन पंचायत प्रतिनिधियों को प्रखंड कार्यालय से सौंपा गया है। सर्वे के दौरान बाहर फंसे लोगों का बैंक अकाउंट, आधार और मोबाईल नः उनके परिजनों से लिया जा रहा है, ताकि तत्काल सरकार उनके अकाउंट में कुछ रुपये भेज सके। सरकार चाहती है कि लॉक डाउन खत्म होने के बाद ये लोग जहां रह रहे हैं, वहीं से अपने-अपने कामों में लौट जाएं। क्योंकि लाखों की संख्या में लोग अगर झारखंड में आते हैं, तो सरकार के समक्ष एक नई समस्या खड़ी हो जाएगी। सरकार के पास इतना संसाधन और मेन पावर नहीं कि कम समय में लाखों लोगों का कोरोना टेस्ट करवाया जा सके। सरकार अगर एक व्यक्ति का कोरोना टेस्ट करवाती है, तो उसमें कम से कम 3-4 हजार रुपये का खर्च आता है। इस लिए सरकार ने फिलहाल उन्हें राहत देने के नाम पर उनके अकाउंट में ही 2-2 हजार रुपये डालन का निर्णय लिया है। पहले फेज में लगभग ढ़ाई लाख लोगों को चिन्हित किया गया है, जिनके बैंक अकाउंट में रुपये डाले जाएंगे। इससे सरकार को खर्च भी कम पडेगा और बाहर फंसे लोगों को तत्काल राहत भी मिल जाएगी, साथ ही यहां के लोग भी सुरक्षित रहेंगे। शनिवार को सुबे के वित्त मंत्री डा. रामेश्वर उरांव ने भी स्पष्ट किया कि बाहर फंसे लोग वहीं से अपने कामों में लौट जाएं तो बेहतर होगा।

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