आदिवासी/सरना धर्म कोड़ का प्रस्ताव पारित होने की खुशी में 11 नवंबर को निकाला जाएगा आभार जुलूस…

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रिपोर्ट- ताजा खबर झारखंड ब्यूरो…

रांचीः आदिवासी/सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित होने की खुशी में झारखंड सरकार को धन्यवाद और आभार प्रकट करने हेतु 11 नवंबर को राँची युनिवर्सिटी से शहीद अलबर्ट एक्का चौक तक पारम्पारिक गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाली जाएगी। ये निर्णय अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् के नेतृत्व में विभिन्न आदिवासी और सामाजिक संगठनों की हुई बैठक में लिया गया।

इस आभार जुलूस में विभिन्न आदिवासी समाज के कई संगठन के लोग शामिल होंगे। खास तौर से अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, आदिवासी जन परिषद एवं राष्ट्रीय आदिवासी धर्म समन्वय समिति एवं आदिवासी संयुक्त मोर्चा के लोग शामिल रहेंगे, साथ ही सभी क्षेत्रीय सरना समिति और प्रखंड के लोग भी हर्षोउल्लास के साथ शामिल होंगे।

आदिवासी/सरना धर्म कोड, दोनों में से जो भी कोड़ केन्द्र सरकार निर्गत करेगी, हमें सहस्त्र स्वीकार होगाः गीताश्री उरांव

मौके पर पूर्व मानव संसाधन मंत्री गीताश्री उराँव ने माननीय मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, आदिवासी समाज जीवन भर उनका ऋणी रहेगा, क्योंकि जो पहचान आजादी के बाद से अब तक आदिवासियों को नहीं मिल पाया था, वो पहचान हेमंत सोरेन द्वारा संभव होता नजर आ रहा है। राज्य सरकार से आदिवासी/सरना कोड पास होने के बाद केंद्र सरकार पूरे देश के आदिवासियों के लिए दोनों में से जो भी कोड निर्गत करेगी, हमें सहस्त्र स्वीकार होगा।

11 नवंबर आदिवासियों के लिए एतिहासिक दिन होगाः कुन्दरसी मुंडा

मौके पर राँची जिलाध्यक्ष श्रीमती कुन्दरसी मुण्डा ने कहा कि, राज्य सरकार की पहल से कल का दिन एतिहासिक दिन होगा। आदिवासी सरना समाज को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। उनका अस्तित्व, धर्म, संस्कृति और परम्परा को पूरी दुनिया जानेगी। जिसकी शुरुआत भगवान बिरसा मुंडा की धरती, झारखंड से हो रही है। कुन्दरसी मुंडा ने आदिवासी सरना समाज से आग्रह भी किया कि 11 नवंबर को दोपहर 2 बजे राँची युनिवर्सिटी स्थल में भारी से भारी संख्या में जमा हों और अपनी एकता का परिचय दें।

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